शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

                         एक सुनंदा, सैकड़ों सवाल



किसी खूबसूरत पहेली की तरह थीं सुनंदा. ऐसी पहेली, जो हमेशा सुलझी दिखती थी, लेकिन अनसुलझी ही इस दुनिया से विदा हो गर्इं. बाकी रह गए कई पोशीदा राज, सवाल और उनके जवाब.

इसे तकदीर का सितम कहें या फिर कुछ और, सुनंदा पुष्कर जीते जी जितनी सुर्खियों में रहीं, अब मौत के बाद भी वे उतनी ही सुर्खियों में हैं. कश्मीर मूल की कनाडाई नागरिक सुनंदा की जिंदादिली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महिलाओं पर लिखी प्रसून जोशी की एक कविता वह अक्सर गुनगुनाती रहतीं- ‘नारी हूं मैं, मजबूरी या लाचारी नहीं. खुद अपनी जिम्मेदारी हूं मैं, नारी हूं मैं.’ जिन मुद्दों पर बड़े-बड़े नेता बयान देने से बचते हैं, उन पर सुनंदा बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखतीं. किसी ने सपने में नहीं सोचा होगा कि इतनी तरक्कीपसंद महिला का अंत इस तरह होगा. 17 जनवरी 2014 की रात दिल्ली के होटल लीला से मौत की एक ऐसी पहेली बाहर निकली, जो अब सुलझाए नहीं सुलझ रही है. 20 जनवरी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से यह बात भी साफ हो गई कि सुनंदा की मौत दवा के ओवरडोज से हुई है. यानी दवा जहर बन गई, लेकिन दवा का ओवरडोज सुनंदा ने जान-बूझकर लिया या फिर अनजाने में? इसे खुदकुशी कहेंगे या फिर गलती से हुई मौत, यह सवाल अब भी बरकरार है.

52 साल की सुनंदा की पहचान सिर्फ केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री शशि थरूर की पत्नी तक ही सीमित नहीं थी. वह एक सफल बिजनेस वुमन थीं और उनकी खुद की संपत्ति 100 करोड़ रुपये से अधिक है. हाई प्रोफाइल सुनंदा ने जीवन का सफर जम्मू कश्मीर की हसीन वादियों से शुरू कर दुबई की तपती रेत तक भरपूर जिया. इतना जिया कि लोगों को उनकी शख्शियत पर रश्क होता. सुनंदा मूल रूप से कश्मीर के सोपोर जिले के बंमई गांव की रहने वाली थीं. 1 जनवरी 1962 को जन्म हुआ था. बाद में आतंकवाद की वजह से परिवार जम्मू आ गया. पिता पुष्कर नाथ दास आर्मी में लेफ्टीनेंट कर्नल रहे. सुनंदा का एक भाई सेना में उच्चाधिकारी है और दूसरा डॉक्टर है. खुद सुनंदा मीडिया की सुर्खियों में तब आर्इं, जब तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री रहे शशि थरूर के साथ उनकी शादी हुई. इससे पहले उन्हें कोई नहीं जानता था कि वे क्या हैं और क्या करती हैं. लेकिन दिल्ली की चमक और महत्वाकांक्षा की सीढ़ी ने जल्द ही सुनंदा को दिल्ली से दुबई तक की हाई प्रोफाइल सोसाइटियों में प्रसिद्धि दिलवा दी.

19 साल की उम्र में सुनंदा की कश्मीरी ब्राह्मण संजय रैना के साथ पहली शादी हुई थी. रैना उन दिनों दिल्ली के एक होटल में कार्यरत थे और सुनंदा भी एक होटल में रिसेप्शनिस्ट थीं, लेकिन दोनों का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं गुजरा. वर्ष 1988 में दोनों का तलाक हो गया. आजाद ख्याल की सुनंदा ने वर्ष 1989 में दिल्ली का रुख कर लिया, जहां वह हाई प्रोफाइल पार्टियों की जान बन गर्इं, फिर एक रोज अपना जहां कहीं और तलाशने के लिए सुनंदा ने दुबई की फलाइट पकड़ ली और वहां 1991 में केरल के व्यवसायी सुजीत मेनन के साथ दूसरी शादी कर ली. इसके बाद दोनों ने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक्सप्रेशंस नामक एक कंपनी बनाई, जो कई प्रोडक्ट लांच कराए और मॉडल हेमंत त्रिवेदी, विक्त्रम फड़नीस, ऐश्वर्या रॉय के साथ कई शो भी आयोजित किए. इसके बाद सुनंदा को एक बड़ी विज्ञापन कंपनी के साथ काम करने का मौका मिला. उनकी जिंदगी का यह सबसे अच्छा दौर था. दुबई में ही उन्होंने बेटे शिव को जन्म दिया. बला की खूबसूरत तो थी हीं सुनंदा, लोग उन्हें दुबई में ब्यूटीशियन के तौर पर भी जानते थे.

लेकिन 1997 में एक रोज करोलबाग दिल्ली में सुजीत मेनन की एक सड़क हादसे में मौत हो गई. शिव ने बोलना बंद कर दिया. तब वह चार साल का था. इलाज के लिए सुनंदा बेटे को कनाडा ले गर्इं और वहीं की एक आइटी कंपनी में नौकरी कर ली. 2004 में रियल स्टेट कंपनी ‘बेस्ट होम्स’ ने सुनंदा को मुडो दुबई में जनरल मैनेजर के तौर पर काम करने का प्रस्ताव मिला और वह कनाडा से फिर दुबई लौट आर्इं. तब तक उनके कई दोस्त पैसे वाले बन चुके थे. सुनंदा भी जुमेरिया पॉम के एक खूबसूरत अपार्टमेंट में रहने लगीं. बाद में एक फ्लैट जुमेरिया बीच और दो एक्जीक्यूटिव टॉवर में खरीदे. इस बीच दुबई के बिजनेस सर्किल में भी सुनंदा एक सफल नाम जाना जाने लगा. वहां की बेस्ड टेलीकॉम इंवेस्टमेंट कंपनी की वह सेल्स डायरेक्टर थीं और रेंदेवूज स्पोर्ट्स वर्ल्ड में को-वोनर भी इसके अलावा दिल्ली और मुंबई में भी उनका बिजनेस फैलने लगा.

2008 में सुनंदा इंपीरियल में हुए एक अवार्ड समारोह में शामिल होने दिल्ली आर्इं. यहां पहली बार उनकी मुलाकात शशि थरूर से हुई. दोनों दोस्त बन गए. मेल-मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया. केरल के पलक्कड़ जिले के प्रतिष्ठित थरूर परिवार से नाता रखने वाले शशि का जन्म लंदन में हुआ है. उस समय उनके पिता एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के अधिकारी थे. दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई करने वाले शशि की पहली शादी कोलकाता में 1977 में पत्रकार तिलोत्तमा मुखर्जी के साथ हुई थी. उन्होंने जुड़वा बेटों ईशान और कनिष्क को जन्म दिया. बाद में शशि ने पत्नी से तलाक ले लिया और संयुक्त राष्ट्र में अंडर सेके्रटरी जनरल की पोस्ट पर नियुक्त हो गए. वहां उनकी मुलाकात संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग की उप सचिव क्रिस्टा गिल्स से हुई. शशि कैनेडी युवती क्रिस्टा से मुहब्बत कर बैठे. वर्ष 2007 में दोनों ने शादी कर ली. पर यह रिश्ता भी बहुत ज्यादा नहीं चला. जनवरी 2010 में क्रिस्टा से शशि ने तलाक ले लिया और भारत लौट आए. कांग्रेस सरकार ने उन्हें विदेश राज्य मंत्री बना दिया. इसके बाद शशि और सुनंदा के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. उनका प्रेम इतना गहरा गया कि अप्रैल 2010 में कोच्चि की इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) टीम को लेकर विवाद हुआ तो सुनंदा ने उस विवाद को खत्म करने के लिए 70 करोड़ रुपयों के इंवेस्टमेंट खुद के द्वारा किया जाने की बात स्वीकार कर ली और इसके बाद थुरूर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

22 अगस्त 2010 में सुनंदा-शशि ने शादी कर ली. इसके बाद यह जोड़ी इतनी चर्चा में आई कि अक्तूबर 2012 में एक बयान के तहत नरेंद्र मोदी ने सुनंदा पुष्कर को ‘50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड’ करार दिया और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मुख़्तार अब्बास नकवी ने थरूर को ‘लव गुरु’ की उपाधि दे डाली. उन्होंने कहा कि अगर देश में लव मंत्रालय बनता है तो उसका पदभार शशि थरूर को दिया जाना चाहिए. दिसंबर 2013 में सुनंदा एक बार फिर अपने बयान से चर्चा में आर्इं. उन्होंने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हुए कहा कि ‘संविधान के अनुच्छेद 370 की समीक्षा होनी चाहिए.’ लेकिन 15 जनवरी 2014 को अचानक सुनंदा और थरूर के रिश्ते पर तब सवाल उठ खड़े हुए, जब थरूर के ट्विटर अकाउंट से पाकिस्तान की पत्रकार मेहर तरार को किए गए कुछ ट्वीट सामने आए. थरूर ने ट्वीट किया कि उनका अकाउंट ‘हैक’ कर लिया गया है. मेहर ने भी शोसल मीडिया के जरिए किसी ‘संबंध’ होने से इनकार किया, फिर सूत्रों के मुताबिक, सुनंदा ने उसी रोज मेहर से फोन पर बात की. इसके बाद पति-पत्नी ने एक संयुक्त बयान जारी कर दावा किया कि उनका वैवाहिक जीवन सुख से बीत रहा है और वे चाहते हैं कि यह ऐसा ही रहे.

बात बिगड़ी, ट्विटरबाजी हुई, सुनंदा और मेहर दोनों ने मोर्चा संभाला और थरूर पर अपना-अपना दावा किया, लेकिन जिस तरह से पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुनंदा के शरीर पर 12 जख्मों के निशान मिले हैं उससे लगता है कि कहीं न कहीं सुनंदा को लग रहा था कि प्यार के इस त्रिकोण में वे बाजी हार रही हैं. बाद में यह बात भी सामने आई कि थरूर के मेहर के साथ कथित अफेयर से खफा सुनंदा ने लोधी रोड आवास के बजाय होटल में रहने का फैसला किया और 14 जनवरी को तिरुवनंतपुरम से दिल्ली आने के दौरान सुनंदा और थरूर के बीच फ्लाइट में और एयरपोर्ट पर भी हल्की झड़प और हाथापाई हुई थी. उसी का नतीजा है कि सुंनदा चाणक्यपुरी के होटल लीला में रहने अकेली पहुंचीं. अब होटल के कमरे से लेकर एम्स की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक जो बातें उभरकर सामने आ रही हैं, उससे हत्या जैसी बात तो कोरी बकवास के अलावा कुछ नहीं लगती. 21 जनवरी को मामले के जांच अधिकारी एसडीएम (बसंत विहार) आलोक शर्मा ने दंडाधिकारी को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी. उसकी प्रति थाना सरोजनी नगर के एसएचओ को भी दी गई है. शर्मा ने इस मामले में 11 लोगों से पूछताछ की, जिसमें सुनंदा के भाई राजेश और आशीष पुष्कर, बेटे शिव मेनन, निजी सचिव आरके शर्मा, कंसल्टेंट शिव कुमार, अटेंडेंट नारायण, बजरंगी और उपचार करने वाले दो डॉक्टर शामिल हैं. इसके अलावा पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह से भी पूछताछ की है.

सुनंदा के पारिवारिक मित्र जॉय कहते हैं, ‘‘सुनंदा की ख्वाहिश ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना और जमकर खर्च करना था. शाहखर्ची उनकी आदत बन चुकी थी. दुबई में ही सुनंदा की दोस्ती नंदकुमार राधाकृष्णन से हुई. नंदकुमार को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया. फिर उन्हीं के जरिए सुनंदा शशि थरूर के करीब आईं. इसके बाद ही दोनों ने मिलकर कई सारे निवेश किए.’’ नादिरा बताती हैं, ‘‘कुछ बीमारी के कारण डॉक्टरों ने सुनंदा को शराब का सख्त परहेज बताया था, लेकिन दिल्ली में सुनंदा बहुत ज्यादा तनाव में आ गई थीं. संभवत: वे अत्यधिक शराब पी रही थीं.’’ सफल बिजनेस वुमन होकर भी शायद सुनंदा पति को लेकर असुरक्षित महसूस करती थीं. उसकी दोस्त फराह अली खान कहती हैं, ‘‘किसी भी पब्लिक फंक्शन में वह थरूर के साथ इसी वजह से जरूर जाती थीं. अस्वस्थ होती थीं तो भी.’’

पुलिस को सुनंदा के कमरे से अल्प्राजोलम (अल्प्रैक्स) की दो खाली स्ट्रिप्स मिली थी. सुनंदा ने शायद 27 टेबलेट्स खाई थी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अल्प्राजोलम की ज्यादा मात्रा से दिमाग की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. बेहोशी और मौत संभव है. देश के सबसे अनुभवी फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स डॉ. के.एल. शर्मा का कहना है, ‘‘सुनंदा की मौत के लिए जिस अल्प्रैक्स ड्रग के ओवरडोज की बात की जा रही है, उससे उनकी मौत संभव नहीं है जब तक कि उसे किसी और दवा के साथ मिलाकर नहीं लिया जाए. सुनंदा के वजन के बराबर इंसान की मौत तभी हो सकती है जब वह कम से कम 225 टैबलेट का एकसाथ सेवन कर ले.’’ डॉ. एन.पी. सिंह (प्रोफेसर मेडिसीन) कहते हैं, ‘‘दवा के ओवरडोज से किसी की मौत होना अविश्वनीय है. क्योंकि यदि व्यक्ति दवा के सामान्य डोज से 100 गुना अधिक डोज भी ले, तब भी समय से अस्पताल पहुंचाने पर उसकी जान बच जाती है.’’

सुनंदा की मौत के पीछे किसी साजिश के सवाल पर उनके घरवाले साफ इनकार कर रहे हैं. 21 वर्षीय बेटे शिव ने भी कहा है कि शशि थरूर और सुनंदा एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे. शशि उनकी मां को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते. वहीं एसडीएम शर्मा को जांच में थरूर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला और न ही पुलिस की तहकीकात किसी नतीजे पर पहुंची. 23 जनवरी को पुलिस कमिश्नर बी. एस. बस्सी ने इस केस की जांच क्राइम ब्रांच (रोहिणी के सेक्टर-18) को सौंप दी. ऐसे में इस सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला है कि आखिर सुनंदा की जान गई कैसे? क्या वे यह मान बैठी थीं कि अब थरूर से उनका भावनात्मक संबंध खत्म हो जाएगा और उन्होंने आत्महत्या कर ली या फिर इस हारती बाजी (मेहर तरार की दरार) का इतना गहरा सदमा लगा कि सोते-सोते ही वे इस दुनिया को अलविदा कह गईं?

                                        मेहर तरार की वजह से पड़ी दरार


45 वर्षीय मेहर तरार भले ही सरहद पार की हैं, लेकिन भारत और सुनंदा थरूर की जिन्दगी में ये नाम काफी पहले दस्तक दे चुका था. जुलाई 2013 में मेहर ने शशि थरूर को मेल लिखा था. वह कुछ इस तरह है- आपकी जिंदगी में जो कुछ भी हो रहा है मुझे उसके लिए बहुत अफसोस है. मैं जानती हूं कि आपके लिए यह शादी क्या मायने रखती है. आपके लिए आपकी बीवी क्या मायने रखती है. मुझे लगता है कि आपने एक दूसरे थ्रेड में गलती से कुछ लिख दिया था. मैं शमिंर्दा हूं. पिछली रात मैंने इस पर मजाक बनाया था, क्योंकि मैं कुछ भी कहने से घबरा रही थी. हम दो बार मिले हैं. हम अच्छे दोस्त बन गए हैं. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और सच तो ये है कि आपकी दोस्त होना एक सम्मान की बात है.’’ इसका मतलब है कि दोनों के रिश्ते की खटास को जानती थीं मेहर. दूसरे ई-मेल में इस बात का उन्होंने जिक्र भी किया है, ‘‘मैं नहीं चाहती थी कि आप दोनों के बीच कोई तनाव हो. इंशाह अल्लाह आपके बीच सबकुछ ठीक हो जाए।’’ एक और मेल में मेहर लिखती हैं, ‘‘ मेरी वजह से आपकी अपनी पत्नी के साथ अनबन हो रही है. मैं क्या कहूं, मैं तो बिल्कुल भी सोचना तक नहीं चाहती हूं. मेरा बेटा बहुत छोटा है. महिला और पुरुष के रिश्तों को हमेशा शक से देखा जाता है. पता नहीं मेरे बेटे पर क्या असर पड़ेगा.’’ अंत में एक बयान में मेहर ने कहा है, ‘‘सुनंदा की शादीशुदा जिंदगी की परेशानी में मेरी कोई भूमिका नहीं थी. मैं इस मामले में साजिश का शिकार हुई हूं.’’

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