सोमवार, 28 जनवरी 2013

सलाखों के पीछे पहुंचा महाठग

शख्स एक, नाम कई और हर नाम के साथ जुड़ा है एक नया फरेब! गुनाह की बिसात पर लगाया दौलत का अंबार! कभी डॉन बनने का शौक, तो कभी कलाई में 19 लाख की घड़ी! जितने नाम, उतने चेहरे और हर चेहरे के पीछे छिपा है गुनाहों का नायाब तरीका! एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कर चुका है ठगी! करीब ढाई लाख लोगों को लगाया चूना और उसके इस गुनाह में शामिल है उसकी खूबसूरत बीवी!

करोलबाग, रामा रोड, दिल्ली में स्टॉक गुरु  इंडिया कंपनी खुलने के सप्ताह भर बाद ही निवेशकों की लाइन लगने लगी। स्कीम ही ऐसी थी, 10 हजार रु पये छह महीने तक डिपॉजिट करो। बदले में छह महीने तक हर माह 20 पर्सेंट रिटर्न और सातवें महीने पूरी रकम वापस। लोगों ने फायदा उठाने के लिए जमकर पैसा लगाया। दो-तीन महीने में ही कंपनी के पास करोड़ों रु पये इकट्ठा हो गए। देश भर के लोग स्टॉक गुरु कंपनी में निवेश करने लगे। कंपनी का निदेशक उल्हास प्रभाकर लग्जरी गाड़ी में आॅफिस आता। उसके आगे-पीछे महंगी गाड़ियों का काफिला चलता और साथ में बॉडीगार्ड भी रहते। जो भी मिलता, उसकी बातों और व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना न रहता। प्रभाकर कभी फिल्म निर्माण की बात करता, तो कभी लोगों के सामने अल्प आय वर्ग के लिए कॉलोनी बनाने की स्कीम पेश कर निवेश करने की सलाह देता। कभी किसी को उस पर शक नहीं हुआ। मोतीनगर दिल्ली के अमरजीत सिंह ने भी करीब सात लाख रुपये निवेश कर दिए। उन्हें कंपनी ने पांच अप्रैल, 2010 को लाभांश के चेक देने के लिए बुलाया था, लेकिन वह दिन कभी नहीं आया। अमरजीत सिंह कंपनी के दफ्तर पहुंचे, तो आॅफिस में ताला लटक रहा था। पता चला कि कंपनी फर्जी थी। न निदेशक का पता है न मैनेजर का। लोगों के करोड़Þों रुपये लेकर फरार हो गई कंपनी। लोगों के होश उड़ गए। दिल्ली एनसीआर के अब तक हजारों लोग लाखों रुपये का निवेश कर चुके थे। अमरजीत सिंह के साथ पचासों लोग थाना मोतीनगर जाकर हंगामा करना शुरू कर दिया। पुलिस के बड़े अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज कर शीघ्र कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

पत्नी ने दिया हर जुर्म में साथ
दो महीने बाद सात जून को सोनीपत और गुड़गांव के भी कुछ निवेशकों ने दिल्ली आकर हंगामा किया। पुलिस लोगों को जांच के नाम पर टहलाती रही। धीरे-धीरे एक साल बीत गए। इस बीच न प्रभाकर का पता चला और न ही निवेशकों को उनकी रकम मिलने की कोई संभावना बनी। जुलाई, 2011 में सैकड़ों निवेशकों ने पुलिस और ठगी के विरोध में सड़क पर संघर्ष करने का ऐलान कर दिया, तब मोतीनगर थाना में दर्ज मामले की जांच क्र ाइम ब्रांच (ईओडब्ल्यू) को सौंप दी गई। इकनॉमिक आॅफेंस विंग के जॉइंट कमिश्नर संदीप गोयल के नेतृत्व में कई टीमें पूरे देश में फैल गई। पता चला, प्रभाकर के इस गुनाह के खेल में उसकी पत्नी साक्षी भी शामिल है। प्रभाकर बहुत शातिर दिमाग है। पुलिस से बचने के लिए वह प्लास्टिक सर्जरी का सहारा ले सकता है। उसके गुनाहों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। पुलिस ने दोनों आरोपियों को विदेश भागने से रोकने के लिए एलओसी ओपन करा दी, तभी एक रोज खबर मिली की प्रभाकर उसकी पत्नी साक्षी नाम बदलकर रत्नागिरी (महाराष्ट्र) में रह रहे हैं। जांच टीम में शामिल इंस्पेक्टर राजकुमार शाह और हवलदार हबीब खान 11 नवंबर, 2012 को रत्नागिरी जा पहुंचे। आरोपियों की पहचान हो गई और दोनों आरोपियों को पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में गिरफ्तार कर लिया गया।

बढ़ सकती है ठगी की रकम
जॉइंट कमिश्नर संदीप गोयल के मुताबिक, उल्हास प्रभाकर खेर (33) उर्फ सिद्धार्थ जे. मराठे उर्फ लोकेश्वर देव उर्फ लोकेश्वर वीर उर्फ देव साहब उर्फ रोहित मूलत: नागपुर महारष्ट्र का निवासी है। पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगा। मुश्किल से 11वीं पास किया। उसके बाद करोड़ों में खेलने का सपना देखने लगा। प्रभाकर की पत्नी साक्षी (30) उर्फ माया उर्फ रक्षा जे. उर्स उर्फ प्रियंका सारस्वत देव ने जर्निलज्म में बीए सेकंड इयर तक पढ़ाई की है। पांच साल का एक बेटा और तीन साल तथा आठ महीने की दो बेटियां हैं। दोनों आरोपियों ने जनवरी, 2010 में दिल्ली के रामा रोड स्थित लीजा कॉम्प्लेक्स में स्टॉक गुरु  इंडिया के नाम से कंपनी खोली थी। लुभावनी स्कीम बताकर कुछ ही महीनों में देशभर के 2,05,062 लोगों से करोड़ों रुपये जमा करा लिए। ईओडब्ल्यू को इनके खिलाफ अब तक 14 हजार से ज्यादा निवेशकों की शिकायतें मिली हैं। इनमें दिल्ली-एनसीआर के लोग भी शामिल हैं। जांच-पड़ताल में अभी तक आरोपियों के नाम से 83 करोड़ रु पये से ज्यादा की संपित्त का पता चला है। साथ ही करीब 500 करोड़ रुपये की ठगी का खुलासा हो चुका है, लेकिन असल रकम एक हजार करोड़ रु पये से कहीं ज्यादा होने की आशंका है।

पहचान बदलकर बचते रहे दोनों
अडिशनल डीसीपी एसडी मिश्रा के अनुसार, आरोपी प्रभाकर को इससे पहले 2004 में नागपुर (महाराष्ट्र) पुलिस ने करीब एक लाख रु पये की चीटिंग के एक मामले   में गिरफ्तार किया था। प्रभाकर ने इस मामले से कोई सबक नहीं लिया, बल्कि उसने पुलिस, लोगों की कार्यप्रणाली और उनकी सोच पर गहरी नजर रखी। जमानत पर छूटने के बाद 2005 में वह बेंगलुरु  चला गया। यहां उसकी मुलाकात साक्षी से हुई, जो बेंगलुरु की एक कंपनी में रिसेप्शिनस्ट थी। दोनों जल्द ही एक-दूसरे से प्रेम करने लगे और फिर इन्होंने लव मैरेज कर ली। इसके बाद निकल पड़े ठगी के रास्ते पर। शुरू में ये दोनों फर्जी नाम-पते पर क्र ेडिट कार्ड लेते। जमकर खरीदारी करते और फरार हो जाते। घरवालों से बहुत कम संपर्क रखते थे। जब भी पता बदलते, नाम और रंग-रूप भी बदल लेते। जिस शहर में रहते, वहां के टॉप के हेयर स्टाइलिस्ट के यहां जाते। मोबाइल फोन का प्रभाकर इस्तेमाल कम करता था। एक सिम से एक बार ही बात करता, वह भी अपने रिहायशी इलाके से करीब 10 किलोमीटर दूर जाकर। अब तक वह करीब 200 सिमकार्डों का इस्तेमाल कर चुका है, जिससे पुलिस को उसकी सही लोकेशन नहीं मिल पाती थी और कानून की पकड़ से दूर बना रहता।

रत्नागिरी में बड़ा घोटला करने का था इरादा
आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों ने बताया कि 2010 में प्रभाकर दिल्ली आ गया और यहां स्टॉक गुरु  इंडिया नाम से फर्जी कंपनी खोलकर लोगों को चूना लगाना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि वह ऊंचा रिटर्न देकर नागरिकों का पैसा निकलवाता था और उसे शेयर बाजार में लगाता था। दिल्ली में जब लोगों को शक हो गया, तो दोनों आरोपी फरार हो गए। इसके बाद रत्नागिरी चले गए। वहां भी दोनों दूसरी स्टॉक गुरु इंडिया जैसी धोखाधड़ी कर बड़ा घोटाला करने की फिराक में थे। इसके लिए आरोपी रत्नागिरी के कई बैंकों में 50 से अधिक अकाउंट खोल चुके थे। पुलिस को इनके नाम से रत्नागिरी इंडस्ट्रियल एरिया में 750 स्क्वायर यार्ड का एक प्लॉट भी मिला है। 15 लाख रु पये की गोल्ड जूलरी, 7 कार और दो बाइक की रिकवरी हुई। रत्नागिरी में गिरफ्तारी के समय प्रभाकर के पास से फर्जी राशन कार्ड, 18 पैन कार्ड, 2 इंटरनेशनल डेबिट कार्ड, 75 क्र ेडिट व डेबिट कार्ड, 20 पेयर कॉन्टेक्ट लेंस, 30 मोबाइल सिम कार्ड,131 चेक बुक, पांच टॉय पिस्टल और रिवॉल्वर, 400 बुलेट , दो एयर गन और एक मोबाइल जैमर बरामद हुआ है।

दिल्ली से भी करोड़ों की बरामदगी
अपराध शाखा की जांच में अभी तक दोनों आरोपियों के नाम से 83 करोड़ रु पये की संपत्ति का पता लगा है। इनमें विभिन्न बैंकों में 23 करोड़ रु पये, 50 लाख की 60 कलाई घड़ियां, 20 करोड़ रु पये से अधिक का अन्य माल, दिल्ली और बाहर करीब 6 करोड़ रु पये की प्रॉपर्टी, 20.45 करोड़ रु पये के अनपेड डीडी आदि शामिल हैं। प्रभाकर ने दिल्ली में 13 फर्जी नाम-पते पर 20 से अधिक बैंकों में 94 खाते खोल रखे थे। द्वारका में 8 फ्लैट, भिवानी, अलवर और मुरादाबाद में एक-एक फ्लैट और गोवा में एक विला खरीद रखा था। लैंड क्रूजर, मिर्सडीज़ और पजेरो जैसी महंगी 12 कारें भी पुलिस ने बरामद की हैं। इनकी कीमत 60 करोड़ रु पये बताई गई है। जानकारी के मुताबिक, प्रभाकर निवेशकों को लूटने के लिए हर बार अपना चेहरा बदल लेता। उसके पास से 20 कॉन्टेक्ट लेंस भी पुलिस ने बरामद किए हैं। जिस शहर में पति-पत्नी रहते, वहां के टॉप हेयर ड्रेसर के पास दोनों जाते थे। प्रभाकर के शातिर दिमाग का इसी से पता चलता है कि जिंदा रहते हुए भी उसने खुद को मृत घोषित कर रखा था। मार्च, 2004 में उसके कहने पर साक्षी ने प्रभाकर के परिवार को एक ई-मेल कर सूचना दी थी कि प्रभाकर की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इसीलिए पुलिस ने जब प्रभाकर की गिरफ्तारी की सूचना उसकी मां श्रीमती कमल को फोन पर दी, तो उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था।

अपने किए पर कोई पछतावा नहीं
प्रभाकर की ज्यादा पढ़ा-लिखा न होने के बावजूद स्टॉक और फाइनेंस पर अच्छी पकड़ है। पुलिस भी उस पर हाथ नहीं डाल पा रही थी, इसलिए उसके हौसले बढ़ते गए। वह ठगी का नया-नया तरीका अपनाता रहा। इसमें उसका पूरा साथ उसकी पत्नी साक्षी ने दिया। दोनों का मकसद लोगों को ठगकर दौलत का अंबार लगाना था। खुद प्रभाकर 19 लाख रु पये की सोने कीरोलेक्स घड़ी बांधता था। सोचा था, कभी पकड़े नहीं जाएंगे, पर यह भूल गए कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। वह दो पैर से भागता है, तो पुलिस हजार पैरों से उसका पीछा करती है। दिल्ली पुलिस ने आरोपी प्रभाकर और साक्षी को गिरफ्तार कर लिया। मुंबई में भी प्रभाकर की कुछ प्रॉपर्टी का पता चला है। वहां की पुलिस जांच में लगी है, लेकिन आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों ने बताया कि सलाखों के पीछे पहुंचने पर भी इन दोनों आरोपियों को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।

फाइव स्टार होटल में पार्टी देता
प्रभाकर निवेशकों को फिल्म वर्ल्ड में काम करने की ट्रेनिंग भी देता था और उसके लिए एक मराठी मूवी की पटकथा भी लिख डाली थी। उसने इस फिल्म के लिए हीरो - हीरोइन की जरु रत का विज्ञापन भी दिया था, वहीं करोलबाग, दिल्ली निवासी अंकुर (पीड़ित) के अनुसार प्रभाकर सप्ताह में दो बार फाइव स्टार होटल या फिर फार्महाउस पार्टी करता था। उसमें बॉलिवुड और टीवी की सिलेब्रिटीज को भी बुलाया जाता था। फ्री में शराब पिलाई जाती थी। लोगों से आमने-सामने पिब्लसिटी के जरिए या फिर फेसबुक या एसएमएस से संपर्क किया जाता था।
पुलिस का कहना है कि आरोपी पति-पत्नी नाम और पहचान बदलकर काम करते थे। रत्नागिरी में 11 नवंबर को जब इन्हें गिरफ्तार किया गया, तो ये दोनों सिद्धार्थ जे. मराठे   और माया मराठे के नाम से वहां रह रहे थे। आरोपी प्रभाकर दिल्ली में लोकेश्वर देव, गोवा में लोकेश्वर वीर देव उर्फ देव साहब, बेंगलुरु  में उल्हास उर्फ रोहित और मुंबई में सिद्धार्थ मराठे के नाम से लोगों को चूना लगा चुका है।

-जितेन्द्र बच्चन

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