शनिवार, 15 नवंबर 2014

बैंक रॉबरी, करोड़ों की लूट

हरियाणा के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी बैंक रॉबरी। लुटेरों ने ढाई फुट चौड़ी और 100 फुट लंबी खोदी सुरंग। 86 लॉकर्स से लूटे करोड़ों के जेवरात और दूसरे कीमती सामान। कहां हुई बैंक से चूक? कौन है इस मामले का मास्‍टर माइंड?


-जितेन्‍द्र बच्‍चन
रविवार अवकाश के बाद सोमवार को पंजाब नेशनल बैंक का शाखा कार्यालय खुलते ही हड़कंप मच गया। बैंक के स्ट्रॉंग रूम में सुरंग खुदी थी। 360 लॉकर्स में से आधे से ज्‍यादा टूटे पाए गए। करोड़ों के आभूषण गायब थे। घटना गोहाना इलाके की है। बैंक मैनेजर देवेंद्र मलिक ने तुरंत पुलिस को फोन किया। सोनीपत में सुपर चोरी का मामला सुनकर एसपी अरुण कुमार भी कुर्सी छोड़कर उठ खड़े हुए। सबसे पहले घटना की सूचना डीजीपी एसएन वशिष्ठ को दी, पिफर मौके पर जा पहुंचे। स्टोर रूम के पास लॉकर और बैंक का स्ट्रांग रूम था, जिसमें 86 लॉकर खुले या टूटे पड़े थे। फर्श पर तमाम सामान बिखरा हुआ था।

लॉकर की दीवार के साथ नीचे फर्श पर एक बड़ा-सा गड्ढा था। पुलिस टीम किसी तरह सुरंग के अंदर दाखिल हुई। भीतर घुप्प अंधेरा था। करीब सौ फीट की दूरी के बाद पुलिस को सुरंग का दूसरा सिरा मिला, जो बैंक के बाईं तरफ गली पार कर बंद पड़े एक मकान में खुलता था। यह मकान काफी समय से खाली है। मालिक मकान सोनीपत के बाहर रहता है। अनुमान लगाया गया कि सुरंग खोदने के लिए लुटेरे शायद मकान के अंदर एक खिड़की से दाखिल हुए थे, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि इतनी लंबी-चौड़ी सुरंग खोदी जाती रही और बैंक व उसके आसपास किसी को भनक तक नहीं लगी। इसका मतलब लुटेरों ने एक परफेक्ट बैंक रॉबरी की साजिश रची थी। ऐसी साजिश जिसमें सुरंग खोदने के लिए खुदाई की जगह से लेकर, उसकी लंबाई-चौड़ाई, दिन वक्‍त सबकुछ परफेक्ट चुना गया था।

एसपी अरुण सिंह ने एक-एक चीज का बारीकी से निरीक्षण करना शुरू किया। बैंक के अंदर एक सूचना पट पर लिखा था- शनिवार को लॉकर रूम सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक खुलता है, जबकि बाकी दिन सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक। रविवार को बैंक की छुट्टी होती है। यानी बैंक के लॉकर पर हाथ साफ करने के लिए लुटेरों के पास शनिवार शाम से लेकर सोमवार 27 अक्‍टूबर की सुबह तक का समय था। जिस घर से सुरंग खोदी गई, वहां से पंजाब नेशनल बैंक के लॉकर रूम तक का फासला तय करने में कुल 57 सेकेंड लगते हैं, लेकिन इस फासले को सुरंग के जरिए पूरा करने में लुटेरों को करीब महीने भर का समय लगा होगा। जाहिर है तैयारी और प्लानिंग में भी समय जाया हुआ होगा। ऐसे में बार-बार यह सवाल उठने लगा कि कहीं इस बैंक रॉबरी में बैंक का ही कोई अपना तो शामिल नहीं है?

लॉकर रूम के बराबर में बैंक का कैश रखा होता है। लूट के वक्‍त भी उसमें लाखों की नकदी रखी थी, मगर लुटेरे स्ट्रांग रूम को शायद नहीं तोड़ पाए, इसीलिए बैंक का सारा कैश बच गया। एसपी अरुण ने शाखा प्रबंधक से अकेले में कुछ बात की, तभी डीजीपी एसएन वशिष्ठ आ गए। उनके आदेश पर पुलिस की एसआईटी टीम ने बैंक स्टाफ, लॉकर के मालिक और दूसरे तमाम लोगों की भूमिका खंगालनी शुरू कर दी। गोहाना में मुखबिरों का जाल बिछा दिया गया। मालिक मकान महिपाल भी शक के घेरे में था। तीन दिन भटकने के बाद आखिरकार 30 अक्‍टूबर को पुलिस को बड़ी सफलता मिली। कटवाल गांव के एक घर में छापा मारा। महिपाल मिल गया, लेकिन पुलिस के हाथ लगने से पहले ही उसने खुदकुशी कर ली। उसके अलावा वहां मौजूद दो अन्‍य लोगों सुरिन्‍दर और बलराज को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उनका कहना था, लूट का असली मास्‍टर माइंड महिपाल था। एसआईटी वाले महिपाल का शव पोस्‍टमार्टम के लिए भेजकर दोनों आरोपियों के साथ पुलिस मुख्‍यालय लौट आए।

पुलिस कप्‍तान अरुण को सुरिन्‍दर और बलराज के बयान गले के नीचे नहीं उतरा। उन्‍होंने दोनों से अलग-अलग पूछताछ की तो शक सच में बदल गया। एक नया खुलासा हुआ। बैंक रॉबरी का असली मास्टर माइंड महिपाल नहीं बल्कि प्रॉपर्टी डीलर सतीश कटवाल है। प्रॉपर्टी का धंधा मंदा पड़ गया तो उसी ने हाईप्रोफाइल और प्रदेश में बैंक चोरी की इस सबसे बड़ी वारदात को अपने साथियों के साथ अंजाम दिया है। कटवाल गांव गोहाना से करीब 15 किमी दूर है। सुरेंद्र उर्फ डॉक्टर, बलजीत उर्फ बल्लू और राजेश यहीं के रहने वाले हैं। सुरेंद्र पेशे से लैब टेक्नीशियन है, जबकि बल्लू और सतीश पेशे से प्रापर्टी डीलर हैं। जिस मकान से बैंक तक सुरंग खोदी गई, उसका मालिक महिपाल भनवाला भी वारदात में बराबर का शरीक रहा।

लेकिन फिल्मी स्टाइल में सुरंग खोदकर बैंक रॉबरी करने वाले मॉस्‍टर माइंड सतीश को पुलिस ने 72 घंटे में गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद आरोपियों को नौ दिन की पुलिस रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ शुरू हुई। सभी ने घुटने टेक दिए। 31 अक्‍टूबर को आरोपियों की निशानदेही पर खेत, ईंट-भट्ठे और तीनों के घरों से लूट के 38.91 किलो सोने-चांदी के जेवरात और 60 हजार की नकदी बरामद कर ली गई। पुलिस के अनुसार, करीब 28 दिन तक प्रतिदिन चार से पांच घंटे खुदाई कर पांचों आरोपियों ने सुरंग बनाई थी। इसमें कस्सी, खुरपा और गैती का प्रयोग किया गया। एक आरोपी सुरंग खोदता तो दूसरा मिट्टी उठाकर तीसरे को देता था। तीसरा मिट्टी को कट्टों में भरता और चौथा आरोपी मिट्टी दूसरे कमरे में डालकर आता था। जबकि पांचवां आरोपी बाहर वाले पर नजर रखता था। इनमें से एक आरोपी राजेश अभी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है। महिपाल ने जहर खाकर जान दे दी। बाकी के आरोपियों को पुलिस रिमांड पूरी होने पर 8 नवंबर 2014 को जेल भेज दिया गया। हरियाणा के डीजीपी एसएन वशिष्ठ ने मामले का महज 72 घंटे में खुलासा करने पर संबंधित पुलिस टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है।

ऐसे हुआ खुलासा
- मामले के खुलासे के लिए पुलिस की सात टीमें बनाई गईं। बैंक के आसपास के क्षेत्र का मोबाइल डाटा जुटाया। कुछ नंबर्स ज्यादा एक्टिव पाए गए। इन्हें ट्रेस किया गया।
- साजिश का केंद्र बने मकान का जायजा लिया तो दरवाजों पर लगी नई प्लाई ने ध्यान खींचा। प्लाई विक्रेताओं से पूछताछ में कटवाल के एक शख्स का नाम आया। इससे एक और सूत्र मिला।
- गहनों के बंटवारे में एक साझेदार को रकम न मिली तो उसने हिस्से में आई अंगूठी बेचना चाहा। ज्वेलर ने पुलिस को सूचना दे दी।
- पुलिस को सीसीटीवी की पड़ताल में एक व्‍यक्ति बार-बार बैंक में आता-जाता दिखा। वह पुलिस का राजदार बना।

कुछ और के भी चेहरे हो सकते हैं बेनकाब
29 अक्‍टूबर की रात आरोपियों के बारे में सूचना मिली थी। अगली सुबह कार्रवाई की गई। तीन मु‍लिजम पकड़े गए हैं। चौथे की तलाश है। जल्‍द ही इस मामले में कुछ और लोगों के भी चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
-अरुण सिंह,  पुलिस कप्‍तान, सोनीपत

तीन अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज
आरबीआई की गाइडलाइंस के तहत जो सुरक्षा बंदोबस्त किए जाने चाहिए थे, वो बैंक में नहीं थे। अलार्म नहीं लगा था और न ही कोई गार्ड तैनात रहा। लॉकर रूम में न तो सीसी फर्श है और न ही लॉकरों के लिए सुरक्षा के लिए स्टील प्लेट लगी थी। बैंक में नियमों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए बैंक के तीन अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है।
- एसएन वशिष्ठ, डीजीपी, हरियाणा

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