रविवार, 27 जनवरी 2013

खूनी साजिश



पहले एक खुशहाल परिवार को उजाड़ा, फिर खुद किसी और की हो गई। कुछ ऐसी ही है रेखा सेन से रेखा मिश्रा और फिर शबनम बनने की कहानी। इस औरत का खेल यहीं नहीं थमा, बल्कि यहीं से शुरू होती है इसके इश्क, फरेब और खूनी साजिश की रोंगटे खड़ी कर देनी वाली कहानी।

 खंडवा का बहुचर्चित प्रसन्न मिश्रा हत्याकांड
रेखा मिश्रा ने पुलिस को जो बताया, उसे सुनकर स•ाी हैरान रह गए। उसका कहना था कि 11 जुलाई की रात करीब नौ बजे एसडीओ साहब के मोबाइल पर किसी का फोन आया था। इसके बाद वह तैयार होने लगे, फिर रात 9.30 बजे एक व्यक्ति आॅटो लेकर आया और प्रसन्न मिश्रा उसके साथ चले गए। तब से आज 12 दिन बीत गए, उनका कुछ पता नहीं है। उनका मोबाइल •ाी नहीं लग रहा है। प्रसन्न एनवीडीए कॉलोनी में रहते थे और एसडीओ थे। उनके गुम होने की खबर से पुलिस में हड़कंप मच गया- कहां गए प्रसन्न मिश्रा? किसने किया था उन्हें फोन? आॅटो में कौन आया था? किसके साथ गए और रेखा ने बारह दिन बाद इस मामले की सूचना क्यों दी? 23 जुलाई को थाना कोतवाली (खंडवा) पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। इसके बाद मामले की जांच-पड़ताल शुरू कर दी। खुद रेखा •ाी पति को तलाशती रही।
रेखा सेन (38) मूल रूप से खिरकिया की रहने वाली है। उसने प्रसन्न मिश्रा से प्रेम विवाह किया था। पति-पत्नी दोनों एकसाथ एनवीडीए कॉलोनी (खंडवा) में हंसी-खुशी के साथ रह रहे थे। प्रसन्न मिश्रा की यह दूसरी शादी थी। पहली पत्नी का नाम मधु है। मधु मिश्रा के साथ प्रसन्न की शादी 1986 में हुई थी। उससे एक बेटी है प्रज्ञा मिश्रा। चार साल तक मधु के साथ उनका पारिवारिक जीवन बहुत अच्छा बीता। इसके बाद प्रसन्न की जिंदगी में रेखा सेन आ गई। प्रेमिका के आते पत्नी जहर लगने लगी। जल्द ही रेखा और प्रसन्न ने शादी करने का फैसला कर लिया। इस ऐलान से मधु का वजूद हिल गया। गुस्से में उन्होंने पूरा आसमान सिर पर उठा लिया, ‘प्रसन्न! एम म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती। इस घर में अब मैं रहूंगी या फिर वह चुड़ैल!’ घर में कलह शुरू हो गई। प्रसन्न रेखा को छोड़ने को तैयार नहीं थे और मधु सौतन को बर्दास्त नहीं कर पा रही थी। आखिर तंग आकर मधु मिश्रा ने पति का घर छोड़ दिया। वह मायके में जाकर रहने लगी।
रेखा को इसी मौके की तलाश थी। प्रसन्न के साथ अब वह पत्नी की हैसियत से खुलेआम रहने लगी। मधु मिश्रा के •ााई ने थोड़ा-बहुत विरोध किया, लेकिन उनकी •ाी एक नहीं चली। प्रसन्न रेखा के साथ बड़ी हंसी-खुशी के साथ रहने लगे, त•ाी अचानक एक रोज वह गायब हो गए। पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रसन्न मिश्रा का पता नहीं चला, तो मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी गई। वह •ाी एसडीओ साहब को नहीं ढूंढ पाई। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि प्रसन्न को जमीन निगल गई या आसमान?
14 जुलाई, 2010 को पुलिस इसी उधेड़बुन में लगी थी, त•ाी एक मुखबिर ने चौंकाने वाली खबर दी। उसका कहना था, ‘एसडीओ साहब 11 जुलाई, 2003 को गायब नहीं हुए थे, बल्कि उनकी हत्या की गई है और इस खूनी साजिश की सूत्रधार है खुद उनकी पत्नी रेखा!’ इंसपेक्टर •ाूपेंद्र •ादौरिया चौंक पड़े, ‘बताओ, और क्या जानते हो मिश्रा के बारे में?’ मुखबिर ने बताया, ‘सर, रेखा ने प्रसन्न से शादी जरूर की थी, लेकिन अब वह उनसे ऊब चुकी थी। वह एक नए आशिक के इश्क में गिरफ्तार हो चुकी थी। उसका नाम सैयद साहेब अली पुत्र सैयद अहमद है। वह कहारवाड़ी खंडवा का रहने वाला है। सैयद और उसका •ााई सैयद करामात अली •ाी इस मामले में शामिल है। एसडीओ साहब के शव को ये दोनों बाइक (एमपी04 आर-1862) से ले जाकर शहर से करीब 28 किमी दूर खेड़ी गांव के आगे रोड पर बन रही पुलिया के पास एक गड्ढे में दफना दिया था।’
प्रसन्न मिश्रा की गुमशुदगी का राज खुलते ही इंस्पेक्टर •ाौदरिया ने मामले की सूचना पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इसके बाद रेखा को हिरासत में ले लिया। उसका कहना था कि वह किसी साहेब अली को नहीं जानती और वह अंतिम सांस तक प्रसन्न मिश्रा की ही पत्नी है। पुलिस ने तफ्तीश तेज कर दी। गहन जांच-पड़ताल में मामले के विवेचनाधिकारी के हाथ एक ऐसा नॉमिनेशन फार्म हाथ लग गया, जिस पर प्रॉविडेंट फंड के वि•ााजन का उल्लेख था। जिला सहकारी बैंक होशंगाबाद की एक पासबुक मिली, जिसमें 21 जून 03 तक 1 लाख 29 हजार 250 रुपये शेष थे। इसके अलावा एक पासबुक •ाारतीय स्टेट बैंक शाखा सिविल लाइन खंडवा की मिली, जिसमें 9 अगस्त, 03 को 36,841 रु पये जमा थे। ये स•ाी दस्तावेज शबनम के नाम थे, लेकिन फोटो रेखा का लगा था। •ादौरिया चौंक पड़े, यह कैसे हो सकता है? जरूर दाल में कुल काला है! रेखा मिश्रा ने साहेब अली को 24 सितंबर, 04 और 24 सितंबर, 07 को ग्रीटिंग कार्ड •ोजा था। उससे •ाी यह बात सबित हो गई कि रेखा झूठ बोल रही है। वह साहेब अली को अच्छी तरह जानती है। थोड़ी और गहन जांच में खंडवा से बना राशन कार्ड और मतदाता परिचय पत्र •ाी बरामद हुआ, जिसमें फोटो रेखा मिश्रा का लगा था, लेकिन नाम की जगह शबनम पति सैयद साहेब अली लिखा था।
विवेचनाधिकरी ने इन सारे सुबूतों   को रेखा के सामने रखा, तो उसने घुटने टेक दिए। इसके बाद पुलिस ने साहेब अली और करामत अली को •ाी गिरफ्तार कर लिया। साहेब अली की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त बाइक •ाी बरामद कर ली। इन दोनों आरोपियों ने •ाी पुलिस पूछताछ में अपना-अपना गुनाह कबूल कर लिया। पुलिस ने 15 जुलाई, 2010 को नायब तहसीलदार विजय प्रकाश सक्सेना की मौजूदगी में आरोपियों की निशानदेही पर जेसीबी से खुदाई की, तो सड़क के करीब 20 फीट नीचे प्रसन्न का कंकाल बरामद हो गया। डीएनए टेस्ट के लिए उसे पहले सागर, फिर इंदौर •ोजा गया। रिपोर्ट से यह बात तय हो गई कि वह नरकंकाल प्रसन्न मिश्रा का ही था। दरअसल, प्रसन्न मिश्रा रेखा के साथ रह जरूर रहे थे, लेकिन कुछ दिन बाद ही उन्हें अपनी पत्नी मधु की याद आने लगी थी। उन्हें अपनी गलती का अहसास होने लगा था। वह मधु को खोने के गम में शराब पीने लगे, फिर शराब जैसे उनकी दवा बन गई। रेखा परेशान रहने लगी। उसके आगोश में अब प्रसन्न खुश नहीं रहते थे। उनकी शराब की लत छुड़ाने के लिए शासकीय लोक अ•िायोजक दीपक कुरे के मुताबिक, रेखा ने साहेब अली का सहारा लिया। वह पेशे से तांत्रिक था, लेकिन जब उसे पता चला कि प्रसन्न एसडीओ हैं और उनके पास लाखों की दौलत है तो उस तांत्रिक के मन में लालच समा गया। उसने रेखा को अपने प्रेम-जाल में फंसाना शुरू कर दिया। कुछ दिन बाद ही दोनों के बीच अवैध संबंध हो गए।
रेखा अब तक जिसे दिल की गहराईयों से चाहती थी, उसी प्रसन्न मिश्रा को दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल दिया। साहेब अली और रेखा ने शादी करने का फैसला कर लिया। साहेब अली ने इससे पहले रेखा को समझाया कि अगर प्रसन्न की हत्या कर दी जाए, तो सारी दौलत की तुम इकलौती वारिस हो जाओगी। धन के लो•ा में औरत का विवेक जाता रहा। जर-जोरू और जमीन हड़पने के लिए साहेब अली की साजिश कामयाब हो गई। उसने अपने •ााई करामात अली और रेखा की मदद से प्रसन्न मिश्रा की एक रस्सी से गला घोटकर हत्या कर दी। शव घर से बहुत दूर हरसूद रोड स्थित खेड़ी के पास ले जाकर दफना दिया। प्रसन्न मिश्रा के कपड़े, उनका मोबाइल और गला घोटने वाली रस्सी खेड़ी के पास ही नदी में फेंक दिया। कुछ दिन बाद जहां प्रसन्न मिश्रा का शव दफन था, उस पर सड़क बन गई। आरोपियों ने सोचा, अब कोई डर नहीं है। रेखा ने धर्म बदलकर साहेब अली के साथ शादी कर ली। रेखा मिश्रा से वह शबनम बन गई। लड़की वि•ाूति का नाम बदलकर मुस्कान अली रख दिया। बच्ची के अनुसार, रेखा उस पर दबाव डालती थी कि वह साहेब अली को ही अपना पिता कहे। वि•ाूति जब विरोध करती तो साहेब अली तंत्र-मंत्र कर उसे जिंदा जलाने की धमकी •ाी देता। घटना के तीन साल बाद रेखा ने मकान •ाी बदल दिया। अब स•ाी इंदौर की ग्रीन पार्क कॉलोनी में रहने लगे थे। इन स•ाी को अब प्रसन्न मिश्रा की सिविल मौत का इंतजार था। कानून के मुताबिक, किसी •ाी व्यक्ति के गायब होने के सात साल बाद उसकी सिविल मौत मान ली जाती है। ऐसे में उसकी सारी संपत्ति और धन रेखा मिश्रा और उसके बच्चों को हो जाती, लेकिन पाप क•ाी नहीं छिपता। पुलिस ने तीनों आरोपियों रेखा मिश्रा, साहेब अली और करामत को गिरफ्तार कर जेल •ोज दिया। अदालत में मामले की सुनवाई होती रही। पुलिस ने कुल 20 लोगों को इस बीच बतौर गवाह पेश किया। अंतत: 22 जनवरी, 2013 को न्यायालय ने अपने 42 पेज के फैसले में रेखा उर्फ शबनम, साहेब अली और करामत को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।


पुलिस ने दिखाई लापरवाही
प्र्रसन्न मिश्रा के •ााई अनुराग मिश्रा का कहना है कि उन्होंने •ौया के मामले में तांत्रिक साहेब अली और रेखा मिश्रा के हाथ होने की आशंका पहले ही पुलिस से व्यक्त की थी। पुलिस अगर लापरवाही न करती तो मामले की गुत्थी बहुत पहले सुलझ जाती। अदालत के सजा सुनाए जाने के बाद अनुराग कोर्ट से बाहर निकलकर •ााई की याद में रो पड़े। उनका कहना था, ‘मेरे •ााई की आत्मा को अब शांति मिलेगी।’



जितेन्द्र बच्चन

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