शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

मुरादनगर: भ्रष्ट सिस्टम, मौत का मंजर


- जितेन्द्र बच्चन

भ्रष्ट सिस्टम ने श्मशान को भी नहीं छोड़ा और पलक झपकते 25 जिंदगियों को लील गया। वाकया नए साल के तीसरे दिन 03 जनवरी की सुबह करीब साढ़े 11 बजे का है। दिल्ली-एनसीआर में शामिल गाजियाबाद के मुरादनगर श्मशान घाट में एक गलियारे का लेंटर गिरने से 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 15 से अधिक लोग घायल हैं। घायलों में अब भी कई लोग अस्पताल में जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। हादसा तब हुआ, जब मुरादनगर के बंबा रोड संगम विहार निवासी 70 वर्षीय जयराम का रविवार की सुबह निधन हो गया और उनकी अंतिम यात्रा में 50 से ज्यादा लोग शामिल होकर श्मशान घाट पहुंचे। बारिश होने के कारण अधिकतर लोग प्रवेश द्वार पर बने 70 फुट लंबे गलियारे में खड़े थे। दाह-संस्कार पूरा होने के बाद वहीं पर दो मिनट का मौन रखा गया। इसी दौरान गलियारे का लेंटर जमींदोज हो गया।


दिल दहलाने वाला मंजर था। एकदम से चीख-पुकार मच गई। मलबे के नीचे दबे लोगों को देख आसपास के लोग दहल उठे। कलेजा मुंह को आ लगा। स्थानीय लोगों ने मलबे में दबे लोगों को बचाने की कोशिश में जी-जान लगा दी। सरकारी अमला जब तक पहुंचा, वे 12 लोगों को मलबे से बाहर निकाल चुके थे। इसके बाद जिलाधिकारी डॉ अजय शंकर पांडेय और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने आकर राहत व बचाव अभियान की कमान संभाली, लेकिन एनडीआरएफ को देर से सूचना दी गई। नतीजतन वह टीम दोपहर करीब एक बजे पहुंची। अगर समय से यह टीम बुला ली जाती तो शायद कुछ और लोग जिंदा होते, लेकिन प्रशासन हादसे को इतना बड़ा नहीं समझ रहा था। उससे कहीं न कहीं यहां थोड़ी चूक हुई है।

इस हादसे का सबसे बड़ा कारण है घटिया सामग्री का प्रयोग। मिलावट, भ्रष्ट सिस्टम! बेईमान अधिकारी, घूसखोर अफसर और किसी भी इमारत को दीमक की तरह खोखला करते ठेकेदार! भ्रष्टाचार का ही नतीजा है कि 55 लाख रुपये की लागत से तैयार निर्माण 15 दिन बाद ही बालू के रेत की तरह ढह गया। अभी इसका लोकार्पण भी नहीं हुआ था। मुश्किल से दो महीने पहले जिला योजना के तहत बंबा श्मशान घाट का निर्माण कराया गया था। इसके लिए करीब 55 लाख रुपये का टेंडर पास हुआ था, जिसमें दो कमरे और शवों के अंतिम संस्कार के लिए शेड तैयार किए गए। उसी में मुख्य द्वार का 70 फुट लंबा गलियारा भी शमिल था। हादसे से पंद्रह रोज पहले ही इसे जनता के लिए खोला गया था। निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई, जिसकी वजह से गलियारे का लेंटर जमींदोज हो गया। मलबे में महज सरिया और रेत ही दिखाई दे रहा था। अब स्थानीय सभासद दावा कर रहे हैं कि उन्होंने घटिया निर्माण की ईओ से शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने सुनवाई नहीं की। अगर जिम्मेदार अधिकारियों ने ड्यूटी ईमानदारी से निभाई होती तो आज जान गंवाने वाले जिंदा होते।

सरकार अब जागी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा करने के साथ ही मंडलायुक्त और एडीजी मेरठ जोन से घटना की रिपोर्ट तलब की है। लेकिन पीडि़त परिवारों को शक है कि उन्हें न्याय मिलेगा।वे हाईवे पर शव रखकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। उधर जयराम के पुत्र दीपक की तहरीर के आधार पर थाना कोतवाली मोदीनगर पुलिस ने नगर पालिका की ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष, ठेकेदार अजय त्यागी और अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, भ्रष्टाचार, काम में लापरवाही सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया। सोमवार की सुबह होते-होते इनमें से तीन आरोपितों निहारिका सिंह, चंद्रपाल और आशीष को गिरफ्तार भी कर लिया गया। उसी रोज देर रात ठेकेदार अजय त्यागी और उसके साझीदार संजय को भी पुलिस ने दबोच लिया। देर-सवेर हो सकता है कि दोषियों को थोड़ी-बहुत सजा भी मिले, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इतने मात्र से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा? क्या इस कार्रवाई के बाद आगे कोई ऐसी घटना नहीं होगी?

जनाब, अगर कुछ करना ही है तो भ्रष्टाचार की जड़ पर प्रहार करिए। घूसखोर अधिकारियों को हटाइए। सिस्टम में बैठे उन अफसरों को निकाल बाहर करिए जो बिना नजराने के कोई काम नहीं करते। ऐसे लोगों की पहचान करिए जो समाज को दीमक की तरह खोखला कर रहे हैं। उन सामाजिक संस्थाओं को आगे बढऩे का मौका दीजिए जो समय रहते लोगों को भ्रष्टाचार के प्रति आगाह करती हैं। और यह तभी संभव होगा जब सरकार के साथ-साथ हमारा समाज भी जागेगा।

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