गुरुवार, 6 जून 2013

भैया राजा को उम्रकैद


बुंदेलखंड का बाहुबली और इलाके में आतंक का पर्याय रहे रतनगढ़ी के भैया राजा पर 38 से ज्यादा संगीन आरोप हैं! उनमें से एक फैशन डिजाइनर वसुंधरा हत्याकांड में अदालत ने पवई के पूर्व विधायक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कौन है भैया राजा? क्या है उसके पापों की काली कहानी?


नब्बे के दशक में बुंदेलखंड में अशोक वीर विक्रम सिंह उर्फ भैया राजा की तूती बोलती थी। उन दिनों वह पवई विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहा था। चुनाव चिह्न हाथी था। भैया ने नारा दिया था- ‘मोहर लगेगी हाथी पर, नहीं तो गोली चलेगी छाती पर! लाश मिलेगी घाटी पर!’ बड़े-बड़े तुर्रम खां भैया राजा के नाम से कांपते थे। जिसने की हुक्मअदूली, उसे खिला दिया जिंदा मगरमच्छों को। चुनाव में जीत हुई। अकूत धन-संपदा के मालिक तो हैं ही, विधायक बनते ही इलाके में सरकार भी अपनी चलने लगी। पुलिस दारोगा की बात छोड़िए, केंद्र और राज्य के मंत्रियों में दम नहीं होता था कि भैया राजा के मुंह से निकली बात को पलट दें। कर्नल हो कैप्टन, हर कोई उसके खिलाफ जाने में सौ बार सोचता। रियासत नहीं रही तो क्या हुआ, राजाओं और नवाबों वाला रुतबा तो बरकरार ही था। उनकी हैसियत की समाजवादी पार्टी के मुखिया भी कायल रहे। 1993 में पवई (जिला पन्ना) से भैया राजा सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी रहे। उनकी पत्नी आशा रानी सिंह छतरपुर जिले के बिजावर विधासभा सीट से भाजपा की विधायक हैं, लेकिन कानून और अदालत के आगे किसी की नहीं चलती। कहावत भी है, देर से ही सही पर अत्याचार का अंत जरूर होता है। 30 मई को छतरपुर जिला के नवम अपर सत्र न्यायाधीश संजीव कालगांवकर ने इस बाहुबली और पूर्व विधायक भैया राजा को वसुंधरा हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। छतरपुर जिले के गहरवार में बनी भैया राजा की रतनगढ़ी हवेली में अब सन्नाटा पसर चुका है और परिजन मायूस हैं।

भैया राजा पर फैशन डिजाइनर व अपनी ही नातिन वसुंधरा का यौन-शोषण और उसकी हत्या करने का आरोप था। पुलिस ने इस मामले में कुल 36 गवाह अदालत में पेश किए। अदालत ने अपने 124 पृष्ठों के फैसले में भैया राजा, भूपेंद्र सिंह उर्फ हल्के, राम किशन उर्फ छोटू लोधी, अभमन्यु उर्फ अब्बू और पंकज शुक्ला उर्फ मरतंड शुक्ला को हत्या का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद के साथ पांच-पांच सौ रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि इसी मामले की एक अन्य आरोपी रोहणी शुक्ला उर्फ रंपी को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया।
वसुंधरा उर्फ निशि बुंदेला (20) उन दिनों भोपाल में रहकर फैशन डिजायनिंग की पढ़ाई पूरी कर रही थी। भैया राजा के रिश्ते में वह उसकी भाजी लगती थी। उसी लिहाज से जब भी भैया राजा भोपाल जाते, वसुंधरा से जरूर मिलते। ऐसे में ही कहते हैं कि एक रोज उनकी नजर उस पर खराब हो गई। उसने वसुंधरा को तरह-तरह के उपहार आदि देकर उसे जल्द ही अपनी ओर आकर्षित कर लिया। कभी-कभी छुट्टियों में अब वसुंधरा भी भैया राजा की छतरपुर वाली हवेली में आने लगी थी। मौका देखकर एक रोज वह शैतान बन गया। उसने अपनी भाजी को ही खराब कर डाला। न उम्र की परवाह की और न ही मान-मर्यादा के बारे में सोचा। भाजी के साथ भैया राजा के अवैध संबंधों का सिलसिला चल पड़ा। जब भी मौका मिलता, वह दबोच लेते। बेचारी लाज-भयवश किसी से कुछ कह नहीं पा रही थी। इसका भी भैया राजा ने बहुत फायदा उठाया। होश तब उड़ गए, जब एक रोज पता चला कि वसुंधरा गर्भवती है।

भैया राजा ने वसुंधरा से अबॉर्शन कराने को कहा, तो वह तिलमिला उठी, ‘कभी नहीं! तुमने जो पाप किया है, उसे अब मैं पूरी दुनिया के सामने लाकर रहुंगी। तुम्हारी यह झूठी आन-बान और शान मैं मिट्टी में मिला दूंगी। मैं तुम्हें समाज के सामने नंगा कर दूंगी।’ वसुंधरा का गुस्सा देखकर भैया राजा के पैरों तले से जमीन सरक गई। वह समझ गया कि अगर अभी इसका इलाज नहीं किया गया, तो वह वाकई बदनाम हो जाएगा। उसने जबरन वसुंधरा का गर्भवती करवा दिया, फिर उसकी हत्या की साजिश रचनी शुरू कर दी। भैया राजा के इस खूनी खेल में भूपेंद्र उर्फ हल्के, पंकज शुक्ला, राम किशन उर्फ छोटू, रंपी उर्फ रोहिणी और अ•िामन्यु शामिल थे। भूपेंद्र, अशोक वीर विक्रम सिंह उर्फ भैया राजा का जीप चालक था। रोहिणी भैया राजा के दत्तक पुत्र राम अवतार की बेटी है और वसुंधरा की सहेली थी। पंकज शुक्ला रोहिणी का पति है और अभिमन्यु भाई।
वसुंधरा को भैया राजा के इस संगीन षड्यंत्र की भनक तक नहीं लगी। योजना के अनुसार 10 दिसंबर, 2009 को रोहिणी भोपाल गई। वसुंधरा को फोन कर शॉपिंग करने के बहाने 10 नंबर मार्केट में बुलाया। वहां कुछ देर दोनों सहेलियां बाजार में घूमती-फिरती रहीं, फिर उसे बहला-फुसलाकर रोहिणी छतरपुर ले आई। यहां से वसुंधरा को रतनगढ़ी कोठी में पहुंचा दिया गया। पर कटे पंक्षी को फड़फड़ाते देखकर भैया राजा के होंठों पर मुस्कान फैल गई। उसके एक इशारे पर ड्राइवर भूपेंद्र ने उन्हीं की पिस्टल से वसुंधरा को गोली मार दी। बेचारी तड़पकर ठंडी पड़ गई, फिर सभी ने मिलकर वसुंधरा की रक्तरंजित लाश जीप में डाली और ठिकाने लगाने के लिए रात के अंधेरे में निकल पड़े।

11 दिसंबर की सुबह थाना मिसरोद पुलिस को किसी ने फोन कर सूचना दी कि गुदरी घाट स्थित रतन सिंह रोड के किनारे झाड़ियों के पास एक युवती का शव पड़ा है। पुलिस ने उसे बरामद कर शिनाख्त करवाई, तो हड़कंप मच गया। वह लाश निशि उर्फ वसुंधरा की थी। पुलिस की सूचना पर वसुंधरा के पिता मृगेंन्द्र सिंह और मां भारती भी आ गए, लेकिन यह कत्ल किसने और कहां किया? कातिल कौन है? उसका मकसद क्या था आदि के संबंध में पुलिस को कोई सुराग नहीं लगा। सभी हैरान-परेशान थे। पोस्टमार्टम के बाद वसुंधरा के अंतिम संस्कार के समय भी उसकी मां भारती इसी उधेड़बुन में लगी रही कि कातिल का चेहरा कैसे बेनकाब हो। उन्हें रोती-विलखती देखकर रोहिणी के भाई अभिमन्यु से नहीं रहा गया। उसने उनके कान में बता दिया कि भूपेंद्र ने अपने आका के कहने पर वसुंधरा को गोली मारी थी। इतना सुबूत बहुत था। पुलिस ने गहन छानबीन के बाद 20 दिसंबर को भैया राजा और इस कत्ल की साजिश में शामिल अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद वसुंधरा हत्या कांड का राज फाश होते देर नहीं लगी।

भैया राजा और अन्य आरोपियों ने लाख कोशिश की, लेकिन जमानत नहीं हुई। भैया राजा ने हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, तब भी सीखचों से बाहर नहीं आ सका। दरअसल, भैया राजा के गुनाहों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। उस पर तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह के भतीजे सिद्धार्थ राव की हत्या करने का भी आरोप है। इस घटना को नैनीताल में अकबर अहमद डम्पी के बंगले में अंजाम दिया गया था। भैया राजा इस मामले में कई साल उत्तर प्रदेश की जेल में बंद भी रहा। उसी दौरान एमपी की सुंदर लाल पटवा सरकार ने भैया राजा की झील को नेस्तनाबूद कर दिया था। बताया जाता है कि भैया राजा अपने दुश्मनों को अपनी झील में फेंक देता था। उसमें मगरमच्छ पाल रखे थे, जो मिनटों में जिंदा आदमी की हड्डियां तक चट कर जाते थे। इसी वजह से तत्कालीन सुंदर लाल पटवा सरकार को उसकी झील को नेस्तनाबूद करना पड़ा था। इसके बाद मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री उमा भारती बनीं, तो उनके आदेश पर भी भैया राजा की झील और बंगले पर पुलिस अधिकारियों ने बड़ी कार्रवाई की थी। अपराध के आरोपों के मामले में भैया राजा की पत्नी और भाजपा विधायक आशा रानी सिंह भी पीछे नहीं हैं। उन पर अपनी नौकरानी तिज्जी बाई को मई 2007 में आत्महत्या के लिए विवश करने का आरोप है, जिसके चलते वह महीनों जेल में भी बंद रही हैं। अब जमानत पर हैं।

लेकिन भैया राजा एक ऐसा शातिर रहा है, जिसे गिरफ्तार करने में बड़े-बड़े पुलिस अफसर भी कांप जाते थे। दर्जनों अपराधों का इल्जाम है उस पर, किंतु कोई टीआई अपने थाने में उसकी फोटो गुंडा लिस्ट में लगाने की हिम्मत नहीं कर सका था। इसी मामले की विवेचना में लगे टीआई भूपेंद्र सिंह का अब तबादला हो चुका है, तब भी वह अदालत में भैया राजा के खिलाफ कुछ खास नहीं बोले। 18 मार्च 2010 को इस मामले की चार्जशीट पुलिस ने अदालत में पेश की थी। घटना के करीब चार साल बाद अदालत ने मामले का अब फैसला सुनाते हुए कहा है कि भैया राजा ने छतरपुर जिला स्थित रतनगढ़ी में वसुंधरा की हत्या की साजिश रची थी। उसकी लाश ठिकाने लगाने के लिए एक बोलेरो जीप का इस्तेमाल किया गया था। जीप से न केवल वसुंधरा के कानों के टाप्स बरामद हुए बल्किउसकी सीट के नीचे से कई और भी सुबूत मिले हैं। इस मामले के सभी आरोपियों को दोषसिद्ध होने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है।

रतनगढ़ी हवेली में पसरा सन्नाटा
30 मई को अदालत का फैसला आने के बाद भैया राजा की रतनगढ़ी वाली हवेली में सन्नाटा पसर गया। जबकि छतरपुर अदालत परिसर छावनी में तब्दील हो चुका था। सुरक्षा-व्यवस्था के मद्देनजर यहां तीन सीएसपी और पांच थाना प्र•ाारियों के अलावा सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। फैसला सुनने के बाद विधायक आशा रानी सिंह बहुत मयूस दिखीं। बेटी रश्मि, दीप्ति और कंचन ने उन्हें सहारा दे रखा था। मां और तीनों बेटियों की आंखें भर आई थीं। दोनों बेटे भी अदालत में मौजूद थे, लेकिन सभी के चेहरे उतरे हुए थे। उप संचालक अभियोजन राजेश रायकवार ने बताया कि अभियोजन पक्ष इस मामले में आरोपी रंपी उर्फ रोहिणी को सजा दिलाने के लिए भी हाई कोर्ट में अपील करेगा।

उसके पाप की सजा कम
वसुंधरा के पिता मृगेंद्र सिंह का कहना है कि भैया राजा की साजिश ये थी कि वसुंधरा की लाश कलियासोत में फेंक दी जाए, ताकि उसकी शिनाख्त न हो सके। लेकिन आरोपी रास्ता •ाूल गए और सुबह होने के फेर में वे गुडारी घाट के पास झाड़ियों में लाश फेंक गए। वहीं मां भारती ने बताया कि हत्या से ठीक पांच दिन पहले उन्हें पता चला था कि भैया राजा मेरी बेटी का देह-शोषण करता रहा है। एक बार इंदौर ले जाकर उसका गर्भवती भी करवाया था, फिर जब उसे डर लगने लगा कि वसुंधरा उसे बेनकाब कर देगी, तो बदनामी के डर से भैया राजा ने उसकी हत्या करवा दी। उसने जो पाप किया है, उसके लिए उम्रकैद की सजा बहुत कम है।
-जितेन्द्र बच्चन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें