रविवार, 17 जून 2018

शशि थरूर हाजिर हो!


-जितेन्द्र बच्चन
कानून के कटघरे में शशि थरूर। उधड़ने लगीं सुनंदा पुष्कर की मौत की परतें। टूटने लगा 17 जनवरी 2014 की रात का तिलस्म। दिल्ली पुलिस का संगीन इल्जाम। कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता का चेहरा बेनकाब। करीब चार साल तक एक शख्स बड़े-बड़े अधिकारियों के लिए छलावा बना रहा। मामले की तफतीश में लगी दिल्ली पुलिस भी गच्चा खा गई, लेकिन उसी की एसआईटी के कुछ अफसरों की नजर अर्जुन की तरह सिर्फ और सिर्फ मछली की आंख पर लगी रही। तीर निशाने पर बैठा और कोर्ट में पेश तीन हजार पेज की चार्जशीट पर अदालत ने 5 जून, 2018 को संज्ञान ले लिया- शशि थरूर हाजिर हो!
5 जून, 2018 को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने दिल्ली पुलिस की एसआईटी की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कहा है, ''दलीलें सुनने के बाद इस मामले में चार्जशीट और अन्य दस्तावेजों के आधार पर केस आगे बढ़ाया जा सकता है। पुलिस की रिपोर्ट में शशि थरूर पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने और उनके साथ क्रूर तरीके से पेश आने के आरोपी हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त आधार है।'' अदातल ने शशि थरूर को 7 जुलाई को इस मामले में हाजिर होने का आदेश दिया है।
पुलिस का दावा है कि थरूर के खिलाफ आरोपों की जांच पेशेवर तरीके से की गई है और कोर्ट में वह अपने आरोपों का बचाव करेगी। वहीं थरूर के वकील विकास पाहवा ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि शशि थरूर ने कोई गुनाह किया ही नहीं है। सारा केस मनगढ़ंत है। चार्जशीट से निपटने के लिए हमारे पास सभी कानूनी रास्ते खुले हुए हैं। खुद कांग्रेस नेता थरूर ने भी एक बयान में कहा है, ''इस मामले की शुरुआत से ही मैंने जांच में पूरा सहयोग किया और सभी तरह से कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया। पुलिस की चार्जशीट मनगढ़ंत और बदले की भावना से तैयार की गई है। यह हमारी छवि धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है। आखिर में जीत सत्य की होती है।'' इससे पहले थरूर ने अपने एक ट्वीट में चार्जशीट को हास्यास्पद बताया था और कहा था- ''जो कोई भी सुनंदा को जानता था, उसे यह बात पता है कि केवल मेरे उकसाने से वह आत्महत्या नहीं कर सकती है। यह अविश्वसनीय है।''
फिलहाल, पुलिस का मानना है कि शशि थरूर के खिलाफ पर्याप्त सबूत (यथावत के 01 से 15 जून के अंक में प्रकाशित) मौजूद हैं। मार्च 2018 में आई सीक्रेट रिपोर्ट की मानें तो पुलिस को पहले दिन से पता था कि सुनंदा की हत्या की गई है। दिल्ली पुलिस के डिप्टी कमिश्नर बी. एस. जायसवाल ने जो पहली रिपोर्ट तैयार की थी, उसमें साफ तौर पर जिक्र था कि वसंत विहार के एसडीएम आलोक शर्मा ने निरीक्षण के बाद कहा था कि यह सुसाइड नहीं है। इस आधार पर सरोजिनी नगर थाना के एसएचओ को इस मामले की जांच हत्या के तौर पर भी करने को कहा था।
ज्ञात रहे कि 17 जनवरी, 2014 की रात दिल्ली के लीला होटल के कमरा नंबर 345 में सुनंदा पुष्कर संदिग्ध हालात में मृत मिली थीं। उनकी बॉडी होटल के एक कमरे में बेड पर पड़ी थी। दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की और एक साल बाद मर्डर केस दर्ज किया था। अदालत में दिल्ली पुलिस ने सुनवाई के दौरान यह भी बताया कि मौत से दो दिन पहले सुनंदा पुष्कर ने एक बेहद उदासी भरी कविता लिखी थी। उन्होंने लिखा था कि वह जीना नहीं, मरना चाहती हैं। कथित तौर पर इससे एक दिन पहले सुनंदा और पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के बीच ट्विटर पर बहस हुई थी। यह बहस शशि थरूर के साथ मेहर के कथित ‘अफेयर’ को लेकर हुई थी। पुलिस ने सुनंदा की कविता को चार्जशीट का हिस्सा बनाया है। साथ ही थरूर के नौकर नारायण सिंह को मुख्य गवाह बनाया है।
7 जुलाईको मामले की अगली सुनवाई एडिशल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) समर विशाल की अदालत में होगी। भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि वह इस केस में हस्तक्षेप याचिका दायर कर आईपीसी की धारा 201 (साक्ष्यों को नष्ट करने) और 302 (हत्या) को भी जोड़ने की मांग करेंगे। अब आगे क्या होगा, यह तो वक्त के गर्भ में है, लेकिन इतना निश्वित है कि 3000 पन्नों की चार्जशीट में सांसद शशि थरूर अकेले आरोपी हैं। इसमें आईपीसी 498ए (महिला पर क्रूरता के लिए पति या उसका कोई संबंधी जिम्मेदार) और आईपीसी 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) का जिक्र है। अगर इन दोनों धाराओं के तहत शशि थरूर दोशी पाए जाते हैं तो 498ए में अधिकतम तीन साल और दफा 306 में 10 साल की सजा हो सकती है।

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