सोमवार, 26 अगस्त 2013

http://jbachchan.blogspot.in/

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                      अध्यात्म और अनाचार

आसाराम के आश्रम में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म! विवादित संत ने फिर किया एक बार अपनी हरकतों से देश को शर्मसार! अब पुलिस और कानून से छिपते फिर रहे हैं बाबा! संत समाज को लगा धक्का! देश में गुस्से की लहर। घटना से तमाम भक्त आहत! कई ने बताया साजिश! क्या है सच?


-जितेन्द्र बच्चन
सत्संग कर करोड़ों में खेलनेवाले 72 साल के आसाराम बापू पर इल्जाम और तोहमत कोई नई बात नहीं है। बापू और विवादों का चोली-दामन का साथ है, लेकिन इस बार उन पर जो आरोप लगे हैं, उसने अब तक दूसरे तमाम इल्जामों को पीछे छोड़ दिया है। आरोप है एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण का। उस लड़की के शोषण का, जो गई तो थी उनके गुरुकुल में शिक्षा, संस्कार और दीक्षा की आस लेकर, लेकिन लड़की की मानें तो आसाराम ने न सिर्फ उसे निराश किया, बल्किअकेले में उसके साथ ज्यादती तक कर डाली। छिंदवाड़ा के गुरुकुल में पढ़ाई कर चुकी लड़की के माता-पिता ने इस सिलिसले में जो रिपोर्ट लिखाई है, वह बेहद संगीन है। लड़की के घरवालों को आश्रम की वार्डन ने 8 अगस्त को फोन कर बताया था कि उनकी बेटी की तबियत बिगड़ गई है और बापू ने दूर से ही मंत्र फूंककर उनकी बेटी को फिलहाल ठीक कर दिया है, लेकिन चूंकि उस पर भूत-प्रेत का साया है, उसे पूरी तरह ठीक होने के लिए बापू को अनुष्ठान करना होगा। लड़की के घरवाले बेटी को लेकर घर आ गए। बाद में अनुष्ठान के लिए बाबा से मिलने की कोशिश की, तो उन्हें बताया गया कि बाबा 14 अगस्त 2013 को जोधपुर के आश्रम में मिलेंगे। लड़की के माता-पिता अनुष्ठान के लिए बेटी को लेकर वहां पहुंच गए। वहां बापू ने उनके ठहरने का इंतजाम करवा दिया और 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन अनुष्ठान के बहाने उनकी बेटी के साथ उसी आश्रम में यौन शोषण किया। लड़की ने जब विरोध किया, तो बाबा ने उसका मुंह बंद कर दिया और जान से मारने की धमकी दी।

शिकायत के मुताबिक, लड़की डर गई थी। पूरा परिवार जब घर लौटा, तो 17 अगस्त को लड़की ने अपने घरवालों से सारी बात बताई। माता-पिता पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा। जानकारी करने पर पता चला कि 18 से 20 अगस्त तक दिल्ली के रामलीला मैदान में बापू शिविर कर रहे हैं। पीड़ित परिवार दिल्ली आकर मध्य जिला के थाना कमला मार्केट पुलिस से मिला। पुलिस भी हैरान रह गई। लड़की का मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत बयान कराया। उसमें भी पीड़िता ने आसाराम बापू पर जोर-जबरदस्ती करने की बात कही। इसके बाद लड़की का मेडिकल कराया गया। यौन शोषण की पुष्टि होते ही पुलिस ने आसाराम बापू के खिलाफ रेप (दफा- 376), छेड़खानी (दफा-354), धमकी देने (दफा- 509) और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट यानी पोस्को की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए मामला जोधपुर पुलिस को भेज दिया।

1941 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पैदा हुए आसाराम हरपालानी के पिता कोयला और लकड़ी बेचते थे। बाद में विभाजन के समय यह परिवार पाकिस्तान से गुजरात आ गया। यहां आसाराम हरपालानी को करीब 10 एकड़ उपजाऊ जमीन मिली, जिसमें उन्होंने अपना पहला आश्रम बनाया। इसके बाद जल्द ही आसाराम ने अपना सरनेम हरपालानी की जगह बापू कर लिया। आश्रम के प्रवक्ता मनीष बगाड़िया के अनुसार, आज दुनिया भर में आसाराम के पास 425 आश्रम, 1,400 समिति, 17,000 बाल संस्कार केंद्र और 50 गुरुकुल हैं। उनका दावा है कि भारत और विदेश में आसाराम बापू के पांच करोड़ से अधिक अनुयायी हैं। क्योंकि हिंदू परंपरा में संत होना समाज की अच्छाईयों से भी ऊपर होना माना जाता है, लेकिन जब एक संत पर ही बार-बार विवादों के बादल घिरने लगें, तो संत की शुचिता पर सवाल खड़े होना लाजमी है। आसाराम बापू पर यौन शोषण का आरोप असल में उन पर जड़ चुके सिलिसलेवार आरोपों की नई कड़ी है। सबसे सनसनीखेज मामला जुलाई 2008 में सामने आया था, जब आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में पढ़ने वाले दो मासूम बच्चों दिनेश वाघेला (11) और अभिषेक वाघेला (10) की लाश आश्रम के साथ से ही बहने वाली साबरमती नदी में मिली थी। इस रहस्यमयी मौत के बाद बच्चों के घरवालों ने इस घटना का जिम्मेदार आश्रम को ठहराया था और मामले की जांच कर रही पुलिस ने भी अपने हलफनामे में आश्रम में चलने वाले काले जादू और दूसरी रहस्यमयी कारस्तानियों का खुलासा किया था।

मौत का यह हंगामा थमा भी नहीं था कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के आश्रम स्कूल में साढ़े चार साल के बच्चे रामकृष्ण यादव की लाश मिली। एकदम से हड़कंप मच गया, फिर अगले ही दिन आश्रम के बाथरूम में एक और बच्चे की रहस्यमयी हालत में मौत हो गई। दिसंबर 2009 में आसाराम बापू पर उन्हीं के एक पूर्व भक्त राजू चंडोक ने अपनी हत्या की कोशिश करने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी। राजू रात में मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे, तभी दो लोगों ने हत्या के इरादे से उन पर गोली चला दी थी। इस मामले में गुजरात पुलिस ने आसाराम को नामजद किया है। राजू चंडोक का कहना है कि आसाराम बापू के आश्रम में अध्यात्म की आड़ में महिलाओं का यौन शोषण किया जाता है।

संसार को मोह-माया से मुक्त होने का प्रवचन देने वाले विवादित संत आसाराम बापू जमीन विवादों में भी उलझे हुए हैं। इन पर रतलाम में करीब 100 एकड़ जमीन कब्जा करने का मामला दर्ज है। घटना 2001 की है। मंगलया मंदिर के पास आसाराम के योग वेदांत समिति ने 11 दिन के लिए एक जमीन ली थी, लेकिन उसके बाद भी समिति ने जमीन खाली नहीं की। करीब 700 करोड़ रुपये की यह जमीन जयंत विटामिन्स लिमिटेड की है। इस जमीन के मामले में आसाराम, उनके बेटे नारायण सार्इं और कुछ अन्य लोगों को अरोपी बनाया गया है। इसके अलावा राजौरी गार्डन दिल्ली की बुजुर्ग महिला सुदर्शन कुमारी ने भी आसाराम आश्रम की दिल्ली इकाई पर आरोप लगाया है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए उसके घर की एक मंजिल आश्रम की प्रापर्टी बना दी गई।

इस तरह कभी संत आसाराम के दामन पर दाग लगा, तो कभी उनकी जुबान ने ही उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया। बाबा कई बार कुछ ऐसा बोलते रहे हैं कि विवाद खड़ा हो जाता है। दिल्ली निर्भया दुष्कर्म मामले को लेकर जब दिल्ली समेत पूरा देश बेजार था, तो 7 जनवरी 2013 को आसाराम ने ऐसा ऊटपटांग बयान दिया कि पूरे देश के लोग सन्न रह गए। बाबा का कहना था कि अगर दामिनी लड़कों को भैया कह देती और छोड़ने की बात करती तो बच सकती थी। आसाराम बापू की इस बात ने पूरे देश के लोगों की भावनाओं को आहत किया। उनके बयान पर कोहराम मच गया, तो अपने बचाव में आसाराम मीडिया पर ही तोहमत जड़ने लगे कि उनकी बात को गलत तरीके से रखा गया है। 10 अप्रैल 2012 को इंदौर में एक प्रवचन के दौरान आसारान ने अपना आपा खोकर अपने ही एक सेवादार को अपशब्द कहे। उसे पागल कहा और कपड़े उतारकर शिविर से बाहर भगाने का आदेश दे दिया।

9 अक्टूबर 2011 को दिल्ली में यमुना के किनारे एक ध्यान शिविर के दौरान बड़बोले बाबा ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बारे में कहा कि राहुल गांधी कम बुद्धि वाले बबलू हैं। 27 जून 2011 को आसाराम ने महात्मा गांधी के बारे में कहा था कि गांधी को देश छोड़कर चले जाना चाहिए था। पिछली होली के दौरान जब महाराष्ट्र का एक बड़ा इलाका भीषण सूखे की चपेट में था, उस वक्त सूरत में भक्तों के साथ होली खेली और हजारों लीटर पानी बर्बाद किया। विरोध हुआ, तो उन्होंने महाराष्ट्र में भी डंके की चोट पर होली खेली।

ताजा मामले में आसाराम के प्रवक्ता सुनील वानखेड़े का दावा है कि 15 अगस्त को बापू जोधपुर में नहीं थे। यह बापू को बदनाम करने की कोशिश है। सब विरोधियों की चाल है। खुद आसाराम बापू ने भी कहा कि जिस रात यह वारदात हुई, उस रात वह आश्रम में नहीं थे। जबकि जोधपुर के जिस फार्म हाउस में यह घटना हुई, उसके मालिक रणजीत देवड़ा ने पूछताछ में बताया कि 15 अगस्त को आसाराम बापू वहीं थे और पीड़ित बच्ची अपने माता-पिता के साथ यहां आई थी। यह खबर आते ही आसाराम बापू अपने बयान से बदल गए। उन्होंने कहा, ‘मैं घटना के दिन आश्रम में मौजूद था, लेकिन लड़की को कुछ लोगों ने भटका दिया है। भगवान बुद्ध पर भी ऐसे आरोप लगे थे, पर सच्चाई सामने आ जाएगी। अगर वे मुझे सलाखों के पीछे डालें, तो मैं हंसते हुए जेल जाना चाहता हूं। मैं जेल को वैकुंठ जैसा मानता हूं।’

आसाराम ने यह तो मान लिया कि घटना के रोज वह आश्रम में मौजूद थे, लेकिन आगे जो उन्होंने कहा वह धर्मनिषिद्ध है। अनाचार है। आसाराम जेल को वैकुंठ बताते हैं। इसका मतलब, जेल में जितने कैदी है, उन्हें किसी गुनाह की सजा नहीं मिली है? संत तो सत्य के प्रतीक होते हैं। उन्हें जांच से कैसी आंच? अगर आसाराम बापू निर्दोष हैं, तो उन्हें इस तरह के ऊल-जुलूल उदाहरण देने की क्या जरूरत है? उन्हें खुद पुलिस अधिकारी को बुलाकर अपनी सफाई पेश करनी चाहिए थी। इस देश की करोड़ों जनता बाबा के साथ होती, लेकिन वे तो लुका-छिपी का खेल खेल रहे हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक बापू मध्य प्रदेश में कहीं शरण लिए हुए हैं, फिर कौन सच है कौन झूठ, कैसे होगा इसका फैसला?

अध्यात्म की आड़ में अनाचार का खेल खेलने वाले बाबा को लेकर पूरे देश में गुस्से की लहर है। 22 अगस्त को आरोपी आसाराम बापू के खिलाफ राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रदर्शन हुए। वाराणासी और जोधपुर में बाबा के पुतले फूंके गए। दिल्ली, कोटा, और कानपुर में उनके फोटो पर जूते-चप्पलों की माला पहनाई गई। 23 अगस्त को यह मामला राज्यसभा में उठाया गया। कांग्रेस सांसद प्रभा ठाकुर ने उमा भारती के उस बयान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें आसाराम के दुष्कर्म मामले को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी से जोड़ा गया है। वहीं, 23 अगस्त को दिल्ली में बाबा के दर्जनों भक्तों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर आसाराम के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद करने की मांग की।

इस बीच पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ, जोधपुर के डीसीपी (वेस्ट) अजयपाल लांबा और इस मामले के जांच अधिकारी एसीपी चंचल मिश्रा पीड़ित लड़की को लेकर मड़ाई के उस फार्म हाउस पर गए, जहां की घटना बताई गई है। पुलिस आसाराम के खिलाफ सुबूत इकट्ठे करने में लगी है। महिला आयोग के दखल देने पर एसआईटी भी मामले की जांच कर रही है। छिंदवाड़ा में गुरुकुल की वार्डन से भी इस मामले में पूछताछ की गई है। पुलिस का कसता शिकंजा देखकर अहमदाबाद के अपने आश्रम से आसाराम गायब हो गए हैं। आश्रम के मीडिया कॉर्डिनेटर का कहना है कि उन्हें बाबा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वह एकांतवास में चले गए हैं, लेकिन आसाराम बापू यह भूल रहे हैं कि काननू से बड़ा कोई नहीं होता। जोधपुर पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। आज नहीं तो कल बाबा को अदालत के कटघरे में खड़ा होना ही होगा। क्योंकि उन पर जो आरोप हैं, वे बेहद संगीन हैं और सभी धाराएं गैर जमानती हैं।

अनुष्ठान की आड़ में आघात
मैं मूलत: शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूं। हाल में छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) स्थित आसाराम बापू के गुरुकुल में रह रही थी। 6 अगस्त 2013 को मेरी तबीयत खराब हो गई। 8 अगस्त को मेरे माता-पिता को सूचना दी गई। वे छिंदवाड़ा आ गए। उन्हें बताया गया कि तबीयत थोड़ी ठीक है, लेकिन झाड़-फूंक की जरूरत है। यह काम बापू खुद करेंगे। वे अभी जोधपुर में हैं, इसलिए आप जोधपुर चले जाएं। 15 अगस्त को हम लोग जोधपुर पहुंचे। आसाराम ने मेरे माता-पिता से कहा कि मुझे आश्रम में छोड़ दें। अनुष्ठान की जरूरत है। उसी रात आसाराम मुझे अलग कमरे में ले गए और मेरे साथ गलत काम किया, फिर जान से मारने की धमकी देकर मुझे अगले दिन छिंदवाड़ा जाने को कहा। मैं बहुत डरी हुई थी। छिंदवाड़ा न जाकर माता-पिता के साथ शाहजहांपुर चली गई। वहां सारी बात मां से बताई। उन्होंने पिता से पूरा वाकया बताया। पिताजी ने बाबा के बारे में पता किया। ज्ञात हुआ कि दिल्ली के रामलीला मैदान में 18 से 20 अगस्त के बीच सत्संग होने वाला है। हम लोग दिल्ली गए, लेकिन हमें बापू से मिलने नहीं दिया गया। परेशान होकर हम 19 अगस्त को थाना कमला मार्केट पुलिस के पास पहुंचे। मेरे साथ आसाराम ने ही गलत काम किया है। अनुष्ठान की आंड़ में आघात पहुंचाया गया है। चाहें तो कोई भी जांच करा ली जाए। (पीड़ित किशोरी का बयान)

हमले के डर से भूमिगत हुआ परिवार
25 अगस्त, 2013 को शाहजहांपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, विवादित संत आसाराम बापू पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली लड़की का पूरा परिवार हमले के डर से भूमिगत हो चुका है। पीड़ित परिवार को भीय है कि उनके घर पर बाबा के समर्थक हमला कर सकते हैं। चांदापुर रोड स्थित आसाराम आश्रम की देखभाल करने वाले इस कट्टर अनुयायी की बेटी के साथ ऐसा हुआ होगा, यह बाबा के किसी भक्त ने कभी नहीं सोचा था। वे हतप्रभ हैं। वहीं, आश्रम में मौजूद कुछ लोगों का कहना है कि यह सब बापू को बदनाम करने की साजिश है। इससे पहले भी उन्हें बदनाम कराया गया, अब फिर वही दोहराया जा रहा है। यहां तक कि मीडिया को भी खरीद लिया गया है।

और भी कई बाबा हो चुके हैं नंगे
इस तरह के विवादों में आने वाले आसाराम बापू पहले आध्यात्मिक गुरु नहीं हैं। कई नामी बाबाओं पर सेक्स सहित कई गंभीर आरोप पहले भी लग चुके हैं।
स्वामी प्रतिभानंद
प्रतिभानंद पर दीपक भारद्वाज मर्डर केस में शामिल होने का आरोप है। दीपक की उनके उनके दिल्ली के फार्महाउस में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस केस में एक के बाद एक खुलासे होने के बाद स्वामी प्रतिभानंद शक के दायरे में आए और पुलिस ने जहां-तहां उनकी तलाश करनी शुरू कर दी। प्रतिभानंद महाराष्ट्र के बीड जिले का रहने वाला है। दिल्ली पुलिस ने उसके बारे में जानकारी देने वाले को एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी।
स्वामी नित्यानंद
इसके खिलाफ कई संगीन आरोप हैं और ढेर सारे मुकदमें चल रहे हैं। दुष्कर्म और गैर कानूनी काम करने के कुछेक मामलों में नित्यानंद जेल की हवा भी खा चुका है। नित्यानंद का एक सेक्स स्कैंडल का वीडियो भी लीक हुआ था, जिसने उस पर लोगों के शक को यकीन में बदल दिया। नित्यानंद पर इल्जाम है कि वह आश्रम के हर सदस्य से एक करारनामे पर दस्तखत करवाता था। इस करारनामे के अनुसार, वह जब जी चाहे और जिससे जी चाहे, सेक्स संबंध बनाने को स्वतंत्र है। इस आरोप के बाद नित्यानंद की खूब निंदा हुई।
इच्छाधारी बाबा भीमानंद
इच्छाधारी बाबा पर सेक्स रैकेट चलाने और मर्डर कराने का आरोप है। करीब 500 लड़कियों को अपने गिरोह में काम करने को मजबूर करने का उस पर इल्जाम है। इन लड़कियों में छात्राएं, एयर होस्टेस और कई गृहणियां शामिल थीं। खुद को इच्छाधारी बताने वाले इस बाबा ने सेक्स रैकेट से ही करीब 25 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की। इसके अलावा भी इसके कई कारनामे उसकी एक डायरी से उजागर हो चुके हैं। आजकल जेल में है।
रामदेव
रामदेव पर अपने ही गुरु  को मारने के आरोप लगे, लेकिन कोई ठोस सबूत न होने की वजह से रामदेव पर पुलिस का शिकंजा नहीं कस पाया। हालांकि, इस मामले में राकेश नाम का एक व्यक्ति सामने आया था, जिसका आरोप था कि रामदेव ने ही गुरु की हत्या करने के बाद उनके शव के छोटे-छोटे टुकड़े कर नदी में बहा दिए थे। साथ ही रामदेव पर कई सारे भूमि विवाद भी चल रहे हैं। रामदेव की आय को लेकर भी कई सारे विवाद लगे और इन्हें एक बाबा न कहकर एक बिजनेसमैन कहा गया।
निर्मल बाबा
निर्मल बाबा लोगों के दुख दूर करने के काफी चटपटे उपाय बताया करते हैं। अपनी अनोखी अदाओं के कारण ही निर्मल बाबा विवादों में घिर चुके हैं। गोलगप्पे, चटनी, समोसे और चाऊमीन से निर्मल बाबा हर परेशानी का हल कर दिया करते हैं। अब इसे क्या कहा जा सकता है, परोपकार या ढोंग? निर्मल बाबा के समागमों में आने वाले हर दर्शनार्थी को दो हजार रुपये से भी ज्यादा की राशि देनी पड़ती है। इस तरह देखा जाए तो निर्मल बाबा प्रतिमाह करीब सात करोड़ रु पये महज दर्शन शुल्क लेते हैं। ये परोपकार है या कारोबार? निर्मल बाबा के खिलाफ कई अलग-अलग थानों में शिकायत की गई है, जिसकी जांच चल रही है। साथ ही इसकी वजह से बाबा के कारोबार में गिरावट भी आई है।
गुरमीत राम रहीम सिंह
सितंबर, 2008 में सिरसा (हरियाणा) के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर डेरे की एक साध्वी ने दुष्कर्म के आरोप लगाए। प्रमुख ने सारे इल्जाम बेबुनियाद बताए। बाद में मामले में सीबीआई के स्पेशल जज एके वर्मा की अदालत ने दफा 376 (रेप), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला की मर्यादा को अपमानित करने वाली भावभंगिमा बनाना या बातें कहना) के तहत आरोप तय किए, तो सभी हैरान रह गए।
सुधांशुजी महाराज
सुधांशु महाराज पर फर्जी रसीदें देकर चंदा लेने का आरोप लगा था। एक तरफ तो सुधांशु जी महाराज अध्यात्म की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर धोखाधड़ी से अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। उप पर विश्व जागृति मिशन आश्रम के नाम पर धोखाधड़ी करने व गोरखधंधा करने का भी इल्जाम लग चुका है।

आश्रम में ही थे आसाराम
यह साबित हो चुका है कि घटना वाले दिन लड़की और आसाराम बापू आश्रम में ही थे। बाकी के सुबूत आरोपी के खिलाफ जुटाए जा रहे हैं।
-बीजू जॉर्ज जोसेफ, पुलिस आयुक्त
सारा मामला झूठा है
बापू निर्दोष हैं। लड़की झूठ बोल रही है। उन्हें सोनिया और राहुल के विरोध की सजा मिली है। कांग्रेस शासित राज्यों में झूठा मामला दर्ज किया गया है।
-उमा भारती, भाजपा उपाध्यक्ष
नहीं बख्शा जाएगा
बापू के खिलाफ आरोपों में जरा भी सच्चाई है, तो कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
-अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
श्रद्धा की हत्या
दुष्कर्मी संत लादेन से कम नहीं। लादेन ने तो हजारों की हत्या की होगी, ये छद्मवेशी तो करोड़ों लोगों के श्रद्धा की हत्या कर रहे हैं।
-तरुण सागर, जैन मुनि

रविवार, 4 अगस्त 2013

आंगन में दफन लड़की

जिंदगी का उसने पहला जुर्म किया था, वह भी बेहद संगीन! उस जुर्म का राज उसने अपने सीने में दफन कर लिया, लेकिन जुर्म नहीं दफन कर सका। उसे छिपाने के लिए उसने घर के आंगन में ही उस जुर्म को हमेशा-हमेशा के लिए दफना दिया। क्या था वह जुर्म और उसका राज?


अजीत को करीब-करीब पूरा मुहल्ला जानता था। वह आईटीबीपी यानी इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस का जवान था, लेकिन उस रोज सुबह-सुबह उसके घर अजीब गहमा-गहमी देखने को मिली। इस हैरानगी की तीन वजहें थीं। पहला, उत्तर प्रदेश के इस घर में हरियाणा पुलिस क्यों आई है? दूसरा, अजीत के हाथ में हथकड़ी क्यों लगी है और तीसरा- पुलिस वाले अपने साथ कुछ मजदूर लेकर क्यों आए हैं? जितने लोग उतनी बात! हथकड़ी का सबब तो फिर भी समझ में आ रहा था कि अजीत ने जरूर कोई जुर्म किया होगा, लेकिन हरियाणा पुलिस की गिरफ्त में वह क्यों है? पुलिस उसे लेकर यहां क्यों आई है? पूरी पुलिस टीम अजीत के घर के आंगन में क्या तलाश रही है? क्या आंगन में अजीत ने कुछ छिपा रखा है? पड़ोसियों की जिज्ञासा बढ़ने लगी। महिलाओं की कानाफूसी भी तेज हो गई। हर किसी के मन में सवालों का तूफान उठ रहा था, लेकिन जवाब एक का भी नहीं मिला। क्योंकि पुलिस ने अजीत के घर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत किसी को नहीं दी। रहस्य गहराने लगा।
वाकया अलीगढ़ के (उत्तर प्रदेश) नलकूप कॉलोनी का है। पुलिस ने आंगन में पहुंचते ही अजीत से कुछ पूछा, फिर उसके बताए स्थान पर मजदूरों ने उस जगह की खुदाई करनी शुरू कर दी। उसी के साथ अजीत के दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं। पुलिस वाले बीच-बीच में उससे कुछ पूछते भी रहते। वह जैसे याद कर-कर के बता रहा था। खुदाई लगातार चलती रही। करीब घंटे भर में एक गहरा गड्ढा बन गया, लेकिन पुलिस की वह तलाश अभी पूरी नहीं हुई थी, जिसके लिए वह हरियाणा से चलकर यहां पहुंची थी और न ही उसका इंतजार खत्म हुआ। बीच-बीच में थानेदार की बढ़ती बेचैनी उसके माथे पर चुहचुहा आए पसीने से साफ नजर आ रही थी। रह-रहकर वह अजीत से सवाल-जवाब शुरू कर देता। एक घंटे बाद अचानक थानेदार की आंखों में जैसे चमक आ गई। उसने मजदूरों को हिदायत दी, ‘थोड़ा संभालकर फावड़ा चलाओ!’ अगले पल मिट्टी हटाते ही मजदूर सहमकर ठिठक गया। सामने एक लड़की का पैर था।
सभी की आंखें फटी की फटी रह गर्इं। पहले एक पैर बाहर निकला, फिर उस लड़की की पूरी लाश सामने आ गई! कमीज-सलवार में लिपटी लाश! मजूदरों के रोंगटे खड़े हो गए। पुलिस भी दंग रह गई। शव अब तक कंकाल में तब्दील हो चुका था। शायद उसे महीनों पहले यहां दफनाया गया होगा, पर सवाल था कि अर्धसैनिक बल के इस जवान के घर का आंगन कब्र में कैसे तब्दील हो गया? कौन है यह लड़की और उसका शव इस घर के आंगन में किसने दफनाया? लड़की का इस घर से या फिर अजीत से क्या रिश्ता है? अगर महरूम अजीत की कोई जानकार है, तो फिर उसे इस तरह घर के आंगन में दफनाए जाने के पीछे क्या वजह हो सकती है? कहीं ऐसा तो नहीं कि ये अजीत ही इस लड़की का कातिल है?
सवाल कई थे और राजदार महज एक- अजीत! उसने मुंह खोला, तो लोगों के होश उड़ गए। करीब नौ महीने पहले अजीत की सुनीता से पहली बार बातचीत हुई थी। वजह थी उसके मोबाइल पर आई एक मिस्ड कॉल। सुनीता की गलती से ही वह मिस्ड कॉल आई थी और तब किसी को नहीं पता था कि उसकी यही एक छोटी-सी गलती एक दिन उसकी मौत की वजह बन जाएगी। अजीत ने कॉलबैक कर पूछा था, किससे बात करनी है? कौन बोल रही हैं, आप? फिर सुनीता की शहद घोलती बातों में उसकी दिलचस्पी बढ़ने लगी।
सुनीता (22) महेंद्रगढ़ (हरियाणा) डिग्री कॉलेज में पढ़ती थी और आईटीबीपी का जवान अजीत (30) अलीगढ़ के (उत्तर प्रदेश) नलकूप कॉलोनी का रहने वाला है। उन दिनों वह ग्रेटर नोएडा में रह रहा था। हुआ यों कि सुनीता ने उस रोज अपनी एक सहेली से बात करने के लिए उसे एक मिस्ड कॉल दी थी, लेकिन गलती से वह मिस्ड कॉल सहेली के पास न जाकर अजीत के पास पहुंच गई। अजीत ने फौरन उस नंबर पर कॉलबैक किया और दोनों की बातचीत शुरू हो गई। कल तक अजीत और सुनीता दोनों एक-दूसरे से पूरी तरह अंजान थे, लेकिन बस इस एक मिस्ड कॉल ने दोनों को एक-दूसरे के करीब ला दिया। अजीत पहले से शादीशुदा था। उसकी पत्नी अलीगढ़ में रह रही थी, लेकिन अजीत ने यह बात सुनीता से छिपा रखी थी। बता देता, तो उसकी महबूबा उसके हाथ से फिसल जाती। वहीं, सुनीता यही समझती रही कि अजीत की शादी अभी नहीं हुई है। वह मन ही मन उसे अपना हमसफर मानने लगी, फिर मौका देखकर एक रोज उसने अजीत के सामने शादी का प्रस्ताव भी रख दिया।
अजीत चौंक पड़ा। खेलना-खाना और बात थी, लेकिन शादी-विवाह के बारे में तो वह सोच भी नहीं सकता था। कैसे सोचता, शादी तो उसकी पहले ही हो चुकी थी और एक बेटी का वह बाप भी बन चुका था। उसने पहले सुनीता को टालने की कोशिश की, फिर भी सुनीता जिद पर अड़ी रही तो अजीत ने उसे अपने पास बुला लिया। दोनों ग्रेटर नोएडा में किराए के एक कमरे में रहने लगे। पास-पड़ोस वाले उन दोनों को पति-पत्नी समझते थे। वे दोनों रह भी उसी तरह रहे थे। कुछ रोज बाद सुनीता फिर अजीत पर शादी का दबाव बनाने लगी, तभी एक रोज अजीत का सबसे बड़ा राज सुनीता के सामने फाश हो गया। यह राज था अजीत के पहले से शादीशुदा होने का। सुनीता के पैरों तले से जमीन सरक गई। उसने सारा घर सिर पर उठा लिया। दोनों के बीच पहले बहसबाजी होती रही, फिर सुनीता ने अपने और अजीत के रिश्ते को जमाने के सामने आम कर देने की धमकी देने लगी, ‘तुमने मुझे धोखा दिया है। मैं तुम्हें भरी पंचाचत में नंगा कर दूंगी... तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे।’
अजीत के हाथ-पांव फूल आए- अब क्या करूं? यह लड़की तो गले की हड्डी बन गई! कैसे मिले इस बला से निजात? कुछ नहीं सूझा, तो अजीत ने मन ही मन एक भयानक योजना बना डाली। दिसंबर, 2012 का महीना था। कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। अजीत की बीवी अपनी बेटी के साथ मायके गई हुई थी। घर में महज बीमार और बुजुर्ग पिता मौजूद थे। अजीत ने 9 दिसंबर को सुनीता को अलीगढ़ बुला लिया। वह जाना नहीं चाहती थी, लेकिन अजीत ने उसे धोखे से बुलाया। सुनीता को क्या पता था कि आज की रात उसकी आखिरी रात होगी। अजीत ने पहले तो सुनीता को खूब प्यार किया। उसके बाद उसका गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी। अब महज शव ठिकाने लगा था, जिसे अजीत ने रातोंरात घर के आंगन में ही एक गड्ढा खोदकर उसमें दफन कर दिया। सोचा था उसे जुर्म करते हुए किसी ने नहीं देखा है। किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। सारा राज उसके सीने में जिंदगी भर दफन रहेगा।
अजीत और उसकी माशूका की ये कहानी वाकई शायद कभी जमाने के सामने नहीं आती, लेकिन एक रोज पुलिसवालों को एक मोबाइल फोन से ही उसकी करतूतों की भनक लग गई। ये शायद सुनीता की तकदीर ही थी, जिसने उससे एक ऐसा मिस्ड कॉल करवाया कि वह सीधे कब्र में पहुंच गई। मिस्ड कॉल से कातिल तक पहुंचने का यह सफर उसने कुछ सेकेंड में पूरा कर लिया, लेकिन इस कब्र के राज तक पहुंचने में पुलिसवालों को पूरे नौ महीने लग गए। हुआ यूं कि सुनीता के घरवाले महेंद्रगढ़ में बेटी को ढूंढ़-ढूंढ़कर थक गए, तब भी उसका कुछ नहीं पता चला, तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने सुनीता की गुमशुदगी दर्ज कर ली, किंतु उसे तलाशने की जहमत नहीं उठाई। धीरे-धीरे आठ महीने बीत गए। इसके बाद घरवालों ने पुलिस पर फिर दबाव बनाना शुरू कर दिया, तो पुलिस ने सुनीता के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई। इसके बाद अजीत से सुनीता की हुई बातचीत और मौत के पहले तक उसकी लोकेशन पता चल गई।
महेंद्रगढ़ (हरियाणा) पुलिस ने अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक असीम अरुण और पुलिस अधीक्षक (नगर) मान सिंह चौहान के सहयोग से अजीत को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में पहले तो अजीत पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करता रहा, लेकिन सख्ती बरतते ही उसने सारा राज उगल दिया। सुनीता की लाश बरामद हो गई। पुलिस ने सड़े-गले शव को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया। परिजनों ने कपड़ों और कुछ ज्वेलरी से बेटी की पहचान कर दी। बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, तो इस बात का खुलासा हो गया कि सुनीता की हत्या गला घोंटकर की गई थी। आरोपी अजीत अब जेल में है। उसकी पत्नी और बेटी अनाथ-सी हो चुकी हैं। सच है, जुर्म कभी नहीं छिपता चाहे वह सात ताले के अंदर ही क्यों न किया जाए।


15 मार्च, 2012 को अखिलेश यादव ने प्रदेश की बागडोर संभाली थी, तो पहला वादा यही किया था कि राज्य में जुर्म की तस्वीर बदल कर रख देंगे। तस्वीर सच में बदली, पर अच्छी होने के बजाए और खराब हो गई। उनके राज्य के पहले साल में ही तीन हजार से ज्यादा मर्डर, हजार के करीब रेप, हजार से ज्यादा अपहरण और चार हजार से ज्यादा लूट की घटनाएं हुर्इं। राज्य की जनता बेहाल है। लोग पूछ रहे हैं, अखिलेश साहब! आखिर प्रदेश में किसका राज है? पुलिस लाचार और दरिंदों का लगातार अत्याचार बढ़ रहा है। लखनऊ से लेकर इटावा, प्रतापगढ़ से लेकर बुलंदशहर तक लोग बेहाल हैं। वारदात इतनी खौफनाक कि रूह कांप जाए और आप हैं कि बस वादे पर वादे किए जा रहे हैं। सुनीता के ही मामले को देख लें, पहले लड़की को प्रेम-जाल में फंसाया गया, फिर उसे धोखे से प्रेमी ने कमरे में बुलाया। वहां प्रेमी ने उसके साथ पहले मनमानी की, फिर अपने ही घर के आंगन में उसे दफन कर दिया। यह जान-सुनकर और भी हैरानी बढ़ जाती है, जब पता चलता है कि कत्ल करने वाला कोई और नहीं बल्कि आईटीबीपी पुलिस का जवान है। इसके अलावा भी कई ऐसे मामले हैं, जिसे जानकर रूह कांप उठती है। मुख्यमंत्री के गृह जनपद सैफई के मेडिकल कॉलेज में बिस्तर पर पड़ी लड़की की साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया, फिर उसे जिंदा जलाने की कोशिश की गई। करीब 90 फीसदी से ज्यादा जल चुकी है। जिंदगी दोबारा मिलने की संभावना न के बराबर है। इस मामले के सभी सात आरोपी फरार हैं और कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। राज्य के आला पुलिस अधिकारी मामले की लीपापोती में लगे हैं, जबकि जिले का पुलिस महकमा सिर्फ केस दर्ज कर मामले से पल्ला झाड़ने की जुगत में है। ताज्जुब होता है कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के राज में अपराधी बेखौफ हो चुके हैं, जबकि पुलिस सुस्त और लाचार! पीड़ा होती है उस बयान को सुनकर भी, जब सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता कहते हैं कि ऐसी घटनाएं तो देश के दूसरे राज्यों में भी होती हैं।


कानून को धता देना आसान नहीं : असीम अरुण, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अलीगढ़
सुनीता और अजीत दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन आगे चलकर दोनों के रिश्ते बहुत खराब हो गए। दअरसल, अजीत की माशूका ने उसके शादीशुदा होने का राज जान लिया था। लेकिन अगर इस प्रेम कहानी का पता अजीत की पत्नी को चलता, तो अजीत की जिंदगी तबाह हो जाती। अपने प्रेम-संबंधों का राज अजीत हरहाल में छिपाए रखना चाहता था। जबकि इसी राज की बात कहकर सुनीता उस पर शादी करने दबाव बनाने लगी। फिर एक वक्त ऐसा आया, जब अजीत को अपनी माशूका से पीछा छुड़ाने के लिए उसे मौत के घाट उतारना ही मुनासिब लगा और बस उसी इरादे से पहले तो उसने सुनीता का गला घोंट कर कत्ल किया, फिर दुनियावालों की निगाहों से बचने के लिए उसने अपने ही घर के आंगन में उसे दफन कर दिया। पर यह भूल गया कि पुलिस और कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। कभी कोई अपराधी कानून को धता देने में कामयाब नहीं हो सकता। उसे उसके असली मुकाम तक पहुंचाना हमारी पुलिस का पहला काम है।
-जितेन्द्र बच्चन

सियासत और सेक्स स्कैंडल


कत्ल. सेक्स. ठगी केरल के सोलर घोटाले में किसी बड़े स्कैंडल के तमाम पहलू हैं। प्रदेश और केंद्र के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों समेत यूडीएफ के कई नेताओं को सरिता के सैकड़ों फोन करने की ही तर्ज पर अब राज्य के गृह मंत्री तिरुवंचुर राधाकृष्णन और केंद्रीय श्रम राज्यमंत्री कोडिकुन्निल सुरेश की शालू से दोस्ती ने राज्य की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। इनसे निबटना मुख्यमंत्री ओमन चांडी की 24 महीने पुरानी सरकार के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।




सत्तारूढ़ यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के साथ गहरे संपर्क रखने वाली सरिता एस. नायर (35) की गिरफ्तारी के महीने भर बाद 5 जुलाई को उतने ही गहरे सियासी संपर्कों वाली एक डांसर-एक्ट्रेस शालू मेनन (28) को घोटाले से जुड़े एक और मामले में धर-दबोचा गया। दोनों ही घोटाले के पहले आरोपी बीजू राधाकृष्णन (38) की सहयोगी थीं। बीजू को 17 जून, 2006 में हुई अपनी बीवी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 5 जुलाई को कारोबारी आर. श्रीधरन नायर के इस खुलासे के बाद चांडी भी घोटाले की लपेट में आ गए हैं कि उसे 9 जुलाई, 2012 को सरिता मुख्यमंत्री कार्यालय लेकर गई थी। वहां चांडी ने नायर को बीजू और सरिता की फर्जीवाड़ा करने वाली फर्म टीम सोलर रिन्यूएबल एनर्जी सोल्यूशंस में 40 लाख रु. का इन्वेस्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया। सरिता के खिलाफ नायर की शिकायत पर मुख्यमंत्री के निजी सहायक तेन्नी जोप्पन को 28 जून को गिरफ्तार कर लिया गया। राज्यभर के लोगों से मिली शिकायतों के आधार पर बीजू और सरिता के खिलाफ 40 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। लोगों का आरोप है कि 2011 से 2013 के बीच उन्हें सोलर पैनल लगाने या केरल और तमिलनाडु में सोलर तथा पवन (विंड) फार्मों (जो कहीं थे ही नहीं) में इक्विटी देने के फर्जी प्रस्तावों के जरिए ठगा गया। घोटाले का खुलासा एर्नाकुलम जिले के एक कारोबारी के. सज्जाद की शिकायत पर 3 जून को सरिता की गिरफ्तारी के बाद हुआ। सज्जाद का कहना था कि सरिता ने सोलर पैनल लगाने के नाम पर उससे 40 लाख रु. ठग लिए हैं। विशेष जांच दल (एसआइटी) के प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ए. हेमचंद्रन कहते हैं, “गिरफ्तार किए गए सभी लोगों के खिलाफ स्पष्ट और अकाट्य सबूत हैं।”
खनन और स्टोन क्रैशिंग इकाइयां चलाने वाले श्रीधरन नायर ने फस्र्ट-क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने हलफनामे में कहा कि सरिता उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय उस वक्त ले गई, जब उन्होंने उसे 40 लाख रु. में से 15 लाख रु. की तीसरी किस्त का भुगतान करने से मना कर दिया। 25 लाख रु. देने के एक साल बाद भी सरिता और बीजू ने प्रस्तावित सोलर प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं किया था। संयोग नहीं है कि नायर पतनमतिट्टा जिले के एक कांग्रेसी नेता हैं। वे कहते हैं, “जब हम मुख्यमंत्री से मिले तो उन्होंने सरिता की साख का जिम्मा लिया और मुझे पलक्कड़ की अपनी फैक्ट्री में एक सोलर पैनल लगाने का काम उसे सौंपने के लिए प्रोत्साहित किया।” विपक्षी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और बीजेपी ने चांडी के इस्तीफा की मांग करते हुए बड़ा अभियान छेड़ दिया है, लेकिन चांडी सभी आरोपों से इनकार करते हुए सिर्फ इतना स्वीकार करते हैं कि श्रीधरन नायर उनसे दो बार मिले थे। उनका कहना है, ‘‘वह मुलाकात तो मगर सिर्फ खनन से संबंधित कुछ मुद्दे मेरी जानकारी में लाने के लिए हुई थी। सोलर मसले से उसका कोई लेना-देना नहीं था।”
चांडी का दावा है कि उन्हें याद नहीं कि नायर के साथ सरिता थीं या नहीं। उन्होंने मुलाकात की सीसीटीवी फुटेज पेश करने से भी मना कर दिया। वे कहते हैं, “मेरे दफ्तर से सिर्फ एक लाइव वेबकास्ट ही होती है और कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।” उनके सियासी गुरु, केंद्रीय रक्षा मंत्री एके एंटनी ने उन्हें क्लीन चिट देने में रत्ती भर भी देरी नहीं की। 9 जुलाई को कोच्चि में एंटनी बोले, “सरकार में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा। प्रदेश में राजनैतिक संकट नहीं है. जांच चलने दीजिए।”
5 जुलाई को गिरफ्तार की गई शालू मेनन टीवी सीरियल और फिल्मों की ऐक्ट्रेस है और वह तिरुवनंतपुरम क्षेत्र से केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) के 64 सदस्यीय सलाहकार पैनल में भी है। उन्हें तिरुवनंतपुरम के एक एनआरआइ कारोबारी रसीत अली की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया। अली का आरोप था कि शालू और बीजू ने तमिलनाडु में विंड फार्म स्थापित करने के नाम पर उनसे 75 लाख रु. ठग लिए।
अप्रैल में शालू के गृह प्रवेश समारोह में शामिल होते हुए गृह मंत्री राधाकृष्णन और केंद्रीय मंत्री सुरेश की तस्वीरें स्थानीय मीडिया में प्रकाशित हुई थीं। राधाकृष्णन कहते हैं, “यह दूसरे आयोजनों की ही तरह था। मैं हर साल ऐसे हजारों कार्यक्रमों में हिस्सा लेता हूं। मैं शालू को नहीं, सिर्फ उसके दादा को जानता था, जो थिएटर की एक जानी-मानी हस्ती थे।” केंद्रीय मंत्री सुरेश 2012 में शालू को सीबीएफसी के सलाहकार पैनल में नामित करने की बात स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं, “ऐसा मैंने एक नृत्यांगना और अभिनेत्री की प्रतिष्ठा के आधार पर किया था।”
पिछले साल शालू ने अपने जयकेरल डांस स्कूल की सात शाखाएं खोलीं और इस साल कोट्टायम के अपने पैतृक गांव चंगनशेरी में एक हवेली का निर्माण करवाया। बीजू के साथ उसके संबंध कोई राज नहीं थे, क्योंकि उन्हें अकसर सार्वजनिक रूप से एक साथ देखा जाता था। बीजू की गिरफ्तारी के बाद शालू ने मीडिया को बताया कि उसने उससे भी 20 लाख रु. ठग लिए थे, लेकिन पुलिस के दावे के मुताबिक, बाद में उसने कुबूल कर लिया कि वह बीजू की सहयोगी थी और उससे शादी करने की उसकी योजना थी। इस बीच सरिता के फोन कॉल डिटेल से पता चला है कि मंत्रियों के निजी स्टाफ के सदस्यों के अलावा वह यूडीएफ के 30 से ज्यादा बड़े-बड़े नेताओं के संपर्क में थी। इनमें दो केंद्रीय मंत्रियों समेत छह मंत्री, दो सांसद, आठ विधायक और ऐसे अन्य कई लोग शामिल हैं। ज्यादातर फोन सरिता ने खुद किए थे, लेकिन कम से कम आठ फोन सरिता को किए गए थे। इनमें से तीन फोन मंत्रियों ने किए थे।
गृह मंत्री राधाकृष्णन सफाई देते हैं, “मैंने एक अनजाने फोन नंबर से मिस्ड कॉल मिलने के बाद ही उसे फोन किया था।” सरिता के फोन पर उससे बात करने वालों में से एक, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश चेन्नीथला कहते हैं कि सार्वजनिक जीवन में होने की वजह से वे किसी को उन्हें फोन करने से मना नहीं कर सकते। 2006 में बीजू के कथित तौर पर अपनी बीवी की हत्या कर देने के बाद से तलाकशुदा सरिता उसके साथ ही रह रही थी, मगर सरिता की गिरफ्तारी के बाद बीजू ने बताया कि विधायक केबी गणेश कुमार के साथ उसके कथित अवैध संबंधों की वजह से वे दोनों अरसा पहले एक-दूसरे से मुंह मोड़ चुके थे। गणेश कुमार को अपनी बीवी के इस आरोप के बाद वन मंत्री की कुर्सी छोडऩे के लिए मजबूर होना पड़ा था कि उनके पति के किसी अज्ञात महिला के साथ नाजायज ताल्लुकात कायम हैं।
इस मामले की न्यायिक या सीबीआइ जांच कराने के लिए विभिन्न अदालतों में पीआइएल दाखिल करने की वजह से चांडी और यूडीएफ पर दबाव बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस आलाकमान हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं दिख रही। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य कोडियरी बालाकृष्णन चुटकी लेते हुए कहते हैं, “जब आलाकमान की अगुवाई वाली केंद्र सरकार खुद इससे सैकड़ों गुना ज्यादा घोटालों में गले तक डूबी हो, तो वह इसमें हस्तक्षेप कैसे कर सकती है?”