शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

शिप्रा, सस्पेंश और साजिश


जितेन्द्र बच्चन
नोएडा। फैशन डिजाइनर शिप्रा मलिक ने खुद के अपहरण की रची साजिश, लेकिन कैसे? यह सस्पेंश अभी बरकरार है। सात सेकेंड की पीसीआर कॉल जरूर साजिश का हिस्सा बन गई। पिता और भाई के साजिश में शामिल होने का गहराया शक। कर्ज और प्रापर्टी के विवाद से पेरशान थी शिप्रा। बैंक की सेक्टर-18 शाखा से मिला सबसे बड़ा सुराग। 29 फरवरी की दोपहर 1.30 बजे लॉकर आप्ररेट करने गई थी शिप्रा। फिर 2.56 पर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को की थी 7 सेकेंड की आखिरी कॉल। इसके बाद नहीं हुआ किसी से कोई संपर्क।
नोएडा के बीच शहर से दिन-दहाड़े गायब हुई 29 साल की शिप्रा मलिक की घटना से दिल्ली-एनसीआर में सनसनी फैल गई। शिप्रा के पति चेतन मलिक की तहरीर पर नोएडा पुलिस ने मामले की गुमशुदगी दर्ज कर जांच-पड़ताल शुरू कर दी। शिप्रा की कार लावारिस हालत में मिली थी, इसलिए हर कोई यही समझने लगा कि उसका किसी ने अपहरण कर लिया है। हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण मामला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक जा पहुंचा। आईजी सुजीत पांडेय ने नोएडा आकर डेरा डाल दिया। गुरुवार को नोएडा पहुंची डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने केस की शुरुआती जांच में लापरवाही बरतने पर जांच बैठा दी है। जांच गाजियाबाद के एसपी क्राइम श्रवण कुमार कर रहे हैं।
29 साल की शिप्रा दिल्ली की पर्ल एकेडेमी से 2005 में फैशन डिजाइनिंग का कोर्स पूरा कर के नोएडा में बूटीक चलाती थी। वह सोमवार को अपने घर से चांदनी चौक के लिए निकली थी। रास्ते में वह अपने पति से मिली। इसके बाद शिप्रा चांदनी चौक नहीं पहुंची और न ही घर लौटी। शिप्रा की गाड़ी नोएडा में ही लावारिस पड़ी मिली। चाबी कार के अंदर थी। पति चेतन ने कॉल किया तो शिप्रा का फोन ऑफ  था। पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था कि शिप्रा को जमीन निगल गई या आसमान।
मंगलवार यानी पहली मार्च 2016 की शाम सेक्टर- 29 विजया एंक्लेव के पास शिप्रा की स्विफ्ट कार जहां मिली थी, पुलिस ने वहां घटना का नाट्य रूपांतरण किया। तब भी कोई सुराग नहीं हाथ लगा। आईजी सुजीत पांडेय ने एसटीएफ, क्राइम ब्रांच समेत कुल आठ टीमें गठित कर दीं। इसके अलावा मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए साउथ दिल्ली पुलिस, नोएडा पुलिस और यूपी एसटीएफ  के डीसीपी, एसपी, एडिशनल एसपी और डीएसपी लेवल के 18 अधिकारी तथा 90 पुलिसकर्मी अलग से दिन-रात एक करने लगे। एसपी सिटी दिनेश यादव और उनके मातहतों ने चेतन मलिक, शिप्रा के पिता सतीश कटारिया, शिप्रा के निवास सेक्टर-37 के सभी गेटों पर तैनात सुरक्षाकर्मियों सहित 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। ब्रह्मपुत्र मार्केट, सेक्टर-29 स्थित विजया एंक्लेव और सेक्टर-37 के सभी गेटों पर लगे सीसीटीवी खंगाले गए। कई स्थानों पर शिप्रा के पोस्टर लगाए गए। उसके फोटो दिखाकर लोगों से पूछा गया।
मंगलवार की रात ही पता चला कि फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद शिप्रा ने ब्रह्मपुत्र मार्केट में जो शोरूम बनाया था, उसे लाजपत नगर दिल्ली निवासी राहुल तनेजा और उसके भाई गुलशन तनेजा से किराए पर लिया गया था। कुछ दिन बाद शिप्रा का दोनों भाईयों से विवाद हो गया था। उसके बाद शिप्रा ने थाना सेक्टर-20 में दोनों भाईयों के खिलाफ डकैती का मामला दर्ज कराया था और दोनों भाइयों ने शॉप खाली करवा ली थी। एसपी सिटी यादव सोचने लगे, कहीं उसी का नतीजा तो नहीं है शिप्रा का अपहरण? और उन्होंने रात में ही गुमशुदगी के इस मामले को (परिजनों की तहरीर पर) अपहरण के केस में तरमीम करवा दिया। राहुल और गुलशन को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी।एसएसपी किरन एस ने मंगलवार रात करीब तीन बजे आला अधिकारियों केसाथ एक बैठक की। एएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर और डीएसपी डॉ. अनूप कुमार को दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को की गई कॉल रिकार्डिंग निकलवाने की जिम्मेदारी दी गई। उससे अहम सुराग मिलने की उमीद बढ़ गई। चांदनी चौक की जिस दुकान से शिप्रा बुटीक के लिए कपड़े लाती थी, वहां लगे कैमरों की फुटेज भी खंगाली गई। बुधवार की सुबह आईजी सुजीत पांडेय ने डीएनडी फ्लाई ओवर पहुंचकर सीसीटीवी कैमरों की जांच की।
3 मार्च को सेक्टर-18 स्थित आईएनजी वैश्य बैंक की शाखा से पुलिस को सीसीटीवी की एक ऐसी फुटेज मिली, जिससे अधिकारियों की आंखों में चमक आ गई। उससे यह पता चला कि अगवा होने से पहले शिप्रा ने बैंक आकर लॉकर ऑपरेट किया था। इसके बाद पुलिस ने फेसबुक, ट्वीटर और ह्वाट्सेप को खंगालना शुरू किया। परिवार के सभी मोबाइलों पर पहले से निगरानी रख रही थी, लेकिन तीन दिन बाद भी अभी तक फिरौती के लिए किसी ने कहीं से कोई कंटेक्ट नहीं किया था। ऐसे सवाल उठने लगा कि आखिर शिप्रा को अगवा करने का मकसद क्या है?
लेकिन गुरुवार की रात करीब डेढ़ बजे चेतन मलिक के मोबाइल पर आए एक फोन ने सभी को चौंका दिया। आईजी सुजीत पांंडेय, डीआईडी लक्ष्मी सिंह, एसएसपी किरन एस और एसपी सिटी दिनेश यादव तुरंत हरकत में आ गए। दरअसल वह फोन हरियाणा स्थित गुडग़ांव के सुल्तानपुर गांव के सरपंच के मोबाइल नंबर से किया गया था और खुद शिप्रा ने किया था। वह बहुत घबराई हुई थी। कॉल से सुराग मिलते ही एसएसपी किरन एस एक टीम के साथ गुडग़ांव जा पहुंचे और वहां से शिप्रा को बरामद कर लिया।
शिप्रा का कहना था, सोमवार को चार-पांच बदमाशों ने नोएडा से उसे अगवा करके अपनी कार में डाल लिया था। डीएनडी होते हुए अपहरणकर्ता लाजपत नगर पहुंचे तो वहां उसे मौका मिल गया और उसने दिल्ली पुलिस को 100 नंबर पर फोन कर दिया, लेकिन हैलो कहते ही बदमाशों ने उसका मोबाइल छीन लिया और उसके हाथ-पैर बांध दिए। ऊपर से एक बोरा डाल दिया। राजस्थान में कहां रखा, मुझे नहीं पता। बाद में वीरवार की रात बदमाश मुझे स्कॉर्पियो से फार्रुखनगर के सुल्तानपुर इलाके में फेककर चले गए। उसने पास के ग्रामीणों से मदद मांगी। ग्रामीणों ने सरपंच की सहायता से पुलिस से संपर्क किया। पहले गुडग़ांव पुलिस से कॉन्टेक्ट किया गया। उसके बाद चेतन को बताया।
शिप्रा ने अपहरण की कहानी तो बता दी, लेकिन उसके शरीर पर कहीं कोई चोट या खरोंच के निशान नहीं मिले। यह भला कैसे हो सकता था? बस यहीं पुलिस को शिप्रा की बयान में शक होने लगा। डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने खुद पूछताछ शुरू की। अंत में थोड़ी सख्ती करते ही शिप्रा टूट गई। उसने कहा कि वह कर्ज को लेकर बहुत परेशान है। परिवारिक कलह के चलते वह घर से चली गई थी। अपहरण का नाटक इसलिए किया कि किसी को उसका कुछ पता न चला। वह बहुत डिप्रेशन में आ चुकी है।
एसपी सिटी दिनेश यादव के अनुसार, शुक्रवार की भोर यानी 4 मार्च की सुबह पुलिस ने शिप्रा का मेडिकल कराया गया। इसके बाद दोबारा उससे पूछताछ की गई। तत्पश्चात मेरठ रेंज की डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया कि पारिवारिक विवाद के चलते शिप्रा अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई थी। टीवी पर अपने परेशान बच्चे और परिवार को दुखी देखकर वह वापस आ गई। अभी तक अपहरण की कोई बात सामने नहीं आई है।
शक का गहराता संकट:
हकीकत जो भी हो, लकिन शिप्रा के एक बेहद नजदीकी पर उसकी किडनैपिंग में भूमिका होने का संदेह है। पूछताछ के दौरान उसने पुलिस के सामने कई बार अपने बयान बदले हैं। पुलिस को शक है कि कहीं न कहीं इस केस में उसका हाथ जरूर है। खासतौर पर तब, जब अगवा होने से पहले शिप्रा ने बैंक लॉकर ऑपरेट किया हो। डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने भी कहा है कि इस शख्स ने लगातार अपने बयान बदले हैं और उसकी भूमिका संदिग्ध है। उससे भी पूछताछ की जा रही है।
अभी तक नहीं मिले इन सवालों के जवाब:
-शिप्रा बैंक में फोन पर बात करते हुए दाखिल हुईं। उनकी भाई से बात हो रही थी। क्या भाई को उनके लॉकर खोलने की जानकारी थी?
-डीएनडी पर शिप्रा के मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल हुआ और उनकी गाड़ी वहां से नहीं गुजरी, फिर उनकी स्विफ्ट कार सेक्टर-29 में किसने खड़ी की?
-शिप्रा के मोबाइल फोन का डीएनडी से लेकर लाजपतनगर तक इस्तेमाल किया गया है। इस दौरान करीब 15 मिनट तक इंटरनेट का यूज किया गया। आखिर वह किसके संपर्क में थी?

गहराता जा रहा है रहस्य
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शिप्रा जयपुर के पास एक आश्रम में रुकी थी। वह अपनी दुकान के विवाद और लोन को लेकर परेशान चल रही थी। साजिश में उसके भाई के शामिल होने का शक भी जताया जा रहा है। सात सेकेंड की पीसीआर कॉल भी इसी साजिश का हिस्सा थी, ताकि किसी को शक न हो।
बाक्स:
शिप्रा ने टीवी शो क्राइम पेट्रोल देखकर यह साजिश रची थी। मेडिकल जांच के दौरान उसे किसी प्रकार की कोई चोट नहीं आई है, लेकिन पुलिस शिप्रा के बयान की जांच कर रही है।
-लक्ष्मी सिंह, डीआईजी, मेरठ रेंज

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