शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

  1. यूपी बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश सिंह की यहत्या की गुत्थी और उलझी


आठ चश्मदीदों में से चार के बयान के बाद इस मामले की गुत्थी सुलझने के बजाय और उलझ गई है। हत्या करने वाले वकील की भी मौत हो गई।

जितेन्द्र बच्चन
दो दिन पहले ही दरवेश सिंह यादव का सितारा बुलंदियों पर पहुंचा था। वह उत्तर
प्रदेश बार एसोसिएशन की पहली महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं। उन्होंने यूपी बार काउंसिल में इतिहास रचा था। देश-प्रदेश के तमाम लोग उन्हें बधाईयांदे रहे थेतभी 12 जून का वह मनहूस दिन आया। आगरा की दीवानी कचहरी के वरिष्ठ वकील अरविंद मिश्रा के चेंबर में अधिवक्ता मनीष शर्मा ने लाइसेंसी रिवाल्वर से दरेवश की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद खुद की कनपटी पर भी गोली मारकर आत्महत्या करने की कोशिश की है
गोलियों की गूंज से कचहरी परिसर में तहलका मच गया। वकील-जज सभी सन्न रह ग। दरवेश और मनीष कई साल से एकसाथ काम कर रहे थे।मनीष करीब-करीब उनका सारा कामकाज देखता थाफिर ऐसा क्या हुआ कि उसी ने दरवेश को गोली मारकर मौत के घाट उतार दियाआगरा पुलिस के आला अफसर मौके पर पहुंच गए। दरवेश को तीन गोली मारी गई थी। मनीष की सांस अभी चल रही थी। उसे फौरन नजदीक के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। तब तक आगरा के एडीजी अजय आनंद भी मौके पर आ गए। उनके दिशा-निर्देश पर थाना कोतवाली न्यू आगरा पुलिस ने दरवेश का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की गहन जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।
दरवेश सिंह यादव मूलत: एटा उत्तर प्रदेश की रहने वाली थीं। आगरा कॉलेज से
विधि स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद डॉ. भीमराव आंबेडकर आगरा
विश्वविद्यालय से एलएलएम किया। 2004 में वकालत शुरू की। 2012 में पहली
बार वह बार एसोसिएशन की सदस्य बनीं। 2016 में बार काउंसिल की उपाध्यक्ष और 2017 में कार्यकारी अध्यक्ष चुनी गईं। जून, 2019 को प्रयागराज में यूपी बार काउंसिल का चुनाव हुआ तो दरवेश यादव प्रदेश के बार काउंसिल के इतिहास में पहली महिला अध्यक्ष चुनी गईं।
दरवेश की किसी से कोई दुश्मनी-अदावत नहीं थी। दरवेश के भाई पंजाब सिंह यादव के बेटे सनी यादव ने थाना न्यू आगरा में इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपितों में अधिवक्ता मनीष शर्माउसकी पत्नी वंदना शर्मा और विनीत गुलेचा शामिल हैं। दरवेश के मौसेरे भाई मनोज यादव का कहना है कि दरवेश पिछले चार साल से बार कौंसिल की उपाध्यक्ष थीं। बार कौंसिल से मनीष दरवेश के नाम पर पैसा लेता रहा। उसने 50 लाख का गबन किया था। जब भी हिसाब मांगा जातावह आनाकानी करने लगता।
मनोज यादव बताते हैं, “मनीष बार कौंसिल का चुनाव लड़ना चाहता था। दरवेश के
चुनाव जीतने पर वह दीदी से जलने लगा था। मनमुटाव होने के बाद दरवेश अपना चेंबर छोड़कर अरविंद मिश्रा के चेंबर में बैठने लगी थीं। मनीष ने उनके चेंबर पर कब्जा कर लिया था। 12 जून को दरवेश का आगरा दीवानी परिसर में अभिनंदन होना था। दरवेश अरविंद मिश्रा के चेंबर में थीं। दोपहर करीब दो बजे मनीष कार्यक्रम में आया और आते ही उसने दरवेश के साथ अभद्रता करनी शुरू कर दी। दरवेश ने विरोध किया तो बात और बढ़ गई। गुस्से में मनीष ने पहले मनोज पर गोली चला। वह बच गया तो उसने दरवेश को गोली मार दी। वह मौके पर ही ढेर हो गईं।
वरिष्ठ वकील अरविंद मिश्रा कहते हैं, “वारदात के वक्त मनीष शर्मा हमारे चेंबर में समझौते के लिए आया था। दरवेश और मनीष करीब चार घंटे तक साथ रहे। बाद में मनीष को किस बात पर क्यों गुस्सा आयाहमें नहीं मालूम पर यह सच है कि मनीष बहुत पहले से दरवेश के बैंक खाते आदि देखता था।
एसएसपी के अनुसार इस घटना के आठ चश्मदीद गवाह हैं। चार लोग चेंबर के अंदर
थे और चार लोग बाहर थे। एक चश्मदीद का कहना है कि मौके पर इंस्पेक्टर
सतीष यादव मौजूद थे। उसे देखते ही मनीष शर्मा को गुस्सा आ गया और उसने दरवेश को गोली मार दी। इंस्पेक्टर यादव मैनपुरी पुलिस लाइन में तैनात हैं। दो अन्य चश्मदीदों ने भी इस बात की तस्दीक की है कि इंस्पेक्टर सतीश यादव मौका-ए-वारदात पर मौजूद थेलेकिन 20 जून की शामथाना न्यू आगरा में इंस्पेक्टर सतीश यादव ने अपने बयान में कहा है, मैं घटना के वक्त चेंबर में मौजूद नहीं था और न ही हमें यह मालूम है कि मनीष को गुस्सा क्यों आया?
इस विरोधाभाषी बयान से मामले की गुत्थी और उलझ गई है। घटना के आठ चश्मदीदों में से चार के बयान अब तक हो चुके हैं, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हुआ कि मनीष ने यह वारदात क्यों कीपुलिस की उम्मीद अब बाकी के चार गवाहों और 12 जून से गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती हत्यारोपित अधिवक्ता मनीष शर्मा के बयान पर टिकी है। मनीष को अभी होश नहीं आया है। उन्हें वेंटिलेटर के सहारे रखा गया है। बाकी के इस मामले के दो आरोपितों वंदना शर्मा और विनीत गुलेचा को तफ्तीश कर रहे थाना न्यू आगरा कोतवाली के इंसपेक्टर अजय कौशल ने 22 जून को निर्दोष बताया है।
दरवेश यादव के भतीजे पार्थ ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। दिल्ली की वकील इंदू कौल ने भी 21 जून को सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत की अवकाशकालीन पीठ के सामने प्रस्तुत याचिका में दरवेश यादव के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा दिलाने के साथ ही पूरे देश की अदालतों में महिला वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई है। सर्वोच्च न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 25 जून को करेगा।

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