बुधवार, 8 जनवरी 2014

           शेखावटी में लगती है दुल्हनों की बोली !





झुंझनू, सीकर और चुरु में रुपये लेकर विवाह कराने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं और देश के दूसरे राज्यों में भी इन्होंने अपना जाल फैला रखा है

जितेंद्र बच्चन

राजस्थान के शेखावटी का चौंकाने वाला सच! 21वीं सदी में भी यहां बेहिसाब बिकती हैं दुल्हनें! गलियों में, दुकानों में, गांवों में और शहरों में सजती है दुल्हनों की मंडी! कभी नौकरी के नाम पर, कभी शादी के नाम पर तो कभी-कभी घरों में काम करने वाली के नाम पर दूर-दराज के इलाकों से लड़कियों को यहां लाकर उनकी बोली लगाई जाती है. 50 हजार से शुरू होता है सौदा और तीन लाख तक पहुंच सकती है आखिरी बोली. महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पंश्चिम बंगाल के छोटे-छोटे कस्बों और गांवों की लड़कियों की भेड़-बकरी की तरह होती है खरीद-फरोख्त. बालिग हो या नाबालिग, इस धंधे में लड़की की उम्र कभी आड़े नहीं आती. रकम पूरी मिलनी चाहिए, दलाल किसी भी लड़की को किसी भी उम्र और जाति के पुरुष की दुल्हन बनने पर मजबूर कर सकता है. सबसे खतरनाक तस्वीर झुंझुनू और सीकर की है, जहां रुपये लेकर विवाह कराने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं और दूसरे राज्यों में भी उनके एजेंटों ने अपना पूरा जाल फैला रखा है.

दुल्हनों की इस खरीद-फरोख्त के काले कारोबार में राजस्थान पुलिस के कुछ अफसर भी शामिल बताए जाते हैं. अंतरराज्जीय गिरोह के लोग उन्हें बकायदा कमीशन देते हैं. तभी तो शेखावटी (झुंझुनू, सीकर और चुरु) में अब तक 5 हजार से ज्यादा दुल्हनें खरीदकर आ चुकी हैं. यह एक गैरसरकारी संस्था का आकड़ा है. रही बात सरकार और पुलिस की तो वह यह तो मानती है कि शेखावटी में दूसरे राज्यों से दुल्हनें लाई जाती हैं, लेकिन इसका कारण लिंगानुपात में कमी का होना बताया जाता है. जबकि हकीकत यह है कि यहां के तमाम कायदे-कानून दुल्हनों के दालल अपने ठेंगे पर रखते हैं. 27 दिसंबर 2013 को भी नानसा गेट (झुंझुनू) मुहल्ले में बिकने आई चार लड़कियों को पुलिस ने बरामद किया है. वाकया शाम करीब 7 बजे का है. एक युवक के साथ महाराष्ट्र की छह लड़कियां गली में घूम रही थीं. कुछ लोगों को उनके हाव-भाव पर शक हुआ. उन्होंने छिपी नजरों से पीछा करना शुरू कर दिया. युवक को अंदेशा हुआ तो वह और उसके साथ की दो लड़कियां फरार हो गए, लेकिन चार लड़कियों को लोगों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया.

पूछताछ में चारों लड़कियों का कहना था कि वे अमरावती महाराष्ट्र की रहने वाली हैं और यहां अपनी एक रिश्तेदार से मिलने आई हैं, मगर पूरा पता नहीं बता पार्इं. लोगों का कहना है कि लड़कियों को अमरावती से शादी के लिए यहां लाया गया था. मुहल्ले के कुछ कुंवारे लड़कों को उन्हें दिखाने के बाद उनकी बोली लगाई जानी थी. यह तो अच्छा हुआ कि पुलिस ने पहले ही पकड़ लिया वरना दलाल आसानी से इन लड़कियों को दुल्हन के नाम पर नीलाम कर देते. इससे पहले दिल्ली पुलिस भी एक मामले का खुलासा कर चुकी है. घटना 20 सितंबर 2013 की है. मौत से संघर्ष कर रही दो वर्षीय बच्ची फलक को एक युवती एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में दाखिल कराकर लापता हो गई. पूछने पर उसने खुद को बच्ची की मां बताया था, फिर वह लड़की को छोड़कर गायब क्यों हो गई? यह सवाल उठते ही अस्पताल प्रशासन ने थाना हौजखास के एसएचओ हरपाल सिंह को इत्तला की. उनकी जांच-पड़ताल पर पता चलाकि फलक की मां का नाम मुन्नी खातून है. वह मूल रूप से कटिहार बिहार की रहने वाली है. शराबी पति की पिटाई और आर्थिक तंगी से परेशान तीन बच्चों की मां मुन्नी एक रोज घर छोड़कर दिल्ली चली आई. उसके साथ उसकी छोटी बेटी फलक भी थी. यहां उसकी मुलाकात राजा गार्डेन की लक्ष्मी से हुई. वह लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें खरीदने-बेचने का धंधा करती है. उसका गिरोह राजस्थान में भी काम करता है. झुंझुनू की सरोज, कोटपुतली की कांता चौधरी और हरियाणा का शंकर लक्ष्मी के गिरोह के मेंबर हैं. ये लोग जरूरतमंद लड़कों को दुल्हन बेचने का काम करते हैं.

मुन्नी, लक्ष्मी और उसके गिरोह की असलियत जान नहीं पाई. लक्ष्मी ने पहले उसके प्रति सहानुभूति जताकर उसका दिल जीता, फिर तरह-तरह के सब्जबाग दिखाकर उसे दूसरी शादी करने के लिए राजी कर लिया. सरोज ने योजना के अनुसार झूठ बोलते हुए बताया कि भड़ौंदा में उसका भांजा हरपाल सिंह रहता है. अच्छा कमाता-खाता है. उसकी पत्नी की मौत हो चुकी है. कोई बच्चा नहीं है. तुम चाहो तो तुम्हारी शादी के लिए हम उससे बात कर सकते हैं. मासूम फलक का मुंह देखकर मुन्नी ने हामी भर दी. हरपाल के साथ उसकी शादी हो गई. सरोज ने हरपाल से मुन्नी का नाम अनीता बताया था. बाद में भेद खुला तो पता चला कि मुन्नी मुसलमान है. लक्ष्मी ने हरपाल से उसका एक लाख रुपये में सौदा किया है. हरपाल सरोज का भांजा नहीं बल्कि उसे एक दुल्हन की दरकार थी और वह किसी लड़की को खरीदना चाहता था. इसके लिए उसने गिरोह की एजेंट सरोज से संपर्क किया और सरोज ने लक्ष्मी और शंकर के साथ मिलकर मुन्नी उर्फ अनीता को हरपाल के हाथ बेच दिया.

हरपाल तब भी मस्त था, लेकन एक रोज जब पता चला कि मुन्नी ने नसबंदी करा रखी है और अब वह उसके बच्चे की मां नहीं बन सकती तो हरपाल एकदम से तिलमिला उठा- यह तो फरेब है! हमारे साथ धोखा किया गया है. मुन्नी ने सफाई देनी चाही तो हरपाल ने उसकी एक न सुनी और मार-पीटकर उसे घर से निकाल दिया. उसी लड़ाई-झगड़े में मासूम फलक गंभीर रूप से घायल हो गई. मुन्नी बेटी को लेकर दिल्ली चली आई. यहां लक्ष्मी की बड़ी लड़की ने फलक को एम्स में ले जाकर भर्ती करा दिया. सोचा था, मुन्नी अगर अस्पताल गई तो उसकी जुबान लड़खड़ा सकती है. किसी को असलियत पता चल गई तो उसके साथ-साथ वह भी पकड़ी जाएगी. पर हुआ यह कि लक्ष्मी की जो लड़की फलक को एम्स ले गई थी, वह अस्पताल से ही अपने प्रेमी के साथ भाग गई और थाना हौजखास पुलिस मां की तलाश करते-करते मुन्नी खातून तक जा पहुंची. इसके बाद सारे मामले का पर्दाफाश हो गया.

दिल्ली पुलिस ने आरोपी हरपाल सिंह, लक्ष्मी, सरोज, शंकर और फरेब करने के इल्जाम में मुन्नी को •ाी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि हरपाल सिंह के मामले में झुंझुनू के अमर सिंह ने दलाल की भूमिका निभाई थी. वह अब तक शेखावाटी क्षेत्र में 30-35 लड़कियों को शादी के लिए बेच चुका है. उसका संपर्क गिरोह की मेंबर कांता चौधरी से है, जो जयपुर राजस्थान की रहने वाली है. कांता के खिलाफ थाना बहरोड़ में 2, कोटपुतली में 2 और वानापुर में एक दुल्हन बेचने का मामला दर्ज है. इससे पहले एक बार थाना वसंत कुंज (दिल्ली) पुलिस कांता को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद वह फिर से इसी धंधे में उतर गई. अब पुलिस उसके साथ-साथ दलाल अमर सिंह को भी तलाश रही है.

शेखावटी में दलालों ने पूरा जाल बिछा रखा है. करीब दो साल से लड़कियों की खरीद-फरोख्त में लगे एक दलाल ने अपना नाम-पता न उजागर करने की शर्त पर बताया, ‘‘सबसे सस्ती दुल्हन की कीमत 50 हजार रुपये है. इसमें 35 हजार रुपये बाहर के एजेंट का होता है और 15 हजार रुपये हमारा. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी डिमांड एकदम अलग होती है. एक बार एक अधिकारी महोदय टकरा गए. उनका कहना था, ‘दुल्हन सुंदर और कमउम्र होनी चाहिए.’ ऐसी लड़की के लिए कम से कम दो लाख रुपये खर्च हो सकते हैं. एजेंट के माध्यम से लड़की मंगाई जाती है. कई बार लड़की के किसी नाते-रिश्तेदार को भी पटाने के लिए उसे रुपये देने पड़ते हैं. ग्राहक को मंदिर या किसी होटल में लड़की दिखाई जाती है. पसंद आने पर सौदा तय होता है, फिर पूरी रकम लेकर दोनों की शादी करा दी जाती है.’’

दलाल ऐसे बता रहा था जैसे किसी गाय-भैंस को बेचने की बात कर रहा हो. हमारे पूछने पर उसने इस पेशे से जुड़े कुछ और भी खुलासे किए. ‘‘जो ज्यादा पैसे वाले होते हैं, उनकी डिमांड वेल मेंनटेन लड़की की होती है. इसीलिए मुंहमांगी कीमत अदा करते हैं. ऐसी लड़कियां फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती हैं और कहीं भी जाने को तैयार होती हैं. यानी घर में दुल्हन और होटल में गर्लफे्रंड का बाखूबी रोल अदा करती हैं. इस तरह की लड़कियों की आपूर्ति हम दार्जिलिंग और शिलांग के एजेंटों के माध्यम से करते हैं. उन्हें कोई हिचकिचाहट नहीं होती. असम की कुछ लड़कियां इतनी तेज-तर्रार होती हैं कि शादी के लिए खुद अपना सौदा करती हैं.’’

मुकुंदगढ़ थाना प्रभारी युसुफ अली के मुताबिक, पहली जून 2013 को एक मुखबिर की सूचना पर डूंडलोद (जिला झुंझुनू) निवासी सलीम को 14 वर्षीया लड़की को बंधक बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. मानव तस्करी निरोधक सेल झुंझुनू के प्रभारी अरविंद सिंह चारण ने जब उससे पूछताछ की तो पता चला कि लड़की मूल रूप से अमरावती महाराष्ट्र की रहने वाली है. करीब 10 दिन पहले सलीम उसे बहला-फुसलाकर लाया था. इस बीच एक रोज वह लड़की को लेकर सीकर गया और वहां के सुरेश ने उसे अपनी दुल्हन बनाने के लिए डेढ़ लाख में उसे खरीद लिया. एक लाख 10 हजार रुपये भी दे दिए. शेष रकम शादी के बाद देने को कहा था, लेकिन उसके पहले ही लड़की को हकीकत पता चल गई तो वह रोने लगी. उसने खाना-पानी छोड़ दिया. पुलिस ने सुरेश को भी गिरफ्तार कर लिया है. अदालत के आदेश पर दोनों आरोपी जेल में है और पीड़िता नारी निकेतन में रह रही है.

खुड़ाना के मुकेश और रोहतक की सुनीता को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. आरोप है कि सुनीता को मुकेश ने दुल्हन के लिए खरीदा था. शादी कराने वाले गिरोह ने मुकेश के परिजनों से लड़की को अविवाहित बताया था, जबकि सुनीता पहले से विवाहित है और उसका एक बच्चा भी है. सूत्र बताते हैं कि झुंझनू, सीकर और चुरु के 300 से अधिक गांवों में बंगलादेश की तमाम लड़कियां दुल्हन बनकर रह रही हैं. इन लड़कियों ने अपनी असलियत छिपाते हुए नाम और जाति बदलकर शादी की है. इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा है. चुरु के 65 वर्षीय बुजुर्ग मानिक चंद बताते हैं, ‘‘शेखावटी में लड़कियों की कमी है. भ्रूण हत्या के चलते यहां के लिंगानुपात में बहुत फर्क आया है. क्षेत्र की जो लड़कियां हैं, वे शिक्षा में अव्वल हैं और अधिकतर सरकारी नौकरी में हैं. इलाके के बेरोजगार और अशिक्षित युवकों के साथ यहां की लड़कियां शादी करने को कतई राजी नहीं होतीं. ऐसे में लड़के बिना शादी के बहुत दिन तक पड़े रहते हैं. गरीब तबके के जो लोग हैं, उनकी शादी 30-35 साल बाद भी नहीं होती. उन्हें दुल्हन मिलनी मुश्किल हो जाती है. ऐसे में शादी के लिए यहां के लोग दलालों के माध्यम से दूसरे राज्यों की लड़कियां खरीदते हैं. कुछ की घर-गृहस्थी अच्छी चल रही है, लेकिन कुछ परिवार इन बाहरी दुल्हनों की धोखाधड़ी के शिकार भी हुए हैं. कई घटनाओं में शादी के दूसरे रोज ही दुल्हन रु. और जेवरात लेकर भाग गई. इसमें दलालों की मिली•ागत होती है. पहले तो लड़केवालों को दलाल तरह-तरह के झांसे देते हैं. उसके बाद लड़की की जो कीमत लगती है, उसमें भी उनका मोटा कमीशन होता है. खासकर महिलाएं इस पेशे से ज्यादा जुड़ी हैं. पुलिस कार्रवाई के साथ-साथ समाज को भी इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा, तभी ऐसी घटनाओं पर रोक लग पाएगी.’’

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा का दुल्हनों की खरीद-फरोख्त मामले में कहना है कि संबंधित पक्षों से रिपोर्ट मांगी गई है. राजस्थान पुलिस को आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए भी लिखा गया है. 6 जनवरी 2013 को फोन पर हुई बातचीत में झुंझनू के पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप का कहना है, ‘‘करीब पांच महीने पहले उन्होंने चार्ज लिया है. एक-दो मामले संज्ञान में आए हैं पर इसके पीछे की हकीकत यह है कि अधितर लोग पुलिस का सहयोग नहीं करते. उसके कई कारण हो सकते हैं. फिर भी हम तहकीकात करवा रहे हैं. अगर कहीं इस तरह का वाकया पेश आया है तो अवश्य कार्रवाई होगी.’’ दुल्हनों की खरीद-फरोख्त में कई थानेदारों की मिलीभगत के सवाल पर एसपी का कहना था, ‘‘अगर ऐसा है तो पीड़ित को हमसे संपर्क करना चाहिए. पुलिस का जो भी अफसर होगा, अगर वह गलत कार्यों में लिप्त है तो उसके खिलाफ मामला बनता है तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे.’’

सीकर के पुलिस अधीक्षक हैदर अली जैदी और चुरु के एसपी राहुल कोटोती भी इस बात को मानते हैं कि शेखावटी में दूसरे राज्यों की लड़कियां शादी के बाद यहां आई हैं. इन जिलों में लड़कियों की कमी है, इसलिए यहां के लोगों की उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, पंजाब आदि राज्यों की लड़कियों के साथ शादी करना मजबूरी है. कुछ मामले दुल्हनों की खरीद-फरोख्त का भी पता चला है. उनकी एफआइआर दर्ज करवाने के बाद आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है. किंतु दोनों में से कोई भी पक्ष तभी पुलिस के पास आता है, जब कोई मामला बिगड़ जाता है. कुछ ऐसे भी मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें शादी के बाद दुल्हन नकदी और जेवरात लेकर फरार हो गई. उन केसों की जांच चल रही है. हम भी यही चाहते हैं कि कार्रवाई हो और दुल्हनों की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगे.

आरोपियों को तलाश रही पुलिस

14 नवंबर 2013 को झुंझुनू जिले के पचेरी थाना इलाके के पचेरी कलां गांव की एक दुल्हन शादी की पहली रात ही नकदी और जेवरात लेकर भाग गई. मामले के विवेचनाधिकारी सज्जन सिंह के अनुसार, मामले की तफ्तीश की जा रही है. पिचानवा गांव, चिड़ावा कस्बा जिला सीकर में भी सत्यवीर की दुल्हन शादी के 10 दिन बाद भाग गई. दुल्हन का नाम आरती था. सत्यवीर के घर वाले उसके मायके मथुरा पहुंचे. वहां पता चला कि आरती का नाम-पता सब फर्जी है. सत्यवीर और उसके घर वाले माथा पीटकर रह गए. झुंझुनू जिले के भेडकी गांव के महेश की दुल्हन बबीता भी शादी के 17 दिन बाद जेवरात आदि लेकर फरार हो गई. बाद में महेश की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर बबीता को लुधियाना से गिरफ्तार कर लिया. उसका असली नाम सुखविंदर कौर है. उसे बबीता के नाम से महेश के साथ शादी करवाने वाले बाकरा गांव के पवन जाट को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उसने दुल्हन के बदले में महेश से 1 लाख 20 हजार रुपये लिए थे. अब जेल में है.

चुरु जिले के थाना पिलानी पुलिस ने भी शादी के नाम पर ठगी करने का एक मामला दर्ज किया है. डुलानिया निवासी राजकुमार ने सूचना दी थी कि इंडोल (हिसार) के जितेंद्र, बूचावास (तारानगर) की सावित्री, रेवत और पदमपुर (गंगानगर) की पूजा ने 8 मई 2013 को उसके •ााई अमित की ज्योति नामक लड़की के साथ शादी कराने के लिए 1 लाख 30 हजार रुपये लिए थे. 12 मई को दोनों की शादी हो गई, लेकिन 13 मई की रात दुल्हन घर में रखे 60 हजार की नकदी और करीब 2 लाख के जेवरात लेकर फरार हो गई. पुलिस आरोपियों को तलाश रही है.

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