सोमवार, 27 मई 2013

गाजियाबाद का दिल दहला देने वाला सामूहिक हत्याकांड

किसकी साजिश कौन सूत्रधार?

22 साल के युवक ने एक ही परिवार के सात लोगों को मार डाला! हो सकता है कि यह घटना उसी ने की हो, लेकिन पुलिस, एसटीएफ और उनके तमाम विशेषज्ञों ने मिलकर इस मामले के खुलासे की जो कहानी बताई, वह किसी के गले नहीं उतर रही है। आखिर किसने रची साजिश? कौन है असली सूत्रधार और किसे बचा रही है पुलिस?

एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या से पूरे प्रदेश में सनसनी फैल गई। बेरहम कातिल ने माता-पिता के साथ बेटे-बहू और पोते-पोतियों को भी नहीं छोड़ा। घर के भीतर जो भी मिला, बड़ी बेरहमी से उसे मौत के घाट उतार दिया। घटना 21 मई, 2013 की है। गाजियाबाद के सतीश चंद्र गोयल थाना कोतवाली स्थित नई बस्ती के रहने वाले थे। परिवार में पत्नी मंजू (62), पुत्र सचिन (40), बहू रेखा (38) और उसके तीन बच्चों- मेघा (13), नेहा (10) और अमन (7) को लेकर कुल सात लोग थे। सतीश को किडनी की समस्या थी। डॉक्टर की सलाह पर कंपाउंडर रोज उन्हें इंसुलिन का इंजेक्शन लगाने आता था, लेकिन 22 मई की सुबह करीब 8 बजे वह आया, तो उसके होश उड़ गए। दरवाजा खुला हुआ था और घर के अंदर खून ही खून ही फैला था। ऊपर-नीचे पूरे परिवार की रक्तरंजित लाशें पड़ी थीं। कंपाउंडर ने पड़ोसियों को बताया, फिर मामले की सूचना पुलिस को दी गई। शहर में कोहराम मच गया। एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या से पुलिस महकमे के भी हाथ-पैर फूल आए। थाना कोतवाली पुलिस और एसएसपी नितिन तिवारी मौके पर आ पहुंचे। पुलिस के स्पेशल आॅपरेशन ग्रुप और क्र ाइम टीम ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी। दो शव घर की प्रथम मंजिल और बाकी पांच शव दूसरी मंजिल पर पड़े थे।
सतीश गोयल बताशेवाला उर्फ गैंडा (65) तीन भाई थे। उनका आढ़त का पुश्तैनी काम था। तीनों भाई साझे में रहते थे। बाद में सतीश दोनों भाइयों से अलग हो गए। अनाज मंडी गाजियाबाद में खल-चूरी का थोक व्यवसाय शुरू कर दिया, फिर करीब 15 साल पहले उन्होंने प्रॉपर्टी के काम में हाथ आजमाया, तो देखते ही देखते शहर के बड़े बिल्डरों में उनकी गिनती होने लगी। उन्होंने नई बस्ती, घंटाघर और पुराने शहर में तमाम प्रॉपर्टियों की खरीद-फरोख्त की। कुछ विवादित प्रॉपर्टी को लेकर उनका लोगों से विवाद भी हुआ, लेकिन सतीश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लाखों से करोड़ों में खेलने का क्रम जारी रहा। इधर कुछ दिनों से सतीश का स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा था। किडनी का आॅपरेशन कराना था। उसके लिए एक करोड़ रुपये घर में रखे थे। इसके अलावा ज्वेलरी भी अच्छी-खासी थी। ऊपर-नीचे घर का सारा सामान बिखरा हुआ था। पुलिस ने अनुमान लगाया कि हो सकता है कि लूटपाट की इरादे से इस घटना को अंजाम दिया गया है।

सतीश गोयल के मकान के आगे की सड़क महज 10 फुट चौड़ी है। नजदीक ही चोपड़ा मेडिकल स्टोर है। एक-दूसरे के मकानों की छतें आपस में सटी हुई हैं। कहीं भी आवाज हो और सामने वाले को पता न चले, इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन पुलिस पूछताछ में किसी पड़ोसी ने कोई खास जानकारी नहीं दी। सभी का यही कहना था कि आमतौर पर सतीश गोयल और सचिन रात साढ़े 10 बजे तक दुकान से घर लौट आते थे, लेकिन उस रात सतीश और सचिन दोनों पौने नौ बजे ही आ गए थे। 22 मई को पड़ोसी के यहां शादी थी। उसके यहां डीजे बज रहा था। ऐसे में गोयल परिवार के लोग चीखे-चिल्लाए भी होंगे, तो उनकी आवाज सुनाई नहीं पड़ी। नौकरों के बारे में पूछने पर पता चला कि सतीश गोयल ने अपने पुराने कार चालक राहुल को नौकरी से निकाल दिया है। इस बीच पुलिस टीम को मौके पर जांच में जूते के कुछ निशान मिले, जो आठ नंबर के थे। वह छुरा भी मिल गया, जिससे कत्ल किया गया था। जूते के नंबर और खंजर पर मिले फिंगर प्रिंट्स के आधार पर पुलिस का पूरा शक राहुल पर आकर टिक गया।

12वीं पास राहुल वर्मा (22) थाना कोतवाली (नगर) गाजियाबाद के मोहल्ला बजरिया का रहने वाला है। दो छोटे भाई हैं, लेकिन घरवालों से मनमुटाव के कारण इन दिनों राहुल इंदिरापुरम में अपने कजन के साथ रह रहा था। राहुल के दादा उत्तर प्रदेश पुलिस में दारोगा रहे। पुलिस ने राहुल की खोजबीन में कई जगह दबिश दी, लेकिन उसका सुराग नहीं मिला। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह गाजियाबाद आए। पीड़ित परिवार से मिले। इससे राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई। एसएसपी नितिन तिवारी और उनके मताहतों को आईजी ने सख्त निर्देश दिए। 23 मई को मुखबिर से पता चला कि राहुल ने अभी 10-12 दिन पहले ही एक महंगा मोबाइल फोन खरीद कर अपनी गर्लफ्रेंड को गिफ्ट किया है। पुलिस ने उस युवती को एक घंटे बाद हिरासत में ले लिया, तभी राहुल का युवती के मोबाइल पर फोन आ गया। लोकेशन मिलते ही स्पेशल आॅपरेशन ग्रुप और क्राइम टीम ने राहुल को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के अनुसार, राहुल इंटर पास करने के बाद दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में एनिमेशन का कोर्स कर रहा था। इस बीच उसे नशे की लत पड़ गई। वह आवारागर्दी करने लगा। नहीं सुधरा, तो माता-पिता ने बेटे को घर से निकाल दिया। राहुल भटक गया। उसकी एक युवती से दोस्ती हो गई, फिर दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे। राहुल के खर्चे बढ़ गए। प्रेमिका के शौक और खर्चे पूरे करने की उधेड़बुन में एक रोज राहुल की मुलाकात सतीश गोयल के ड्राइवर मोनू से हुई। मोनू की सिफारिश पर सतीश ने राहुल को भी अपने यहां पांच हजार की मासिक तनख्वाह पर कार चालक रख लिया। उन्हें क्या पता था कि वह आस्तीन का सांप निकलेगा। घटना से करीब 12 दिन पहले राहुल ने सतीश गोयल के घर से साढ़े चार लाख रुपये चुरा लिए। उसमें से एक लाख रुपये राहुल ने अपने दोस्त जुगनू जैकब को दे दिए। बाकी जो बचा, उसमें प्रेमिका को मोबाइल गिफ्ट किया और कई दिन दोस्त-यारों के साथ शराब-शबाब की मौज-मस्ती में डूबा रहा। उसकी हरकतों से तंग आकर गोयल को इस बात का पता चलते देर नहीं लगी कि रुपये की चोरी राहुल ने ही की है। उन्होंने उसे नौकरी से निकाल दिया। राहुल अब पूरी तरह से सड़क पर आ चुका था। बेरोजगार होते ही गर्लफ्रेंड भी कन्नी काटने लगी। इस सब का जिम्मेदार राहुल सतीश गोयल को मानने लगा।

उनके प्रति उसकी नफरत बढ़ने लगी। वह जानता था कि गोयल करोड़पति है। कब कितना पैसा कहां से आ-जा रहा है, यह भी पता था। राहुल ने लूट की साजिश रचनी शुरू कर दी। दो-तीन दोस्तों से भी इस सिलसिले में बात की। प्रशांत नामक मित्र को अपनी साजिश में शामिल होने को भी कहा। राहुल के अनुसार, उसका इरादा किसी को कत्ल करना नहीं था। सोचा था, घर में घुसेगा और किसी एक बच्चे को चाकू की नोक पर लेकर मोटी रकम हासिल कर लेगा। पुलिस के अनुसार, 20 मई को उसने मालीवाड़ा से 100 रु पये का छुरा और एक रस्सी खरीदा, फिर 21 मई की रात करीब साढ़े सात बजे गोयल के घर के पीछे बनी सीढ़ियों से एक दूसरे मकान की छत पर जा पहुंचा। वहां से दो-तीन छतों से होता हुआ सतीश गोयल की छत पर आ गया। यहां कुछ बच्चे खेल रहे थे। राहुल ने उन्हीं के पास बैठकर दो सिगरेट पी। बच्चे खेलकर चले गए, तो राहुल मुंह पर गमछा बांधकर करीब 10 फीट ऊंची छत से रस्सी के सहारे नीचे प्रथम तल पर कूद पड़ा। उसके पैर में फैक्चर हो गया। मुंह से गमछा भी खुल गया। इस बीच पुलिस के अनुसार, धड़ाम की आवाज सुनकर मेघा ने राहुल को देख लिया। पहचाने जाने के डर से वह घबरा गया। उसने मेघा के पेट में छुरा घोंप दिया, फिर उसका गला रेतकर कत्ल कर डाला। बच्ची की आवाज सुनकर उसकी मां रेखा आई, तो राहुल ने उसे भी लपककर छुरे से गोद डाला। दो लोगों की हत्या करने के बाद राहुल को लगा कि पैर में चोट लगने के कारण वह वापस छत के रास्ते नहीं लौट सकता, इसलिए उसे मेन गेट से ही निकलना होगा।

ऐसे में उसका पकड़ा जाना तय है। राहुल के इरादे और खूंखार हो गए। वह नीचे आया और सतीश के बेटे सचिन को सामने देखते ही उसके पेट में छुरा घोंप दिया। वह जमीन पर गिर पड़ा, राहुल ने उसका गला रेत दिया। सतीश और उनकी पत्नी मंजू ने यह मंजर देखा, तो सदमे से बेहोश हो गए। सचिन ने बेहोशी की हालत में ही सतीश और मंजू का भी गला रेत दिया। अब मासूम अमन और नेहा बचे थे। खून-खराबा देख दोनों रोने लगे। राहुल ने उन दोनों की भी बड़ी बेरहमी से गला रेतकर हत्या कर दी। पास के मकान में डीजे बज रहा था, जिसमें पूरे परिवार की चीख-पुकार दबकर रह गई।
पुलिस के मुताबिक, हत्याओं के बाद राहुल ने अलमारी खोली और उसमें रखी जूलरी और 10 हजार रुपये चुरा लिए। जिस लॉकर में एक करोड़ की नकदी रखी थी, उसे तोड़ नहीं पाया। परेशान होकर राहुल मेन गेट से निकल गया, लेकिन पुलिस, एसटीएफ और उनके तमाम विशेषज्ञों ने मिलकर इस मामले का यह जो खुलासा किया है, वह किसी के गले नहीं उतर रही है। एसएसपी ने आरोपी के पास से खून से सने कपड़े व लूटे गए जेवर और नकदी बरामद करने का भी दावा किया है, लेकिन पुलिस की इस कहानी में कई पेंच हैं, जिससे कई सवाल खड़े होते हैं। 21-22 साल का एक दुबला-पतला लड़का सात लोगों की हत्या भला कैसे कर सकता है? वह भी जख्मी-टूटे पैर के बाद तो कतई नहीं? जरूर इस घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश है। कौन है असली सूत्रधार? किसे बचा रही है पुलिस?

सीबीआई जांच की मांग
सतीश गोयल की पुत्री शैली और दामाद सचिन का कहना है कि इस हत्याकांड में राहुल के अलावा भी कुछ लोग शामिल हैं, लेकिन पुलिस की कार्रवाई से लग रहा है कि वह किसी को बचाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें राहुल की कमीज और गमछा दिखाया। उस पर खून के थोड़े से निशान हैं और दोनों कपड़े सही-सलामत हैं। ऐसा कैसे हो सकता है? उसने सात लोगों को कत्ल कर डाला और उसकी कमीज के बटन तक नहीं टूटे और न जेब फटी? यहां तक कि खून से भी कमीज पूरी तरह नहीं रंगी? शैली ने एक और सवाल उठाया है। उनका कहना है कि पुलिस कत्ल का जो समय बता रही है, वह भी गलत है। रात्रि 8.39 बजे मेरी अपने भाई सचिन से दो मिनट मोबाइल फोन पर बात हुई है। वहीं, भाजपा (गाजियाबाद) के उपाध्यक्ष अजय शर्मा ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।

विरोध के चलते मुख्यमंत्री नहीं आए

26 मई को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का गाजियाबाद आने का प्रोग्राम था। यहां और गौतमबुद्धनगर के करीब आठ हजार छात्र-छात्राओं को लैपटॉप वितरित करना था। इसके अलावा जीडीए के करीब चार हजार करोड़ की लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण व शिलान्यास भी करना है, लेकिन गोयल परिवार हत्याकांड को लेकर व्यापारियों और राजनीतिक दलों के तीखे विरोध के चलते मुख्यमंत्री का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। जिलाधिकारी (गाजियाबाद) एसवीएस रंगा राव के अनुसार अब मुख्यमंत्री शायद 3 जून को गाजियाबाद आएंगे।
थाना प्रभारी निलंबित
कोतवाली थाना प्रभारी लालू सिंह मौर्य को निलंबित कर दिया गया है। सतीश गोयल ने पुलिस से कुछ दिन पहले सुरक्षा मांगी थी, लेकिन इंस्पेक्टर मौर्य ने उन्हें सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई थी। मामले की जांच-पड़ताल की जा रही है।    
-भावेश कुमार, आईजी (मेरठ जोन)

दो दिन की रिमांड में उगले कई राज
पुलिस ने आरोपी राहुल वर्मा को दो दिन (24-25 मई) की रिमांड पर लेकर पूछताछ की, तो कई और सनसनीखेज जानकारियां दी हैं। उसके बयान के आधार पर इस मामले में तीन और लोगों जुगनू जैकब, मोनू और प्रशांत का नाम सामने आया है। जुगनू शातिर अपराधी है। वह 2008 में मुरादनगर में हुई करीब 20 लाख की लूट में जेल भी जा चुका है। पुलिस ने उसे 24 मई 2013 को कोटगांव फाटक के पास से गिरफ्तार कर लिया। वह गाजियाबाद के मोहल्ला आर्यनगर का निवासी है। राहुल का दोस्त है। राहुल ने जब सतीश गोयल के घर से साढ़े चार लाख रुपये चुराए थे, तो उसमें से एक लाख रुपये उसने जुगनू को दे दिए थे। पुलिस जुगनू के साथ-साथ मोनू से भी पूछताछ कर रही है। 25 मई को प्रशांत भी पकड़ में आ गया। राहुल की साजिश का इन तीनों को पता था, लेकिन प्रशांत का कहना है कि वह राहुल की साजिश में शामिल नहीं है।
-नितिन तिवारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
-जितेंद्र बच्चन

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