बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

पुलिस प्रताड़ना

पुलिस का एक और खौफनाक चेहरा! एक महिला शिक्षक को बना दिया नक्सली! पहले माओवादियों ने कहर बरपा। अब पुलिस ने उसे अपने शिकंजे में ले लिया है। टार्चर करने का तरीका सुनकर दिल दहल जाता है। क्यों कर रही है पुलिस अत्याचार? क्या है महिला और उसके पति की हकीकत?
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35 साल की सोढ़ी कल तक मुल्क के नौनिहालों को अंधेरे से उजाले की राह दिखाती थी, लेकिन आज उसका अपना खुद का वजूद दांव पर लग चुका है। जिंदा लाश बनकर रह गई है। उस पर किए गए पुलिस के अत्याचार को सुनकर दिल दहल जाता है। कोई सोच भी नहीं सकता कि पुलिस इतनी क्रूर होती है। बेइंतहा मारा-पीटा, फिर गुप्तांग में पत्थर डालने जैसा दुस्साहस भी पुलिस ने कर दिखाया। ठीक से खड़ी नहीं हो पाती सोढ़ी। इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब कहीं जाकर उसे दिल्ली के एम्स में दाखिल किया गया। सोढ़ी के माता-पिता को माओवादियों ने गोली मारकर जख्मी कर दिया था। उनका जगदलपुर के हास्पिटल में इलाज हुआ। उजड़ गया घर, बिखर गए सपने। पति माओवादी होने के आरोप में जेल में है। पांच से 12 साल के तीन बच्चे रिश्तेदारों और होस्टल के सहारे जी रहे हैं। भ•तीजा लिंगाराम नक्सलियों के लिए चौथ वसूली करने के इल्जाम में सीखचों के पीछे कैद है।
सोढ़ी मूलत : छत्तीसगढ़ के जिला दंतेवाड़ा स्थित पालनार थाना अंतर्गत बडेÞ बेडमा की रहने वाली है। पिता का नाम मुंडरा है, जो दंतेवाड़ा के पूर्व विधायक नंदाराम के भ•ााई हैं। सोढ़ी की लोगों की मदद करना शुरू से आदत रही है। उसकी गिनती बेबाक और तेज-तर्रार महिलाओं में होती है। गीदम के एक गैर आदिवासी युवक अनिल पुटानी के साथ सोढ़ी की शादी हुई। दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी छत्तीसगढ़ से बाहर दूसरे राज्य में पढ़ती है और बाकी के दोनों बच्चे नाना-नानी के पास रहते हैं। भतीजा लिंगाराम कोडोपी सोढ़ी के साथ ही रहता था। खुद सोढ़ी मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर दंतेवाड़ा के समेली के सरकारी स्कूल में पढ़ा रही थी। घर-गृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी। करीब पांच साल पहले सोढ़ी को जबेली के बालिका आश्रम में बतौर अधीक्षिका नियुक्त कर दिया गया। वह बडेÞ बेडमा से समेली में आकर रहने लगी, तभी जैसे एक तूफान आया और सबकुछ एक झटके में तबाह कर गया। माओवादियों ने 15 जून, 2011 को सोढ़ी के घर पर धावा बोल दिया। जमकर लूटपाट की। पिता मुंडरा को गोली मार दी। जाते-जाते घर के बाहर खड़े ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया। आतताईयों के फरार होने के बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई। आनन-फानन में मुंडरा को महारानी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका लंबा इलाज चला।
सोढ़ी ने घटना के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की, तो नक्सली और खफा हो गए। पुलिस ने भी सोढ़ी की मदद नहीं की, बल्कि उसी को नक्सलियों की मददगार कहने-बताने लगी। इधर कुआं उधर खाई, कहां जाए सोढ़ी? पुलिस का अत्याचार लगातार बढ़ता गया। नकुलनार के कांग्रेसी नेता अवधेश सिंह गौतम के घर हुए माओवादी हमले के मामले में पुलिस ने सोढ़ी के पति अनिल को गिरफ्तार कर लिया। उसने लाख अपनी बेगुनाही की सफाई दी, लेकिन पुलिस एक नहीं मानी। करीब एक साल से अनिल दंतेवाड़ा जेल में बंद है। इसके बाद 9 सितंबर को दंतेवाडा पुलिस ने एक घटनाक्रम में ‘एस्सार’ कंपनी के किरंदुल इकाई के महाप्रबंधक डीवीसीएस वर्मा और ठेकेदार बीके लाला को नक्सली समर्थक लिंगाराम कोडोपी को 15 लाख रु पये देते हुए दबोचा लिया। दोनों इस समय जगदलपुर जेल में कैद हैं। पुलिस का कहना है कि इस मामले में सोढ़ी भी आरोपी है। माओवादियों को आर्थिक मदद पहुंचाने (अवैध वसूली) का काम करती थी वह। उस रोज लिंगाराम के साथ सोढ़ी भी मौजूद थी, लेकिन पुलिस के आते ही भ•ाग निकली। एस्सार कांड से नाम जुड़ते ही सोढ़ी को छात्रावास की अधीक्षिक पद से निलिंबत कर दिया गया। पुलिस उसे तेजी से तलाशने लगी।
पुलिस अधीक्षक (दंतेवाड़ा) अंकित गर्ग के अनुसार,आरोपी लिंगाराम कोडोपी सोढ़ी के रिश्ते में भतीजा है। खुद कोडोपी ने दिल्ली से पत्रकारिता कर रखी है और स्वामी अिग्नवेश सहित दिल्ली के कई बुद्धिजीवियों से उसके मधुर संबंध हैं। पुलिस ने इलेक्ट्रानिक सर्विलेंस की मदद से सोढ़ी पर नजर रखना शुरू कर दिया। पता चला, सोढ़ी जयपुर स्थित बरकतनगर में पीयूसीएल की महासचिव कविता श्रीवास्तव के घर छिपी है। दो अक्टूबर की सुबह छत्तीसगढ़ और राजस्थान पुलिस ने मिलकर कविता के घर छापा मारा, लेकिन सोढ़ी नहीं मिली। हां, राजस्थान की सुरक्षा एजेंसियों और इंटेलीजेंस में जरूर हड़कंप मच गया। दंतेवाड़ा पुलिस ने सोढ़ी का पता लगाने के लिए जय जोहार सेवा संस्थान के सचिव नरेंद्र दुबे से भी पूछताछ की। बाद में 4 अक्टूबर को दक्षिण दिल्ली के कटवारिया सराय इलाके के बस स्टैंड से दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने सोढ़ी को गिरफ्तार कर लिया।
दिल्ली पुलिस के तत्कालीन डीसीपी (क्र ाइम ब्रांच) अशोक चांद के अनुसार, 5 अक्टूबर को सोढ़ी को साकेत कोर्ट में पेश किया गया। अदालत में सोढ़ी ने बताया कि वह और उसका पति इलाके के सर्वोदय कार्यकर्ता हिमांशु कुमार के संपर्क में थे और उनके मजदूरी बढ़ाने के लिए किए गए आंदोलन में शामिल होने की बात पुलिस डायरी में भी दर्ज है। छत्तीसगढ़ पुलिस का यह इल्जाम कि वे दोनों पति-पत्नी नक्सलियों की आर्थिक मदद के लिए एस्सार कंपनी से चौथ वसूली करते थे, गलत है। लेकिन अदालत ने सोढ़ी को एक दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में तिहाड़ जेल भज दिया। बाद में छत्तीसगढ़ पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर सोढ़ी को छत्तीसगढ़ ले गई। कहते हैं यहां उस पर आरोप स्वीकारने के लिए यातनाओं का दौर चलाया गया। उसके पैर जंजीर से जकड़ दिए गए। सोढ़ी के सिर में गंभीर चोट आई है। बेहोशी की हालत में पुलिस उसे अस्पताल ले गई, जहां जंजीर बांधे जाने के विरोध में सोढ़ी ने अनशन शुरू कर दिया।
दो दिन बाद पुलिस ने सोढ़ी को प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी योगिता वासनिक की अदालत में पेश किया। वहां से उसे 17 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में जगदलपुर सेंट्रल जेल भ•ोज दिया गया। इस बीच पुलिस की ज्यादती के चलते सोढ़ी की तबियत और खराब हो गई। इलाज के लिए उसे जगदलपुर के महारानी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो रायपुर के भीमराव अंबेडकर अस्पताल में ले जाया गया। वहां सोढ़ी ने पुलिस ज्यादती के विरोध में भ•ाूख हड़ताल शुरु कर दी। उसका कहना है कि थाना किरंदुल में पदस्थ आरक्षक मंकार का इस घटना से पहले उससे संपर्क था। माओवादी को इस बात को लेकर शक हो गया कि मैं पुलिस के लिए काम करती हूं और उन्होंने हमें तबाह करना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस झूठे आरोप लगाकर हमें परेशान करने लगी।
अस्पताल में सोढ़ी के पैरों की बेड़ियां खोल दीं गर्इं, लेकिन दूसरी तरह के पुलिसिया कहर कम नहीं हुए। वह बस्तर जेल में बंद है, लेकिन तबियत में सुधार न होने के कारण उसे इस समय अदालत की दखल पर एम्स में भ•ार्ती कराया गया है। मामले की जांच अब सीआइडी के आइजी पीएन तिवारी की अगुआई में गठित एसआइटी को सौंपी दी गई है। इस चार सदस्यीय टीम में पहले से इस मामले की जांच कर रहे किरंदुल के एसडीओ (पुलिस)अंशुमान सिंह भी शामिल हैं। सोनी और उसका परिवार नक्सलवादी हैं या नहीं, यह पुलिस जांच और न्यायालय के फैसले से ही तय होगा, मगर सोढ़ी की हालत को देखते हुए हमारी व्यवस्था पर जो सवाल उठता है, उनका क्या होगा?
पुलिस की खुली पोल
दंतेवाड़ा पुलिस का कहना है कि एस्सार से पैसा लेकर बीके लाला, लिंगाराम कोडोपी और सोढ़ी सोरी नक्सलियों को देने वाले थे। इस बात की भनक मिलते ही पुलिस ने पालनार गांव के साप्ताहिक बाजार से बीके लाला और लिंगाराम कोडोपी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन मौके पर मौजूद सोढ़ी फरार हो गई। उसे बाद में दिल्ली अपराध शाखा की पुलिस ने पकड़ा। सोढ़ी लोगों की हमदर्दी बटोरने के लिए मीडिया और अदालत को गुमराह कर रही है, लेकिन जब इस घटना की जांच हुई, तो रहस्योद्घाटन हुआ कि दंतेवाड़ा पुलिस ने आरोपी बीके लाला और लिंगाराम कोड़ोपी को उनके घर से उठाया था और उन्हें नाटकीय तरीके से पालनार बाजार में पकड़े जाने की बात कही थी।
लिंगाराम को इससे पहले भी अक्टूबर 2009 में 40 दिनों तक एसपीओ बनने का दबाव देकर थाने में रखा गया था, जिसे उच्च न्यायालय के दखल के बाद छोड़ा गया। बाद में दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई करने के दौरान भी अप्रैल 2010 में उस पर नक्सल हमले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था, वहीं नक्सलियों ने जून 2011 में सोढ़ी के पिता के पैर में गोली मार दी थी। इससे यह सवाल खड़ा होना लाजमी है कि जिस परिवार पर नक्सली हमले कर रहे हैं, उसी की बेटी को पुलिस कैसे नक्सली समर्थक बता सकती है?
दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बयान जारी कर कहा है कि सोढ़ी और लिंगाराम कोडोपी को राजनीतिक कारणों से फंसाया गया है। इन दोनों के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। सोढ़ी के भतीजे कोडोपी ने सीआरपीएफ द्वारा तीन आदिवासियों की हत्या के मामले को उजागर किया था। उसी खुन्नस में लिंगाराम को गिरफ्तार कर लिया गया। इस गिरफ्तारी का सोढ़ी ने विरोध किया, तो पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया। एमनेस्टी ने मांग की है कि सोढ़ी और लिंगाराम कोडोपी के खिलाफ राजनीति से प्रेरित तमाम मामले वापस लिए जाएं और उन्हें बिना शर्त तत्काल रिहा किया जाय। साथ ही पुलिस प्रताड़ना और लापरवाही पूर्वक इलाज के मुद्दे पर एक त्वरित, निष्पक्ष, स्वतंत्र और प्रभवशाली जांच सुनिश्चित की जाए। मामले में जो भी पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
बस्तर में कैद है आरोपी
बस्तर (छत्तीसगढ़) के पुलिस अधिक्षक मयंक श्रीवास्तव के अनुसार, सोनी सोढ़ी पर नक्सलियों को आर्थिक मदद पहुंचाने का आरोप है। उसने एस्सार कंपनी से वसूली की थी। यह मामला दंतेवाड़ा पुलिस ने दर्ज किया है, जो न्यायालय में विचारााधीन है। आरोपी सोढ़ी इस समय सेंट्रल जेल बस्तर में बंद है।

-जितेन्द्र बच्चन

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