शनिवार, 6 सितंबर 2014

नायक बना खलनायक


हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी। एक चेहरा उसका भी था और उस चेहरे के पीछे भी कई चेहरे हैं। एक पति का चेहरा, एक आशिक का चेहरा, एक कातिल का चेहरा और चेहरा आरटीआई कार्यकर्ता का, लेकिन इन सारे चेहरों के पीछे का असली खेल शुरू हुआ था करीब चार महीने पहले। सनसनीखेज खुलासा।

-जितेन्द्र बच्चन
राइट टू इन्फॉरमेशन का डंडा पकड़कर उसने ऐसा झंडा गाड़ा था कि लोग उसे सचमुच सच का सिपाही मान बैठे थे, तभी एक रोज सच के इस सिपाही की कार जली हालत में मिलती है और पुलिस कार के अंदर से एक लाश बरामद करती है। लोग मान लेते हैं कि सच के सिपाही का मुंह हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिया गया और आम आदमी से लेकर नेता-कार्यकर्ता तक घटना के विरोध में धरना-प्रदर्शन करना शुरू कर देते हैं, तब किसी को क्या पता था कि यह सब एक साजिश है। प्यार, कत्ल और खुद को मारकर जी उठने की साजिश। लाखों रुपये हथियाने का फरेब। दुनिया की आंख में धूल झोंकने का नायाब तरीका। जी हां, घटना के ठीक चार महीने बाद अचानक वही मुर्दा जी उठता है और फिर इस रहस्य से पर्दा उठता है।
वाकया एक मई 2014 का है। ग्रेटर नोएडा के थाना कसाना पुलिस को खबर मिलती है कि एल्डिको गोल चक्कर के पास एक होंडा सिटी कार में आग लग गई है, लेकिन पुलिस जब तक मौके पर पहुंची, कार जल चुकी थी और उसके अंदर एक शख्स भी बुरी तरह जल चुका था। कौन था वह शख्स? किसकी कार है? यह हादसा है या कुछ और? जितने मुंह उतने सवाल शुरू हो गए। पुलिस तफ्तीश में पता चला कि कार आरटीआई और आप कार्यकर्ता चंद्रमोहन शर्मा की है और वह लाश भी उन्हीं की है। तब तो सनसनी फैल गई। शर्मा की पत्नी सविता को बुलाया गया तो उन्होंने भी शिनाख्त कर दी कि वह शव उनके पति का ही है। उनका कहना यह भी था कि यह कोई हादसा नहीं है बल्कि चंद्रमोहन शर्मा की हत्या की गई है।
पुलिस ने सविता शर्मा की तहरीर पर पांच लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी, लेकिन आम आदमी पार्टी पुलिस जांच से संतुष्ट नहीं थी। उसके कार्यकर्ताओं ने घटना के विरोध में धरना-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया- आरटीआई के माध्यम से शर्मा कई मामलों का खुलासा कर चुके हैं। उनके कई दुश्मन थे। यह सब उन्हीं लोगों की साजिश का नतीजा है। शर्मा की हत्या की गई है। अगले रोज सविता शर्मा ने भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से गुहार लगाई- पुलिस कातिलों को नहीं पकड़ रही है। हमें इंसाफ चाहिए। उसी दिन आप संयोजक अरविंद केजरीवाल परजिनों को सांत्वना देने चंद्रमोहन के घर पहुंचे। उन्होंने बताया कि चंद्रमोहन शर्मा ने कुछ दिन पहले ही पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी कि उन्हें जान से मारने की धमिकयां मिल रही हैं, लेकिन पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती।
40 वर्षीय चंद्रमोहन शर्मा ग्रेटर नोएडा के अल्फा-टू सेक्टर के मकान नंबर एफ-38 में पत्नी सविता शर्मा के साथ रहते थे। आरटीआई के जरिए कई मामलों का अब तक पर्दाफाश कर चुके थे। ऐसे में शक की सुई उनके तमाम अनजान दुश्मनों की तरफ घूमने लगी, लेकिन कार में मिले कुछ सुबूत कुछ और ही इशारा कर रहे थे। थाना कासना के इंसपेक्टर समरजीत सिंह का भी कहना था कि दाल में जरूर कुछ काला है। एसएसपी गौतम बुद्धनगर (नोएडा) डॉ. प्रतिंदर सिंह ने आखिर इंसपेक्टर सिंह के नेतृत्व में चार टीमों का गठन कर मामले की जांच शुरू करवा दी। धीरे-धीरे चार महीने बीत गए। 26 अगस्त को भी डॉ. सिंह इसी मामले से जुड़े कुछ पहलुओं पर इंसपेक्टर समरजीत से बातचीत कर रहे थे, तभी एक ताजा जानकारी मिलते ही उनकी आंखों में चमक आ गई। पुलिस की एक टीम ग्रेटर नोएडा से सैकड़ों मील दूर बेंगलुरु जा पहुंची। वहां 28 अगस्त को वह शख्स मिल गया, जिसकी पुलिस को तलाश थी। चंद्रमोहन।
अब आप सोच रहे होंगे कि एक मुर्दा जिंदा कैसे हो गया? और अगर चंद्रमोहन मरा नहीं था तो उसे नकली मौत मरने की क्या जरूरत थी? इससे भी बड़ा सवाल यह था कि कार में जिस शख्स की लाश मिली थी, वह कौन था? दरअसल, पुलिस जब इस मामले में अपना सिर खपा रही थी, तभी पता चला था कि अल्फा-टू इलाके की एक लड़की भी घटना के रोज से ही गायब है। पुलिस ने उस लड़की का मोबाइल नंबर खंगाला तो ज्ञात हुआ कि सिम कार्ड चंद्रमोहन के नाम रजिस्टर्ड है। पुलिस थोड़ा और गहराई में गई तो यह भी पता चल गया कि वह लड़की चंद्रमोहन की प्रेमिका है। दोनों कहीं छिपे हैं। कहां छिपे हैं, पुलिस यह छानबीन कर ही रही थी, तभी पता चला कि जिस रोज कार में आग लगी थी, उसी दिन से इलाके का एक भिखारी भी गायब है। एक-एक कर कड़ियां आपस में जुड़ने लगीं। सर्विलांस की मदद से पुलिस को लड़की के लोकेशन का पता चल गया। वह बेंगलुरू में थी और घरवालों से लगातार बात कर रही थी। 28 अगस्त को पुलिस मोबाइल के सहारे बंगलुरू पहुंची और चंद्रमोहन के साथ-साथ उस लड़की को भी गिरफ्तार कर लिया। अब पुलिस के आगे सबसे बड़ा सवाल यह था कि वह लाश किसकी थी?
क्लाइमेक्स सामने आया तो कई और सनसनीखेज खुलासे हुए। चंद्रमोहन पेशे से मेन्टिनेंस इंजीनियर है और कासना गांव स्थित होंडा सीएल कार कंपनी में काम करता था। ग्रेटर नोएडा के चर्चित भट्टा कांड के दौरान उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर राहत का काफी काम किया था, तभी पहली बार उसने आरटीआई के जरिए कई अहम जानकारियां जुटाई थीं। इसी बीच   चंद्रमोहन की दोस्ती मोहल्ले में रहने वाली एक लड़की से हो गई। दोनों में प्यार हो गया। लड़की के इश्क में पड़कर चंद्रमोहन कर्ज में डूबता चला गया। गर्लफ्रेंड की फरमाइश पूरी करते-करते वह इतना कंगाल हो गया कि कर्जदार की कतारें उसे डराने लगीं। इसी डर ने एक साजिश को जन्म दिया। चंद्रमोहन ने बीमा करा रखा था। उसे लगा कि अगर उसकी नकली मौत हो जाए तो बीमे की रकम से वह कर्जदारों के कर्ज चुका देगा। बस इसी के बाद उसने अपनी गर्लफ्रेंड को इस साजिश में शामिल कर लिया।
योजना के मुताबिक, चंद्रमोहन ने अपने ही कद-काठी के किसी मजबूर शख्स को ढूंढना शुरू किया। उसकी तलाश परी चौक इलाके के एक भिखारी पर आकर खत्म हो गई। चंद्रमोहन ने सजिश के तहत सबसे पहले पुलिस में अपने अनजान दुश्मनों के खिलाफ एक झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई। उसके बाद साजिश को अंजाम देने के लिए अंसल प्लाजा में पहले भिखारी का कत्ल किया, फिर उसे साले विदेश की मदद से अपनी कार की ड्राइविंग सीट पर लाकर बिठा दिया। इसके बाद कार को आग के हवाले कर जमाने की नजरों में मुर्दा बन गया। सोचा था किसी को असलियत पता नहीं चलेगी और प्रेमिका के साथ ऐश करेगा, लेकिन पुलिस ने एक-एक कर सारे रहस्यों पर पड़ा पर्दा उठाकर एक नायक के खलनायक बनने की सारी हकीकत का पर्दाफाश कर दिया।
चंद्रमोहन शर्मा और उसकी प्रेमिका अब जेल में हैं, लेकिन घटना में जलाकर मारे गए मानिसक विक्षिप्त की पहचान अभी पुलिस के लिए पहेली बनी हुई है। कुछ सुबूत मिले हैं, जिसके आधार पर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर और सहारनपुर के एक व्यक्ति के रूप में हो रही है, लेकिन मृतक का कोई फोटो न होने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि वह कहां का रहने वाला था। वहीं इस मामले का तीसरा आरोपी विदेश फरार है। पुलिस उसे तलाश रही है।

साजिश में साले ने दिया साथ

थाना कासना के सब इंस्पेक्टर विजय शर्मा के अनुसार, इस घटना को अंजाम देने के लिए चंद्रमोहन शर्मा ने अपने साले विदेश को नौकरी और पैसे देने का लालच देकर अपनी साजिश में शामिल कर लिया था। चंद्रमोहन ने विदेश को समझाया था कि उसकी मौत सबित करने के बाद सविता को जीवन बीमा की रकम, होंडा कंपनी से मौत पर मिलने वाली मोटी राशि और कंपनी में नौकरी मिल जाएगी। इन सुविधाओं से सविता अपना और बच्चों का आराम से देखभाल कर सकेगी। जब विदेश राजी हो गया तो 30 अप्रैल 2014 को तुगलपुर के पेट्रोल पंप से एक गैलन में तीन लीटर पेट्रोल खरीदकर गाड़ी में रख लिया गया। उसी पेट्रोल का एक मई की घटना में इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने वह गैलन बरामद कर लिया है।

सर्विलांस से मिला सुराग


6 सितंबर 2014 को मामले के विवेचनाधिकारी इंसपेक्टर समरजीत सिंह ने बताया कि आरोपी लड़की के पिता को 9 अगस्त 2014 को एक नंबर से फोन आया। उनसे कहा गया कि उनकी बेटी तिरुपति बालाजी में है। वह आकर ले जाएं। पुलिस ने उस नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया, लेकिन 12 और 13 अगस्त को अलग-अलग नंबरों से फोन आया। ट्रेस करने पर पता चला कि यह नंबर बेंग्लुरु  का है। एसएसपी डॉ. प्रतिंदर सिंह के आदेश पर पुलिस टी बेंगलुरु रवाना हो गई। वहां सीसीटीवी फुटेज से ज्ञात हुआ कि कोलार जिला स्थित नरसापुर के एक पीसीओ से होंडा सीएल कंपनी का एक कर्मचारी यह फोन कर रहा था। पुलिस ने उसे पकड़कर पूछताछ की तो उसने अपना नाम नितिन शर्मा पुत्र आरसी शर्मा निवासी हिसार हरियाणा बताया। पहचान छिपाने के लिए उसने सिर के बाल भी मुंड़ा लिए थे और नितिन के नाम-पते के कुछ दस्तावेज भी प्रस्तुत किए, लेकिन पुलिस की नजर जब उसके हाथ पर गई तो असलियत सामने आते देर नहीं लगी। उसके एक हाथ में चंद्रमोहन और दूसरे में पत्नी का नाम सविता गुदा हुआ था। पुलिस ने चंद्रमोहन शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। 1 सितंबर 2014 को तीन दिन की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद उसे जेल भेज दिया गया।

प्रेमिका से शादी करना चाहता है चंद्रमोहन

पुलिस ने चंद्रमोहन शर्मा से पूछा कि क्या वह अपने परिवार से मिलना चाहता है तो उसने महज बच्चों से मिलने की इच्छा जताई। उसका कहना है- यह साजिश गृह क्लेश के चलते उसने रची थी। वह पत्नी सविता को तलाक देकर प्रेमिका से शादी करना चाहता है। पुलिस ने जब बताया कि उस लड़की को सह अभियुक्‍त के रूप में जेल भेज दिया गया है तो चंद्रमोहन निराश होकर रोने लगा। उधर सविता शर्मा का कहना है कि अब उनका चंद्रमोहन शर्मा से कोई मतलब नहीं है, लेकिन होंडा कंपनी की तरफ से कुछ हफ्ते पहले बीमे की जो धनराशि 20 लाख रुपये मिले थे, उसका क्या होगा?

घटना में जलाकर मारे गए व्यक्‍ित की पहचान बनी पहेली


चंद्रमोहन शर्मा ने अपनी मौत की कहानी गढ़ने के लिए एक बेसहारा व्यक्ति की अपने साले विदेश की मदद से अपनी कार में हत्या कर उसमें आग लगा दी थी। घटना में जलाकर मारे गए मानिसक विक्षिप्त से जुड़े कुछ सुबूत मिले हैं, जिसके आधार पर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर और सहारनपुर के एक व्यक्ति के रूप में हो रही है, लेकिन मृतक का कोई फोटो न होने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि वह कहां का रहने वाला था। वहीं इस मामले के फरार आरोपी विदेश को पुलिस तलाश रही है। जल्द ही वह कानून की गिरफ्त में होगा।
-डॉ. प्रतिंदर सिंह, एसएसपी, गौतम बुद्धनगर (नोएडा)

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