शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

शिप्रा, सस्पेंश और साजिश


जितेन्द्र बच्चन
नोएडा। फैशन डिजाइनर शिप्रा मलिक ने खुद के अपहरण की रची साजिश, लेकिन कैसे? यह सस्पेंश अभी बरकरार है। सात सेकेंड की पीसीआर कॉल जरूर साजिश का हिस्सा बन गई। पिता और भाई के साजिश में शामिल होने का गहराया शक। कर्ज और प्रापर्टी के विवाद से पेरशान थी शिप्रा। बैंक की सेक्टर-18 शाखा से मिला सबसे बड़ा सुराग। 29 फरवरी की दोपहर 1.30 बजे लॉकर आप्ररेट करने गई थी शिप्रा। फिर 2.56 पर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को की थी 7 सेकेंड की आखिरी कॉल। इसके बाद नहीं हुआ किसी से कोई संपर्क।
नोएडा के बीच शहर से दिन-दहाड़े गायब हुई 29 साल की शिप्रा मलिक की घटना से दिल्ली-एनसीआर में सनसनी फैल गई। शिप्रा के पति चेतन मलिक की तहरीर पर नोएडा पुलिस ने मामले की गुमशुदगी दर्ज कर जांच-पड़ताल शुरू कर दी। शिप्रा की कार लावारिस हालत में मिली थी, इसलिए हर कोई यही समझने लगा कि उसका किसी ने अपहरण कर लिया है। हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण मामला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक जा पहुंचा। आईजी सुजीत पांडेय ने नोएडा आकर डेरा डाल दिया। गुरुवार को नोएडा पहुंची डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने केस की शुरुआती जांच में लापरवाही बरतने पर जांच बैठा दी है। जांच गाजियाबाद के एसपी क्राइम श्रवण कुमार कर रहे हैं।
29 साल की शिप्रा दिल्ली की पर्ल एकेडेमी से 2005 में फैशन डिजाइनिंग का कोर्स पूरा कर के नोएडा में बूटीक चलाती थी। वह सोमवार को अपने घर से चांदनी चौक के लिए निकली थी। रास्ते में वह अपने पति से मिली। इसके बाद शिप्रा चांदनी चौक नहीं पहुंची और न ही घर लौटी। शिप्रा की गाड़ी नोएडा में ही लावारिस पड़ी मिली। चाबी कार के अंदर थी। पति चेतन ने कॉल किया तो शिप्रा का फोन ऑफ  था। पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था कि शिप्रा को जमीन निगल गई या आसमान।
मंगलवार यानी पहली मार्च 2016 की शाम सेक्टर- 29 विजया एंक्लेव के पास शिप्रा की स्विफ्ट कार जहां मिली थी, पुलिस ने वहां घटना का नाट्य रूपांतरण किया। तब भी कोई सुराग नहीं हाथ लगा। आईजी सुजीत पांडेय ने एसटीएफ, क्राइम ब्रांच समेत कुल आठ टीमें गठित कर दीं। इसके अलावा मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए साउथ दिल्ली पुलिस, नोएडा पुलिस और यूपी एसटीएफ  के डीसीपी, एसपी, एडिशनल एसपी और डीएसपी लेवल के 18 अधिकारी तथा 90 पुलिसकर्मी अलग से दिन-रात एक करने लगे। एसपी सिटी दिनेश यादव और उनके मातहतों ने चेतन मलिक, शिप्रा के पिता सतीश कटारिया, शिप्रा के निवास सेक्टर-37 के सभी गेटों पर तैनात सुरक्षाकर्मियों सहित 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। ब्रह्मपुत्र मार्केट, सेक्टर-29 स्थित विजया एंक्लेव और सेक्टर-37 के सभी गेटों पर लगे सीसीटीवी खंगाले गए। कई स्थानों पर शिप्रा के पोस्टर लगाए गए। उसके फोटो दिखाकर लोगों से पूछा गया।
मंगलवार की रात ही पता चला कि फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद शिप्रा ने ब्रह्मपुत्र मार्केट में जो शोरूम बनाया था, उसे लाजपत नगर दिल्ली निवासी राहुल तनेजा और उसके भाई गुलशन तनेजा से किराए पर लिया गया था। कुछ दिन बाद शिप्रा का दोनों भाईयों से विवाद हो गया था। उसके बाद शिप्रा ने थाना सेक्टर-20 में दोनों भाईयों के खिलाफ डकैती का मामला दर्ज कराया था और दोनों भाइयों ने शॉप खाली करवा ली थी। एसपी सिटी यादव सोचने लगे, कहीं उसी का नतीजा तो नहीं है शिप्रा का अपहरण? और उन्होंने रात में ही गुमशुदगी के इस मामले को (परिजनों की तहरीर पर) अपहरण के केस में तरमीम करवा दिया। राहुल और गुलशन को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी।एसएसपी किरन एस ने मंगलवार रात करीब तीन बजे आला अधिकारियों केसाथ एक बैठक की। एएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर और डीएसपी डॉ. अनूप कुमार को दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को की गई कॉल रिकार्डिंग निकलवाने की जिम्मेदारी दी गई। उससे अहम सुराग मिलने की उमीद बढ़ गई। चांदनी चौक की जिस दुकान से शिप्रा बुटीक के लिए कपड़े लाती थी, वहां लगे कैमरों की फुटेज भी खंगाली गई। बुधवार की सुबह आईजी सुजीत पांडेय ने डीएनडी फ्लाई ओवर पहुंचकर सीसीटीवी कैमरों की जांच की।
3 मार्च को सेक्टर-18 स्थित आईएनजी वैश्य बैंक की शाखा से पुलिस को सीसीटीवी की एक ऐसी फुटेज मिली, जिससे अधिकारियों की आंखों में चमक आ गई। उससे यह पता चला कि अगवा होने से पहले शिप्रा ने बैंक आकर लॉकर ऑपरेट किया था। इसके बाद पुलिस ने फेसबुक, ट्वीटर और ह्वाट्सेप को खंगालना शुरू किया। परिवार के सभी मोबाइलों पर पहले से निगरानी रख रही थी, लेकिन तीन दिन बाद भी अभी तक फिरौती के लिए किसी ने कहीं से कोई कंटेक्ट नहीं किया था। ऐसे सवाल उठने लगा कि आखिर शिप्रा को अगवा करने का मकसद क्या है?
लेकिन गुरुवार की रात करीब डेढ़ बजे चेतन मलिक के मोबाइल पर आए एक फोन ने सभी को चौंका दिया। आईजी सुजीत पांंडेय, डीआईडी लक्ष्मी सिंह, एसएसपी किरन एस और एसपी सिटी दिनेश यादव तुरंत हरकत में आ गए। दरअसल वह फोन हरियाणा स्थित गुडग़ांव के सुल्तानपुर गांव के सरपंच के मोबाइल नंबर से किया गया था और खुद शिप्रा ने किया था। वह बहुत घबराई हुई थी। कॉल से सुराग मिलते ही एसएसपी किरन एस एक टीम के साथ गुडग़ांव जा पहुंचे और वहां से शिप्रा को बरामद कर लिया।
शिप्रा का कहना था, सोमवार को चार-पांच बदमाशों ने नोएडा से उसे अगवा करके अपनी कार में डाल लिया था। डीएनडी होते हुए अपहरणकर्ता लाजपत नगर पहुंचे तो वहां उसे मौका मिल गया और उसने दिल्ली पुलिस को 100 नंबर पर फोन कर दिया, लेकिन हैलो कहते ही बदमाशों ने उसका मोबाइल छीन लिया और उसके हाथ-पैर बांध दिए। ऊपर से एक बोरा डाल दिया। राजस्थान में कहां रखा, मुझे नहीं पता। बाद में वीरवार की रात बदमाश मुझे स्कॉर्पियो से फार्रुखनगर के सुल्तानपुर इलाके में फेककर चले गए। उसने पास के ग्रामीणों से मदद मांगी। ग्रामीणों ने सरपंच की सहायता से पुलिस से संपर्क किया। पहले गुडग़ांव पुलिस से कॉन्टेक्ट किया गया। उसके बाद चेतन को बताया।
शिप्रा ने अपहरण की कहानी तो बता दी, लेकिन उसके शरीर पर कहीं कोई चोट या खरोंच के निशान नहीं मिले। यह भला कैसे हो सकता था? बस यहीं पुलिस को शिप्रा की बयान में शक होने लगा। डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने खुद पूछताछ शुरू की। अंत में थोड़ी सख्ती करते ही शिप्रा टूट गई। उसने कहा कि वह कर्ज को लेकर बहुत परेशान है। परिवारिक कलह के चलते वह घर से चली गई थी। अपहरण का नाटक इसलिए किया कि किसी को उसका कुछ पता न चला। वह बहुत डिप्रेशन में आ चुकी है।
एसपी सिटी दिनेश यादव के अनुसार, शुक्रवार की भोर यानी 4 मार्च की सुबह पुलिस ने शिप्रा का मेडिकल कराया गया। इसके बाद दोबारा उससे पूछताछ की गई। तत्पश्चात मेरठ रेंज की डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया कि पारिवारिक विवाद के चलते शिप्रा अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई थी। टीवी पर अपने परेशान बच्चे और परिवार को दुखी देखकर वह वापस आ गई। अभी तक अपहरण की कोई बात सामने नहीं आई है।
शक का गहराता संकट:
हकीकत जो भी हो, लकिन शिप्रा के एक बेहद नजदीकी पर उसकी किडनैपिंग में भूमिका होने का संदेह है। पूछताछ के दौरान उसने पुलिस के सामने कई बार अपने बयान बदले हैं। पुलिस को शक है कि कहीं न कहीं इस केस में उसका हाथ जरूर है। खासतौर पर तब, जब अगवा होने से पहले शिप्रा ने बैंक लॉकर ऑपरेट किया हो। डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने भी कहा है कि इस शख्स ने लगातार अपने बयान बदले हैं और उसकी भूमिका संदिग्ध है। उससे भी पूछताछ की जा रही है।
अभी तक नहीं मिले इन सवालों के जवाब:
-शिप्रा बैंक में फोन पर बात करते हुए दाखिल हुईं। उनकी भाई से बात हो रही थी। क्या भाई को उनके लॉकर खोलने की जानकारी थी?
-डीएनडी पर शिप्रा के मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल हुआ और उनकी गाड़ी वहां से नहीं गुजरी, फिर उनकी स्विफ्ट कार सेक्टर-29 में किसने खड़ी की?
-शिप्रा के मोबाइल फोन का डीएनडी से लेकर लाजपतनगर तक इस्तेमाल किया गया है। इस दौरान करीब 15 मिनट तक इंटरनेट का यूज किया गया। आखिर वह किसके संपर्क में थी?

गहराता जा रहा है रहस्य
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शिप्रा जयपुर के पास एक आश्रम में रुकी थी। वह अपनी दुकान के विवाद और लोन को लेकर परेशान चल रही थी। साजिश में उसके भाई के शामिल होने का शक भी जताया जा रहा है। सात सेकेंड की पीसीआर कॉल भी इसी साजिश का हिस्सा थी, ताकि किसी को शक न हो।
बाक्स:
शिप्रा ने टीवी शो क्राइम पेट्रोल देखकर यह साजिश रची थी। मेडिकल जांच के दौरान उसे किसी प्रकार की कोई चोट नहीं आई है, लेकिन पुलिस शिप्रा के बयान की जांच कर रही है।
-लक्ष्मी सिंह, डीआईजी, मेरठ रेंज

सूबे में शानदार जीत हासिल करेगी सपा



आमने-सामने
59 वर्षीय मदन चौहान का पैतृक गांव मदारपुर जिला मेरठ है। गढ़मुक्तेश्वर उनका कार्यक्षेत्र रहा। इधर करीब 25 साल से नोएडा की राजनीति में भी सक्रिय हैं। उनकी जनसेवा देखकर और वेस्ट यूपी में बढ़ती मदन चौहान की लोकप्रियता को सपा सुप्रीमो भी नजरअंदाज नहीं कर पाए। पार्टी हाईकमान ने 31 अक्टूबर को मनोरंजन कर राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलवाकर इनका कद और बढ़ा दिया। सपा को इससे दो फायदे होंगे, पहला यह कि पार्टी की ठाकुर वोट बैंक पर पकड़ मजबूत होगी और दूसरा युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जानते हैं कि मिशन-2017 को सफल बनाने के लिए वेस्ट यूपी में मदन चौहान से बेहतर और कोई दूसरा प्रतिनिधि नहीं हो सकता है।


मेरठ कॉलेज से ग्रेजुएशन करने वाले गढ़ के विधायक मदन चौहान करीब 25 साल पहले नोएडा आए थे। अब यहां के सेक्टर-26 के निवासी हैं। प्रॉपर्टी और ट्रांसपोर्ट के कारोबार से भी जुड़े रहे। सामाजिक कार्यों में सक्रियता 
बढ़ती गई, फिर कांग्रेस से जुड़ गए। 1996 में वह पहली बार गढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, लेकिन 2002 में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। विधानसभा क्षेत्र गढ़ ही रहा और चुनाव में शानदार विजय हासिल की। इसके बाद मदन चौहान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जनसेवा के साथ लगातार वर्ष 2002, 2007 और 2012 में जीत की हैट्रिक लगाई। अब सरकार में मनोरंजन कर राज्य मंत्री हैं। सामने मिशन-2017 की चुनौती है तो पीछे पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों ने उनसे बहुत-सी उम्मीदें लगा रखी हैं। क्या जनता और सपा सुप्रीमो की कसौटी पर वे खरा उतर पाएंगे? क्या क्षेत्र के विकास को रफ्तार मिलेगी? कार्यकर्ताओं में बढ़ती गुटबाजी को विराम मिलेगा आदि जैसे कई मुद्दों पर मनोरंजन कर राज्य मंत्री मदन चौहान से जितेन्द्र बच्चन ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके मुख्य अंश:

-वेस्ट यूपी में सपा की नजर ठाकुर वोट बैंक पर है। क्या यही वजह है कि सीएम अखिलेश यादव ने आपको मंत्रिमंडल में शामिल किया है?
मुख्यमंत्री जी का अपना अधिकार है। वे कब क्या निर्णय लेते हैं, वही जानें। हम तो महज इतना जानते हैं कि समाजवादी पार्टी कभी धर्म और जाति की राजनीति में यकीन नहीं करती। समाज का कोई भी वर्ग हो, कोई भी जाति हो, सभी का उत्थान होना चाहिए। प्रदेश के हर कोने का विकास होना चाहिए। गरीबी, अशिक्षा और जहालत खत्म करना पार्टी और सरकार दोनों का मुख्य मिशन है ...और करीब साढ़े चार दशक बाद गंगानगरी को मंत्री पद मिला है तो इसमें गलत क्या है। सियासत का चश्मा उतारकर देखिए तो इसमें वेस्ट यूपी का ही लाभ है। स्वतंत्र प्रभार देने के लिए क्षेत्र के लोगों ने सीएम का आभार भी जताया है।

-अपनी राजनीतिक समझ और सूझबूझ से पार्टी में पकड़ बरकरार रखने में तो आप कामयाब रहे, लेकिन मंत्री बनने के बाद आपके समर्थकों और क्षेत्र के लोगों की अपेक्षा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में पार्टी हाईकमान की कसौटी पर खरा उतरना एक चुनौती नहीं है?
जनता की अपेक्षा और पार्टी हाईकमान की कसौटी पर खरा उतरना वाकई एक चुनौती है, लेकिन जनता का सहयोग करना और क्षमता के अनुसार उनके लिए लड़ाई लडऩा ही हमारा प्रथम कर्तव्य है। आखिर जनहित के लिए हमें मंत्री पद नवाजा गया है। नि:संदेह हम पार्टी और जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करेंगे। क्योंकि मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं और जनता से जुड़कर काम करने में यकीन रखता हूं।

-ब्रजघाट का विकास होगा?
हमने पहले भी कहा था और अब भी कह रहा हूं कि ब्रजघाट का हरिद्वार की तर्ज पर विकास करना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। इसके अलावा स्वच्छता अभियान को गति दिलाना, उच्च शिक्षा के संसाधन मुहैया कराना, बेहतर चिकित्सा सेवा और युवाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराने का भी हम पूरा प्रयास कर रहे हैं। एक बात और हम कहना चाहते हैं- हर काम समय के मुताबिक ही होता है। पार्टी के लिए पूरी कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी से काम करना हमारा पहला दायित्व है। पार्टी हाईकमान की ओर से जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, हम उसे बखूबी निभाने का प्रयत्न करेंगे।

-वेस्ट यूपी में कद्दावर नेता की जरूरत और ठाकुर समुदाय के प्रतिनिधित्व को देखते हुए मदन चौहान को मंत्रिमंडल में जगह तो मिल गई, लेकिन प्रदेश में हुए दंगे और बढ़ती दबंगई की घटनाओं से लगता नहीं कि मिशन-2017 में सपा को फिर सफलता मिलेगी?
दंगे कौन कराता है, सभी जानते हैं। बेनकाब हो चुकी हैं पार्टियां और उनके सांसद-विधायक। अब उत्तर प्रदेश में पूरी तरह अमन-चैन है। सपा के शासनकाल में प्रदेश दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में मंत्रिमंडल उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में अग्रसर है। प्रदेश में फिरकापरस्त ताकतों को मुंह की खानी पड़ी है। सरकार, समाज के सभी वर्गों के लिए कार्य कर रही है। प्रदेश की अवाम जनहित कार्यों से इत्तेफाक जताते हुए सपा के पक्ष में अपनी राय जता रही है। मिशन-2017 के चुनावों में सपा को भारी सफलता मिलेगी। सूबे में शानदार जीत हासिल करेगी समाजवादी पार्टी और प्रदेश को देश के सभी सूबों से विकासशील राज्य का दर्जा प्राप्त होगा।

-पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष है? सपाईयों के बीच चल रही आपसी गुटबाजी के चलते सरकार की सुविधाओं का पूरा लाभ वहां तक नहीं पहुंच पा रहा है, जिन्हें जरूरत है?
कोई गुटबाजी नहीं है। सपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसमें सभी कार्यकर्ताओं को बराबरी का दर्जा मिलता है। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पार्टी के साथ-साथ प्रदेश को भी एकता के सूत्र में पिरोए हुए हैं। उनकी कुशल कार्यशैली के बूते उत्तर प्रदेश में अमन-चैन का माहौल है तथा दबे-कुचले, पिछड़ों को सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ पहुंच रहा है। जिनकी जमीनी पकड़ नहीं है और वे धर्म-जाति की राजनीति करने में यकीन रखते हैं, वही हमारे कार्यकर्ताओं को भी तोडऩे की कोशिश करते हैं। असंतोष की बात फैलाते हैं। हमारे सभी कार्यकर्ता हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। पूरी एकता के साथ हम लोग पार्टी और सरकार की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

-क्या मंत्री बनवाने में सपा के पूर्व महासचिव अमर सिंह का आशीर्वाद प्राप्त है?
अमर सिंह जी से हमारा नाम जोडऩा गलत है। पिछले चार साल में न तो हम अमर सिंह से मिले हैं और न ही हमारी इस बीच कभी फोन पर कोई बात हुई है। हमें पार्टी से टिकट हमेशा सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और सांसद प्रोफेसर राम गोपाल यादव की मेहरबानी से मिला है। अमर सिंह से हमारी उतनी ही दूरी है जितना पार्टी की है।

-मनोरंजन कर की वसूली में लापरवाही बरती जाती है। अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार व्याप्त है?
हमारे बीच भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं है। हमने सख्त आदेश कर रखा है कि प्रदेश में मनोरंजन कर की वसूली में सक्रियता लाई जाए। तीन दिन पहले भी अधिकारियों के साथ बैठक कर वसूली में सक्रियता लाने के साथ 
निष्ठापूर्वक काम करने का निर्देश दिया है। हम इस तरह का प्लान तैयार कर रहे हैं कि लोगों को सस्ता मनोरंजन भी मुहैय्या हो और सरकार को अच्छा राजस्व भी मिले।

20 हजार का लग सकता है अर्थदंड
उत्तर प्रदेश में अब नए साल का जश्न मनाना आसान नहीं होगा। घर में जश्न मना रहे हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन यदि आप नववर्ष की पूर्व संध्या पर होटलों, क्लबों, वाटर पार्कों, रिर्सोटस, मनोरंजन पार्कों, रेजीडेंट कॉलोनियों या अन्य स्थानों पर मनोरंजन के कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं तो आप पर मनोरंजन विभाग की नजर रहेगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश के मनोरंजन कर राज्य मंत्री मदन चौहान ने विभाग के समस्त अधिकारियों तथा जिलाधिकारियों को इस संबन्ध में निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने आयोजकों को ऐसे मनोरंजक 
कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए पूर्व अनुमति प्राप्त करने के निर्देश दिए हैं। बिना अनुमति के आयोजित कार्यक्रमों के आयोजकों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी। करीब 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी वसूला जा सकता है।

मजबूती के पीछे बड़ा संघर्ष
वर्तमान में मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, सहारनपुर, हापुड़, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर और गाजियाबाद आदि की 42 विधानसभा सीटों में से छह ही पार्टी के विधायक हैं और मदन चौहान पहली बार सबसे मजबूत स्थिति में पहुंचे हैं। इसके पीछे उनका संघर्ष भी रहा है। गढ़ विधानसभा सीट किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जनाधार वाली सीट थी। बाद में राम मंदिर लहर चली तो बीजेपी की टॉप टेन सीटों में शामिल हो गई, लेकिन सपा प्रत्याशी के तौर पर मदन चौहान ने 2002 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राम नरेश रावत को पराजित कर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया। उस दौरान उन्हें 43,808 वोट मिले थे, जबकि भाजपा को महज 36,364 मत हासिल हुए। इसके बाद पिछले चुनावों में बसपा प्रत्याशी हाजी शब्बन को हराकर चौहान ने शानदार जीत दर्ज कराई। 

मुख्यमंत्री ने निभाया वादा
मदन चौहान गढ़ सीट पर तीसरी बार जीते तो 25 फरवरी 2012 को एक जनसभा में राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि वे अब इस क्षेत्र को जल्द ही लाल बत्ती से नवाजेंगे। मदन चौहान कहते हैं, देर से ही सही पर सीएम ने अपना वादा पूरा किया।