रविवार, 31 मार्च 2013


रात का राक्षस

एक वार और गर्दन धड़ से अलग! खून करना उसका शौक है! वह खुद कहता है, 20 साल की उम्र में अब तक 5 कत्ल कर चुका है! 13 और लोगों की हत्या करने का इरादा है! हिट लिस्ट बना रखी है शैतान ने! खून देखकर अफसोस नहीं आनंद आता है उसे! दहशत में हैं इलाके के लोग। कांप उठती हैं औरतें उसका नाम सुनकर। पुलिस साइको किलर मानती है! कौन है यह नरपिशाच?

-जितेन्द्र बच्चन
इंसान की शक्ल में नरपिशाच! नाम है राकेश राज और काम, कत्ल करना! करीब बारह वर्षों में शायद ही गोरखपुर के किसी इंसान ने इस शैतान को दिन के उजाले में देखा हो, लेकिन शाम ढलते ही वह अपनी शैतानी सत्ता का शहंशाह होता है। जिस दिन वह जेल से छूटकर आया, आठ-10 किलोमीटर के इलाके में खौफनाक मंजर था। दहशत और महज सन्नाटा, गोया शहर में कफर््यू लगा हो। आखिर चुन-चुनकर लोगों का कत्ल करने का उसके सिर पर जुनून जो सवार है। हिट लिस्ट बना रखी है उसने। डुमरी गांव और आस-पास के 18 लोगों के नाम थे उसकी सूची में, जिनमें से दो लोगों की लाश पुलिस बरामद कर चुकी है और तीन लापता हैं। अब उस •ोड़िए की खूनी नजर बाकी बचे 13 लोगों पर है। पुलिस के अनुसार, आरोपी के खिलाफ हत्या, जान से मारने का प्रयास और एनडीपीएस एक्ट के तहत कई मामले दर्ज हैं। राकेश खुद कहता है कि अब तक वह पांच लोगों को मौत के घाट उतार चुका है और बहता खून देखना उसे अच्छा लगता है। सूरज डूबते ही वह निकल पड़ता है अपने गड़ासे की प्यास बुझाने।
10 मार्च, 2013 की रात भी राकेश राज ने डुमरी गांव के चौकीदार पाले (80) की गंडासे के एक वार से ही हत्या कर दी। इसके बाद 11 और 12 मार्च की रात सुनील गौड़ और अशोक गौड़ की हत्या करने के इरादे से उनके घरों में हमला किया, लेकिन वे दोनों बच गए। अपने मकसद में कामयाब न होने पर राकेश ने खीझकर अशोक के घर पथराव भी किया। घटना से सदमे में आया अशोक का आठ साल का बेटा रवि गौड़ आज भी उस रात का खौफनाक मंजर यादकर सिहर उठता है। थाना सहजनवां पुलिस की जीना भी हराम हो गया। संगीन वारदात की खबर मिलते ही थानाध्यक्ष रामकार यादव मयफोर्स खूनी दरिंदे की तलाश में रवाना हो गए। पुलिस की कई टुकड़ी रात-रात भर गांव-गली की खाक छानती रही, तब जाकर 14 मार्च की सुबह सफलता मिली। राकेश राज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उसके हौंसले में कोई कमी नहीं आई। उसने पुलिस के सामने अपना गुनाह कबूल करते हुए उसने कहा कि उस रात वह खाना खाकर सोने जा रहा था, तभी याद आया कि पाले का काम तमाम करना है और उसने जाकर उसकी हत्या कर दी।
शाम होते ही घरों में दुबक जाते हैं लोग
राकेश की संगत अच्छी नहीं थी। बचपन से ही वह गांव के नशेड़ियों के साथ रहने लगा था। कोई कभी रोकने-टोकने की कोशिश करता, तो राकेश उसे ही उल्टा धमकाने लगता। आरोपी के पिता राजेंद्र राज भी गांजा पीते थे। गांव के बाज़ार में बने मंदिर पर अक्सर दो-चार लोगों के साथ उनकी महफिल जमी रहती। कभी बेटे को सुधारने की उन्होंने कोशिश नहीं की। कभी राकेश पकड़ा जाता, तो मां थाने-पुलिस में जाकर किसी तरह उसे छुड़ा लाती। उसकी मां के हाथ-पैर जोड़ने पर कई बार इलाके के कुछ नेताओं ने भी राकेश को छोड़ने के लिए स्थानीय पुलिस से सिफारिश की है, तब किसी को क्या पता था कि आगे चलकर राकेश राज लोगों की जान से खेलने लगेगा। नतीजतन आज उसके आतंक से गोरखपुर के छह गांव पूरी तरह से दहशत में जी रहे हैं। डुमरी, सोनचार, शहरी, गोविंदपुर, घघसरा, पतेड़ आदि गांवों के लोग सूरज ढलते ही घरों में दुबकने लगते हैं।
रात के सन्नाटे में करता है शिकार
मुल्जिम का कत्ल करने का तरीका, औजार और समय करीब-करीब एक-सा ही होता है। चौकीदार पाले की हत्या भी उसने उसी तरह से की जैसे इसने अपने पिछले शिकारों को अंजाम दिया था। रात 11 बजे के बाद अपने बरामदे में गहरी नींद में डूबे पाले की गर्दन गड़ासे के वार से उसने धड़ से अलग कर दी। आधी रात के आसपास पूरा गांव सोया होता है। गर्मी में कुछ लोग घर के बाहर सोते हैं, जिससे राकेश को अपने शिकार पर वार करने में आसानी होती है। वह हमेशा गंड़ासे से ही कत्ल करता है। शिकार का सिर, चेहरा और गर्दन उसके निशाने पर होते हैं। उसकी पूरी कोशिश होती है कि एक ही वार में काम तमाम हो जाए। न कोई आवाज और न ही बचने का मौका।
अदालत की परवाह नहीं
इस घटना से करीब एक महीने पहले अपने ही गांव के नरेंद्र राज की हत्या के मामले में जेल से जमानत पर रिहा हुआ था राकेश, लेकिन सीखचों के बाहर आते ही एक बार फिर उसने अपना खूनी शौक पूरा करते हुए चौकीदार पाले की हत्या कर दी। राकेश को अदालत और जज से भी डर नहीं लगता। उसका कहना है, ‘क्या करेगा जज? मैं किसी अदालत से नहीं डरता। मुझे जिसे मारना था, मार दिया। एक नहीं मैंने कई खून किए हैं मैने। मुझे खून देखकर बहुत मजा आता है। मेरी फाइल जो आगे बढ़ाएगा, मैं उसे भी मार दूंगा।’ थाने में भी आरोपी की हेकड़ी कम नहीं हुई। जेल जाने से वह कतई नहीं डरता। कहता है, ‘क्या होगा, वहां भी सबकुछ चलता रहेगा। सीधे या फिर टेढ़े।’ कुछ लोग राकेश को सनकी कहते हैं। सच्चाई जो भी हो, लेकिन आरोपी के दावे और उसके साइको होने के तथ्य ने पुलिस का सिरदर्द बढ़ा दिया है। पुलिस हत्या के उन मामलों की जांच में जुटी है, जिनमें हत्या का तरीका राकेश के शिकार बने लोगों की तरह ही था।
चोरी की तहरीर से शुरू हुई बगावत
पुलिस के अनुसार, 2011 में डुमरी निवास नरेश मिश्रा ने राकेश के खिलाफ चोरी की तहरीर दी थी। पुलिस ने इस मामले की तहकीकात क्या शुरू की, राकेश राज बागी बन गया। उसने नरेश मिश्रा के चेहरे और सिर पर घातक वार किए, लेकिन लंबे इलाज के बाद नरेश बच गए। पीड़ित का कहना है कि जब वह अस्पताल में था और उसके बचने की खबर राकेश को मिली, तो गुस्से में उसने दूसरे दिन उसके घर में आग लगा दी। उनका पूरा घर खाक हो गया। आरोपी के दूसरे शिकार बने गांव के ही प्रहलाद यादव। उस पर भी राकेश ने रात में ही हमला किया था। सिर एवं चेहरे पर गहरे जख्म हैं। एक आंख की रोशनी चली गई। प्रहलाद की महज इतनी गलती थी कि उन्होंने नरेश मिश्रा का साथ दिया था। राकेश जमानत पर जेल से बाहर आया, तो प्रहलाद डर के मारे दिन भर नजरबंद रहते और रात पड़ोसी बाबूलाल चौबे के घर में सोते थे।
घात लगाकर देता है वारदात को अंजाम
राकेश का तीसरा शिकार बना बाबूलाल का 18 वर्षीय बेटा गौतम चौबे। पहले राकेश से उसकी दोस्ती थी। गांव के कुछ लोगों का कहना है कि गौतम और राकेश में चोरी के माल के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था। इसी के चलते गौतम ने एक दिन उसे गांव में सबके सामने थप्पड़ मार दिया था। अपने अपमान से क्षुब्ध राकेश तिलमिला उठा। मौका पाते ही एक रात उसने बरामदे में सोते हुए गौतम पर हमला कर दिया, लेकिन भगवान की कृपा से वह बच गया। अब भजन-कीर्तन की टोली में शामिल गौतम रामचरित मानस का पाठ करता है। उसकी मां मंजू चौबे आज भी उस दिन के खूनी मंजर को याद कर सिहर उठती हैं। कहती हैं, अगर इलाके की पुलिस अगर पहले ही मामले में कड़ी कार्रवाई करती, तो आज गांव में दहशत का यह माहौल न होता। फिलहाल, राकेश राज के हौसले बुलंद रहे। दिसंबर, 2012 में उसने गांव के ही नरेंद्र राज की हत्या कर दी... और अब चौकीदार पाले का कत्ल का मामला सामने आया है।
जेल जाने के बाद भी कम नहीं हुआ डर
पुलिस अधिकारियों की गहन पूछताछ के बाद आरोपी राकेश राज को गोरखपुर की सक्षम अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भ•ोज दिया गया। इससे डुमरी गांव के लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन उनकी आंखों में दहशत कम नहीं हुई है। आरोपी राकेश के माकन में ताला बंद था, लेकिन पड़ोसी इतने खौफजदा हैं कि उसके बारे में कुछ पूछने पर वे तुरंत अपना दरवाजा बंद कर देते हैं। एक बुजुर्ग ने कहा, भ‘•ौया हम उसके बारे में कुछ नहीं कह सकते। अगर उसे पता चल गया, तो वह हमारी भी हत्या कर देगा।’
आरोपी से 16 लोगों की लिस्ट बरामद
उत्तर प्रदेश के आर्थिक रूप से पिछड़े जनपद गोरखपुर के थाना सहजनवां के डुमरी नेवास गांव के आरोपी राकेश ने यहां के लोगों का जीना हराम कर रखा है। मुख्यालय से महज 25 किमी़ दूर स्थित डुमरी निवास गांव में कोई रात में घर से बाहर नहीं निकलता। राकेश देर रात ही लोगों पर घात लगाकर वार करता है। अब तक इस गांव के निवासी नरेश, गौतम, प्रह्लाद और नरेंद्र उसके गड़ासे के वार से घायल हो चुके हैं। बाद में नरेश की मौत हो गई। कुछ दिन तो गांव के लोग समझ ही नहीं पाए कि आखिर वह कौन सनकी है, जो एक के बाद एक संगीन वारदात को अंजाम दे रहा है। अब बुजुर्ग पाले की हत्या के बाद राकेश की गिरफ्तारी से पुलिस ने आरोपी का पर्दाफाश कर दिया है। थानाध्यक्ष (सहजनवां) रमाकर यादव ने बताया कि आरोपी को जेल भ•ोज दिया गया है। उसने बदला लेने के लिए गांव के चार लोगों पर वार किया था। राकेश के पास से 16 लोगों की एक लिस्ट भी बरामद हुई है। आगे मामले की जांच की जा रही है।
गोरखपुर से- प्रिंस पांडेय
जमानत का विरोध करेगी पुलिस
आरोपी राकेश राज के बारे में मिली जानकारी बहुत चिंताजनक है। वह समाज के लिए खतरा बन चुका है। उसकी केस हिस्ट्री खोली जा रही है। हमारा प्रयास है कि जेल में उसकी मेडिकल और सायिकोलोजिकल काउंसलिंग कराई जाए, ताकि उसकी हिंसक प्रवृत्ति पर काबू पाया जा सके। अदालत में हम आरोपी की जमानत का पुरजोर विरोध करेंगे। इसके बावजूद वह जमानत पर जेल से बाहर आने में कामयाब हो जाता है, तो उसकी गतिविधियों को पुलिस मॉनिटर करेगी। साथ ही मुल्जिम के उस बयान की जांच भी कराई जाएगी, जिसमें उसने अब तक कई हत्याएं करने की बात कही है।
शलभ माथुर
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गोरखपुर

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