शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

58 दिन की पनाह

दो महीने कहां छिपा रहा नारायण सार्इं? किसने दी पनाह? कौन है मददगार? क्या उन पर भी होगी कार्रवाई?

पाखंड का टूटा तिलस्म. संत का चोला ओढ़कर लड़कियों की अस्मत से खेलने वाले का चेहरा बेनकाब. पांच लाख का इनामी भगोड़ा नारायण सार्इं गिरफ्तार. धर्म की आड़ में अधर्म के पाप का पर्दाफाश. पूरे 58 दिन यह शातिरदिमाग शख्स देश की पुलिस के लिए छलावा बना रहा. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पंजाब के बड़े-बड़े अधिकारियों को चकमा देता रहा. मामले की तफतीश में लगी गुजरात पुलिस भी गच्चा खा गई, लेकिन दिल्ली क्राइम ब्रांच के कुछ अफसरों की नजर अर्जुन की तरह सिर्फ और सिर्फ मछली की आंख पर लगी रही. तीर निशाने पर लगा और 3 दिसंबर 2013 की सर्द रात नारायण सार्इं पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
6 अक्टूबर 2013 को थाना जहांगीरपुरा सूरत में दर्ज एफआइआर के मुताबिक, सूरत की दो बहनें कथावचक आसाराम के अहमदाबाद गुरुकुल और नारायण सार्इं के साबरकांठा जिले के गांभई आश्रम में साधक थीं. छोटी बहन का नारायण वर्ष 2002 से 2005 तक यौन शोषण करता रहा. इसकी जानकारी नारायण की मां लक्ष्मी देवी और बहन भारती को भी थी. दोनों को इस मामले में सह आरोपी बनाया गया है. पीड़ित को नारायण कई बार अपने साथ सूरत के जहांगीरपुरा, पटना, काठमांडू और मध्य प्रदेश के मेघनगर आश्रमों में भी ले गया और वहां उसके साथ रेप किया. जबकि बड़ी बहन को अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम में आसाराम साल 2001 से 2007 के बीच अपना शिकार बनाता रहा. इसी आरोप में तीन महीने से आसाराम जोधपुर जेल में बंद है. अब सूरत पुलिस की डीसीपी शोभा भूतड़ा नारायण साईं के खिलाफ बलात्कार, यौन उत्पीड़न, पीड़ित को गैरकानूनी तरीके से बंद रखने और दो अन्य मामलों की जांच कर रही हैं.
एफआइआर की भनक लगते ही नारायण सार्इं घर से 6 लाख रुपये लेकर भूमिगत हो गया. अग्रिम जमानत की फिराक में था. पुलिस को नारायण की मां-बहन भी नहीं मिलीं. 7 अक्टूबर को  पुलिस आयुक्त (सूरत) राकेश अस्थाना ने दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर एस.बी.पी. सिंह से बात की. सिंह ने अपराध शाखा के तेज-तर्रार अधिकारियों अडिशनल सीपी (क्राइम ब्रांच) आर.एस. यादव, डीसीपी क्राइम ब्रांच (नार्थ) कुमार ज्ञानेश, एसीपी के.पी.एस. मल्होत्रा और अपराध शाखा रोहिणी सेक्टर 18 के कुछ इंस्पेक्टरों की एक मीटिंग बुलाई और नारायण सार्इं की तलाश शुरू कर दी गई. सूरत पुलिस की एक टीम भी आरोपी की टोह में दिल्ली गई. रोहिणी, नजफगढ़, जफरपुर कलां और रिंज रोड स्थित कई स्थानों पर छापा मारा गया पर आरोपी का कुछ पता नहीं चला. इस बीच डीसीपी भूतड़ा को जान से मारने की धमकी जरूर मिली. पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि इश्तिहारी मुल्जिम बहुत शातिर है. वह देश छोड़कर भी भाग सकता है. उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया गया.
16 अक्टूबर को सूरत पुलिस की एक टीम ने फिर दिल्ली आकर नारायण के आश्रम में छापा मारा. 17 अक्टूबर को जयपुर (राजस्थान) और रतलाम (मध्य प्रदेश), 18 अक्टूबर को ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश), 19 अक्टूबर को दरभंगा (बिहार) और 25 अक्टूबर को बिरार (मुंबई) में दविश दी गई. डीसीपी ज्ञानेश, एसीपी मल्होत्रा और उनके मातहत भी नारायण की तलाश में दिल्ली एनसीआर की खाक छानते रहे.11 नवंबर को सूरत की संबंधित अदालत ने आरोपी को भगोड़ा घोषित कर दिया. समझ में नहीं रहा था कि नारायण को जमीन निगल गई या आसमान. 2 दिसंबर को भी डीसीपी ज्ञानेश इसी उधेड़बुन में पड़े थे, तभी एक मुखबिर ने फोन पर बताया- ‘सर, नारायण लुधियान में है.’ ज्ञानेश की आंखों में चमक गई. उन्होंने फौरन एस.बी.पी. सिंह को रिपोर्ट की. इसके बाद अडिशनल सीपी यादव के नेतृत्व में 36 पुलिसकर्मियों की चार टीमें बनाकर लुधियाना (पंजाब) रवाना कर दी गर्इं. 3 दिसंबर की शाम होते-होते दिल्ली क्राइम ब्रांच के 20 और अधिकारी लुधियाना पहुंच गए. इससे पहले सूरत पुलिस की टीम भी चुकी थी.
संयुक्ति पुलिस टीम नेआॅपरेशन सार्इं के तहत लुधियाना के नारायण आश्रम में छापा मारा. वहां पता चला कि नारायण साहनेवाल के गौशाला में ठहरा है. उसके नजदीक ही पंजाब के उद्योगपति पंकज अग्निहोत्री की कोठी है. नारायण कई बार उनके यहां सिख भेष में आता-जाता रहा. क्राइम ब्रांच पुलिस ने पंकज के मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रेस कि तो पक्खोवाल रोड, मॉडल टाउन, गिल रोड और दोराहा नहर के आसपास का एरिया पता चला. यह स्थान लुधियाना में नारायण आश्रम से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है और वहीं अग्निहोत्री का एक फार्म हाउस भी है. पुलिस वहां पहुंची तो ज्ञात हुआ कि अभी थोड़ी देर पहले ही नारायण फोर्ड ईको स्पोर्ट्स गाड़ी में एनएच-1 से दिल्ली के लिए रवाना हो चुका है. गाड़ी का नंबर यूपी 15 बीएच 0035 है. डीसीपी ज्ञानेश ने दिल्ली से लुधियाना के बीच 332 किमी के रास्ते में राजपुरा, जीरकपुर, चंडीगढ़, अंबाला और मेरठ समेत आठ डाइवर्जनों पर 35 अफसरों की आठ टीमें तैनात कर दीं. रात करीब 10 बजे अंबाला डाइवर्जन पर एक ईको स्पोर्ट्स कार आती दिखाई दी. नारायण उसी में था. क्राइम ब्रांच की टीम ने उसका पीछा किया और कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के पिपली गांव के पास पेट्रोल पंप पर आरोपी को धरदबोचा.
नारायण ने गिरफ्तारी के समय टी-शर्ट, पैंट, जैकेट और पहचान छिपाने के लिए लाल रंग की पगड़ी पहन रखी थी. उसके साथ उसका सुरक्षा अधिकारी और सहयोगी कौशल ठाकुर उर्फ हनुमान (एक लाख का इनामी मुल्जिम), ड्राइवर रमेश मल्होत्रा और जुवेनाइल कुक भी था. कुक निर्दोष लगा, उसे पुलिस ने छोड़ दिया. कार की तलाशी में 2.61 लाख रुपये नकद, 6 मोबाइल फोन, 129 सिमकार्ड, कुछ कपड़े, थोड़ी-सी जड़ी-बूटी, स्टोव, खाना बनाने के बर्तन, वियाग्रा और छह मोबाइल फोन बरामद हुए. पुलिस तीनों आरोपियों को अपराध शाखा रोहिणी सेक्टर 18 ले आई. यहां अधिकारियों ने पूछताछ शुरू की- ‘58 दिन कहां छिपे रहे? किसने पनाह दी? और कौन-कौन तुम्हारे गुनाह के साथी हैं?’ जवाब में नारायण मंद-मंद मुस्कुराता रहा, फिर प्रवचन देने लगा, ‘‘वर्दी का बेजा इस्तेमाल मत करो वरना तुम सभी पाप के भागीदार बनोगे. हम संत हैं, असत्य का सहारा नहीं लेते.’’ 4 दिसंबर 2013 को पुलिस ने 42 वर्षीय नारायण सार्इं, 29 वर्षीय कौशल और 27 वर्षीय रमेश को रोहिणी कोर्ट के ड्यूटी मजिस्ट्रेट धीरज मोर की अदालत में पेश किया. सूरत पुलिस ने सभी आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर मांगा तो विरोध करते हुए नारायण सार्इं के वकील प्रदीप राणा ने दावा किया कि उनके मुवक्किल को दुष्कर्म के मामले में फंसाया गया है. दलील दी कि नारायण सार्इं खुद कोर्ट में सरेंडर करने दिल्ली रहे थे, लेकिन क्राइम ब्रांच का कहना है कि नारायण नेपाल भागने की फिराक में था. अंत में अदालत ने तीनों आरोपियों को सूरत पुलिस को सौंप दिया.
हलचल से बातचीत करते हुए डीसीपी शोभा भूतड़ा ने बताया, ‘‘अब तक की जांच में पता चला है कि नारायण करीब 7 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक है. कई साधिकायों को वह अब तक खराब कर चुका है. उसने आश्रम में अश्लील जाल फैला रखा था. इसके सहयोगी मोहित से ऐसे कई एमएमएस मिले हैं, जिससे लगता है कि नारायण कुछ लोगों को ब्लैकमेल भी करता रहा है. सूरत की क्राइम ब्रांच इस मामले की अलग से जांच कर रही है.’’ वह आगे खुलासा करती हैं, ‘‘नारायण की पत्नी जानकी उर्फ शिल्पा ने बताया है कि यमुना नामक एक लड़की से नारायण का अवैध संबंध रहा. दोनों का एक बेटा भी है. इसीलिए उसने नारायण से दूरी बना ली और अब दोनों का तलाक का मामला इंदौर कोर्ट में चल रहा है.’’
वर्ष 2001 से 2005 की अवधि तक खुद को सार्इं का पर्सनल असिस्टेंट (पीए) बताने वाले महेंद्र चावला का कहना है कि दिल्ली की मोनिका अग्रवाल नारायण की पसंद की लड़कियां उसे मुहैया करवाती थी. नारायण का विशेष सहयोगी कौशल मूलरूप से दरभंगा बिहार का रहने वाला है, जो नारायण के सेक्स रैकेट का एक मजबूत स्तंभ है. नारायण के आश्रमों में दुष्कर्म, अवैध संबंध और महिलाओं को टॉर्चर करने की कई कहानियां दफन हैं. लड़की के लिएमलंग और कंडोम के लिएवस्तु आश्रम में कोड वर्ड था. अमीर और सुंदर लड़कियां नारायण की पहली पसंद हैं. कोई नई लड़की उसके लिए तैयार होती तो उसके लिएतिलक लगा लिया है कहा जाता और किसी नई लड़की को चुनने के लिएभोग तैयार हो गया है बताया जाता.
आगरा पुलिस के एक अधिकारी ने नाम छापने की शर्त पर बाताया कि 20 अक्टूबर 2013 को नारायण सार्इं छिपने के लिए वहां भी आया था. रामबाग निवासी लक्ष्मण सेवकानी आसाराम का भक्त है. नारायण उसके यहां रात भर रहा. उसका हुलिया बदला हुआ था. दाढ़ी-मूंछ और सिर के बाल साफ थे और भगवा वस्त्र धारण कर रखा था. दूसरे रोज नारायण कहां गया, लक्ष्मण को नहीं पता. सूत्रों की मानें तो नारायण का अगला पड़ाव राजस्थान का भतरपुर शहर था. यहां उसका एक रिश्तेदार रहता है. वह भी नारायण की बदली वेशभूषा देखकर हैरत में पड़ गया. भरतपुर का धनाढ्य और प्रभावशाली व्यक्ति है. पुलिस के पचड़े में पड़ने के लिए उसने नारायण साईं से हाथ जोड़ लिया. जयपुर के पुलिस कमिश्नर भूपेंद्र दत्त और फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर .एस.चावला ने बताया कि उनके यहां भी जांच चल रही है कि क्या नारायण सार्इं यहां आया था और किसने उसे पनाह दी थी? सूरत क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर सीएम कुंभानी को नारायण मामले में गिरफ्तार किया गया है. कुंभानी पर आरोप है कि उसने नारायण सार्इं को भागाने में उसकी मदद की और इसके लिए 5 करोड़ रुपये की घूस ली.
सूरत पुलिस के मुताबिक, आरोपी को पनाह देने के आरोप में 8 दिसंबर को फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) निवासी दो लोगों- सत्य शिव प्रकाश और नीलकमल सुंदरम को हिरासत में लिया गया है. उत्तर प्रदेश के सीतापुर और ग्रेटर नोएडा, उत्तराखंड में हरिद्वार, गुजरात में बलसाड और दरभंगा बिहार में भी जांच चल रही है कि क्या नारायण वहां आया था. बहरहाल, इसमें दो राय नहीं कि नारायण का नेटवर्क बहुत मजबूत है. उसके समर्थन में कुछ लोग सारे मामले को एक सोची-समझी साजिश करार देते हुए धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं. इसी का नतीजा है कि करीब दो महीने तमाम कोशिशों के बावजूद देश की पुलिस नारायण का सुराग तक नहीं लगा पाई. अब पुलिस को इन सवालों के जवाब भी ढूंढने होंगे कि बरामद 129 सिमकार्ड किसके नाम पर हैं और नारायण को कैसे मिले? लड़कियों की सप्लाई करने वाली मोनिका कौन है? उसके बच्चे की मां यमुना कहां हैं और डीसीपी शोभा भूतड़ा को जान से मारने की धमकी किसने और क्यों दी?
कारोबारी की है कार
मेरठ आरटीओ कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने रेप के आरोपी और पांच लाख के इनामी नारायण सार्इं से जो कार बरामद की है, उसकी मालिक 70 , साकेत, मेरठ निवासी उद्योगपति अजय दीवान की पत्नी हैं. खुद अजय दीवान ग्रुप आॅफ इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर हैं. इन्हें आसाराम का समर्थक माना जाता है. नारायण की गिरफ्तारी के बाद से बिजनसमैन परिवार का कोई भी सदस्य घर पर नहीं मिला. दीवान के वकील विकास सोनी से संपर्क करने पर उन्होंने बताया, ‘‘अजय की मित्रता नारायण सार्इं के ड्राइवर हरियाणा निवासी रमेश से थी. उसे उन्होंने कुछ दिनों के लिए अपनी कार इस्तेमाल करने को दी थी. इसमें अजय और नेहा का कोई दोष नहीं है.’’ वहीं मोहल्लेवालों का कहना है कि फरारी के दौरान नारायण कुछ दिनों तक कंकरखेड़ा मेरठ स्थित आश्रम में रुका था. पुलिस को इसकी भनक लगी तो वह यहां से फरार हो गया.
बेहद शातिर है नारायण
‘‘नारायण बेहद शातिर है. पुलिस को गुमराह करने की उसने पूरी कोशिश की. उसके खिलाफ हमारे पास कई ठोस सबूत हैं. उसके दूसरे गुनाहों को भी पुलिस खंगाल रही है.’’

- राकेश अस्थाना, पुलिस आयुक्त, सूरत