मंगलवार, 8 मई 2018

दुष्कर्म का बापू

-जितेन्द्र बच्चन
कथावाचक आसाराम के भक्तों को गहरा आघात! स्वयंभू 'भगवान' आसुमल हरपलाणी उर्फ आसाराम को उम्रकैद। जोधपुर की जिला अदालत ने एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने के मामले में सुनाई सजा। जुर्म के इस दलदल में आसाराम के अलावा उसके दो सहयोगियों शिल्पी और शरतचंद्र को भी अदालत ने दोषी ठहराते हुए 20-20 साल की सजा सुनाई है। बाबा के तमाम रसूख कानून के आगे बौने पड़ गए। साजिश और फरेब के बल पर बटोरी गई जिन्दगी भर की अकूत दौलत गवाहों, सबूतों और तर्कों को खरीद नहीं सकी। करीब 77 साल के आसाराम की बाकी की जिंदगी अब सलाखों के पीछ ही कटेगी।
25 अप्रैल, 2018 को सेंट्रल जेल जोधपुर में एससी/एसटी की अदालत में जज मधुसूदन शर्मा के सजा का ऐलान करते ही आसाराम का चेहरा पीला पड़ गया। वह निढाल हो गया। कल तक जो शख्स लोगों को पाप-पुण्य का पाठ पढ़ाता था, आज अपने दुष्कर्मों का अहसास होते ही फूट-फूटकर रोने लगा। साल 2013 के अगस्त महीने की 16 तारीख को आसाराम के खिलाफ यूपी के शाहजहांपुर की एक लड़की ने उसे नंगा कर दिया। कोर्ट ने एक-एक कर आसाराम को कुल छह अपराध में दोषी करार दिया है। उसका हर गुनाह साबित हुआ है। आसाराम के बचाव में खड़ी वकीलों की फौज भी पॉक्सो एक्ट के आगे छोटी पड़ गई।
धारा 370(4) के तहत अदालत ने आसाराम को दोषी पाया है। इस जुर्म के लिए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने की स्थिति में सजा एक वर्ष और बढ़ जाएगी। धारा 342 के तहत आसाराम अपराधी करार दिया गया है। इस अपराध के लिए उसे एक वर्ष का कठोर कारावास दिया गया है और 1000 रुपये का जुर्माना लगा है। जुर्माना न भरने की स्थिति में एक माह की अतिरिक्त कैद भोगनी पड़ेगी। धारा 506 के तहत आसाराम का जुर्म साबित हुआ है। इस जुर्म के लिए कोर्ट ने आसाराम को एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है और 1000 रुपये का अर्थदण्ड लगाया है। धारा 376(2) (एफ) के तहत भी उसे दोषी पाया गया। इस अपराध के लिए उम्रकैद की सजा मिली है। इसी जुर्म के लिए आसाराम पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसे अदा न करने पर एक साल का कठोर कारावास बढ़ जाएगा। धारा 376 (डी) के तहत आसाराम अपराधी सिद्ध हुआ है। इसके लिए भी आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना न भरने की स्थिति में एक साल अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी। जबकि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम की धारा 23 के तहत भी आसाराम को अपराधी पाया गया। इसके लिए अदालत ने छह माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई है।
आसाराम के गुनाहों की फेहरिश्त इतनी लंबी है कि उसको दो-दो आजीवन कारावास और 12 वर्ष 6 माह की कठोर कैद की सजा मिली है। इसके अलावा कुल तीन लाख दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। शाहजहांपुर के एसपी कृष्ण बहादुर सिंह कहते हैं, 'आसाराम पर इल्जाम और तोहमत लगाने वालों की कमी नहीं है, लेकिन खुलासा करने का साहस इस जिले की लड़की ने ही दिखाया।' लड़की के पिता का इल्जाम था कि उनकी बेटी गई तो थी बाबा के गुरुकुल में शिक्षा, संस्कार और दीक्षा की आस लेकर, लेकिन दुष्कर्मी ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा। 14 अगस्त, 2013 को  लड़की के माता-पिता अनुष्ठान के लिए बेटी को लेकर जोधपुर के आश्रम गए थे। वहां आसाराम ने उनके ठहरने का इंतजाम करवा दिया, लेकिन 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन अनुष्ठान के बहाने आसाराम ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया। लड़की ने विरोध किया तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई।
17 अगस्त को लड़की ने सारी बात घरवालों से बताई। माता-पिता पर पहाड़ टूट पड़ा। आसाराम 18 से 20 अगस्त तक दिल्ली के रामलीला मैदान में शिविर कर रहे थे। परिजनों के साथ पीड़ित लड़की दिल्ली पहुंच गई। मध्य जिला के थाना कमला मार्केट पुलिस से मिली। लड़की का मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत बयान हुआ। लड़की का मेडिकल कराया गया। दुष्कर्म की पुष्टि होते ही पुलिस ने आसाराम के खिलाफ रेप के साथ-साथ पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई के लिए मुकदमा जोधपुर पुलिस को स्थानांतिरत कर दिया।
1941 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पैदा हुए आसाराम का परिवार देश के विभाजन के समय गुजरात आ गया था। यहां करीब 10 एकड़ उपजाऊ जमीन मिल गई, जिसमें आसाराम ने अपना पहला आश्रम बनाया। सथ ही उन्होंने अपना सरनेम बापू कर लिया। आश्रम के प्रवक्ता मनीष बगाड़िया के अनुसार, दुनिया भर में आसाराम के पास 425 आश्रम, 1,400 समिति, 17,000 बाल संस्कार केंद्र और 50 गुरुकुल हैं। वहीं एक अन्य प्रवक्ता नीलम दुबे का दावा है कि भारत और विदेश में आसाराम के पांच करोड़ से अधिक अनुयायी हैं। हो भी सकते हैं, लेकिन आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं ने जो किया, वह सर्वविदित है।
आसाराम जब गिरफ्तार नहीं हुए थे, तब उन्होंने अपने एक बयान में कहा था, ‘मैं घटना के दिन आश्रम में मौजूद था, लेकिन लड़की (पीड़िता) को कुछ लोगों ने भटका दिया है। भगवान बुद्ध पर भी ऐसे आरोप लगे थे, पर सच्चाई सामने आ जाएगी। अगर वे मुझे सलाखों के पीछे डालें तो मैं हंसते हुए जेल जाना चाहता हूं। मैं जेल को बैकुंठ जैसा मानता हूं।’ लेकिन वही बैकुंठ अब आसाराम के लिए नरक बन चुका है, तभी तो जोधपुर की अदालत में उम्रकैद की सजा सुनते ही वह रोने लगे।
आसाराम पक्ष के एक वकील आर.के. नायक ने जोधपुर कोर्ट के न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा पर दबाव में फैसला करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि इस मुकदमे का ट्रायल मीडिया ने किया है। जज जबरदस्त दबाव में थे, इसलिए उन्होंने इस मामले के तथ्यों को नहीं देखा और दबाव में फैसला सुना दिया। आसाराम का पक्ष लेते हुए आर.के. नायक ने कहा कि आसाराम निर्दोष हैं। वे आसाराम को रेपिस्ट नहीं मानते। इस फैसले के खिलाफ अगर हाईकोर्ट में बात नहीं बनी तो वे उच्चतम न्यायालय तक जाएंगे।
फिलहाल, कैदी नंबर 130 के रूप में आसाराम अभी तो सेंट्रल जेल जोधपुर में एक सजायाफ्ता मुजरिम के तौर पर रहेगा। जेल सूत्रों के मुताबिक, इससे पहले आसाराम अब तक जेल में संत की हैसियत से ही रह रहा था, लेकिन अब उसकी हैसियत एक सजायाफ्ता मुजरिम जैसी ही होगी। डीआईजी (जेल) विक्रम सिंह ने बताया कि अभी तत्काल आसाराम को बैरक नंबर 2 में ही रखा जाएगा। बाद में सुरक्षा के नियमों के तहत किस बैरक में शिफ्ट करना है, उस पर विचार किया जाएगा। वहीं इसी मामले के आरोपी रहे और आसाराम के प्रमुख सेवादार शिवा और रसोइया प्रकाश को अदालत ने बरी कर दिया है। पीड़िता और उसके परिजन भी बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा है कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। अदालत के इस फैसले से लोगों की आस्था कानून में और बढ़ेगी।