बुधवार, 3 अप्रैल 2013

जुर्म की रियासत

हर रोज यहां होता है 5 महिलाओं से बलात्कार! 10 लड़कियों से छेड़छाड़! दो कत्ल और 9 दूसरी वारदात! ये है आज की दिल्ली की दास्तान! सोनिया की रियासत! मनमोहन की राजधानी! यहां पास होता है संसद में कानून, फिर भी क्राइम पर नहीं है कंट्रोल! क्राइम कैपिटल बन चुकी है दिल्ली! क्योंकि यहां जुर्म है ज्यादा!



दिल्ली में अब दिल नहीं डर लगता है। राजधानी का नाम जुंबा पर आते ही रूह कांप उठती है। दिनदहाड़े यहां चलती हैं गोलियां। नेता हो या अरबपति, कोई बिसात नहीं! मच्छर की तरह मसल देते हैं अपराधी। पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को भी ठेंगा दिखाने से बाज नहीं आते गुंडे! एक महिला की आबरू नहीं बचा पाती पुलिस! दावे बड़े-बड़े, हकीकत रेत का महल! अपहरण तो यहां का पहले ही पुराना धंधा था, अब चलती कार में गैंग रेप होना भी आम बात है। मानो हुक्मरानों की नहीं गुनहगारों का राज है। रहबरों की रियासत में राहजनी करने वालों की भरमार हो गई है। न पुलिस का डर और न कानून का भय! सोनिया की सियासत, मनमोहन की रियासत! कांग्रेस की कानून में तब्दीली, सब फेल! राजधानी पर जैसे गुनाह का कब्जा हो गया है। यह हम नहीं, खुद सरकारी आंकड़े कहते हैं, इस साल के शुरू के तीन महीने में ही यहां इतने गुनाह हो चुके हैं कि पिछले साल के मुकाबले कई सौ फीसदी ज्यादा हैं। लगातार बढ़ रहा है दिल्ली में जुर्म। 16 दिसंबर की घटना के बाद गली-गली में जुलूस निकाले गए, महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर कस्मे खाई गर्इं, असामाजिक तत्वों का डटकर मुकाबला करने के वादे हुए। पुलिस, पब्लिक और सरकार कोई पीछे नहीं रहा आवाज बुलंद करने में, पर नतीजा शून्य है। महज तीन महीने में यौन उत्पीड़न और रेप की इतनी वारदात हुर्इं, जो पिछले साल से 590 फीसदी तक ज्यादा हैं। न सामाजिक चेतना का असर और न ही बदले कानून का डर- भय। पहले से कई गुना डरावनी हो गई है दिल्ली। दिल दहला देने वाली दिल्ली! क्योंकि यहां जुर्म है ज्यादा।
पुलिस पर से लोगों का भरोसा उठता जा रहा है। बड़ा क्रिमनल हो या मास्टरमाइंड, हमेशा पुलिस की पहुंच से दूर होता है। जेल में बैठकर कुछ अपराधी साजिश रचते हैं। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के जन्मदिन के जश्न से एक दिन पहले राजधानी की सड़कों पर से एक लड़की को सरेआम अगवा कर लिया और फिर उसके साथ गैंग रेप किया। बाद में लड़की किसी तरह अपने घर पहुंची। मां के साथ रिपोर्ट लिखाने थाने गई, लेकिन शायद दिल्ली पुलिस की नजर में किडनैपिंग और गैंगरेप इतना बड़ा जुर्म नहीं है कि वह एफआईआर दर्ज कर गुनहगारों को पकड़े। महज उसकी तहरीर लेकर उसे टरका दिया गया। ऐसे मामले न जाने कितने हैं, जो थानों तक नहीं पहुंचते। दिल्ली में रोजना झपटमारी के छह और लूट की तीन वारदात दर्ज होती है। वर्ष 2013 के शुरु आती 83 दिन की तुलना पिछले वर्ष की शुरु आत के 83 दिन से करें, तो राजधानी में छेड़छाड़ की घटनाओं में करीब 590 फीसदी, दुष्कर्म में 147 फीसदी और झपटमारी में 73 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके बावजूद दिल्ली के विशेष पुलिस आयुक्त (लॉ एंड आर्डर) दीपक मिश्रा लोगों को सांत्वना देते हैं, आंकड़ों पर न जाएं। दिल्ली में महिलाएं सुरिक्षत हैं।
वाकई वसंत विहार गैंग रेप मामले में आंदोलन के बाद दिल्ली पुलिस की सुस्ती टूटी थी और 24 घंटे चेकिंग की गई थी। पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने थानाध्यक्षों को 24 घंटे थाने में रहने का आदेश दिया था और पुलिसकर्मियों को सड़कों पर मुस्तैद कर दिया गया था, लेकिन क्या हुआ इसका नतीजा? क्या अपराध पर लगा अंकुश? नहीं बल्कि स्थिति और बिगड़ गई। अब तो शोहदों से त्रस्त ‘आधी आबादी’ का सड़कों पर निकलना दुश्वार हो चुका है। बढ़ते आंकड़ों के जवाब में कुछ पुलिस अफसरों का कहना है कि आजकल छेड़छाड़ और दुष्कर्म के मामले बदले की भवना से दर्ज कराए जाने लगे हैं। लेकिन एसोचैम का मानना है कि अतिथि देवो भव: को करारा झटका लगा है। एसोचैम सोशल डेवेलपमेंट फाउंडेशन की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार, पिछले तीन महीने में भारत आने वाली विदेशी महिला पर्यटकों की संख्या में करीब 35 फीसदी की कमी आई है। जबकि कुल विदेशी पर्यटकों की संख्या में 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। गैर मुल्क महिलाओं को भीारत भजने से पहले हिदायत देने लगे हैं कि इंडिया न जाएं और जाएं तो सतर्क रहें। क्योंकि यहां जुर्म ज्यादा है!
दिल्ली में अपराध के बढ़ते आंकड़े दिल्ली पुलिस को आइना दिखाने के लिए काफी हैं। रोजाना 10 महिलाएं छेड़छाड़ और पांच दुष्कर्म की शिकार होती हैं। ये वे मामले हैं, जो पुलिस रिकॉड में दर्ज हैं। जबकि ऐसे मामले न जाने कितने हैं, जो थानों तक नहीं पहुंचते। लूट की तीन और झपटमारी के छह वारदातें राजधानी में रोजाना दर्ज होती हैं। वर्ष 2013 के शुरु आती 83 दिन की तुलना पिछले वर्ष के शुरूआती 83 दिनों से करें, तो दिल्ली में छेड़छाड़ की घटनाओं में करीब 590 फीसदी, दुष्कर्म में 147 फीसदी और झपटमारी में 73 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि दिल्ली में करीब 80 हजार पुलिसकर्मी हैं। पिछले तीन साल में 22 हजार 160 और पुलिसकर्मियों की बढ़ोतरी की गई है। तब भी अपराध बेकाबू है। दिल्ली क्र ाइम कैपिटल बनती जा रही है! राजधानी को अपराध मुक्त करने के दिल्ली पुलिस के सारे दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। सवाल उठता है कि दिल्ली पुलिस इतनी फिसड्डी क्यों साबित हो रही है? क्यों दिन दूना और रात चौगुना अपराध बढ़ रहा है? आखिर कौन है कमजोरी   कड़ी?
सामजशास्त्री आनंद शर्मा का कहना है, जवानों की कमी, ज्यादा काम और नाकाफी साधनों के कारण पुलिस व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं हो पाती। भ्रष्टाचार से जर्जर पुलिस बल कैसे अपराधियों से मुकाबले करेगी? आधिकारिक सूत्रों के अुनसार, दिल्ली पुलिस का 650 जवानों वाला स्पेशल सेल, जो आतंक के खिलाफ उसके भाले की नोक पर है, अब छुट भौए अपराधियों से निबटने में व्यस्त है। दिल्ली के कुल पुलिस बल में 85 फीसदी से ज्यादा कांस्टेबल होते हैं। इनके काम के घंटे तय नहीं होते। कांस्टेबल एक दिन में 14 घंटे तक ड्यूटी करता है और महीने में सिर्फएक छुट्टी मिलती है। कांस्टेबलों की आवासीय सुविधा भी बहुत खराब है। उन्हें काम पर पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना होता है। दिल्ली पुलिस के काफी कांस्टेबल 65 किमी दूर हरियाणा के सोनीपत या 150 किमी दूर अलवर (राजस्थान) शहर से आते हैं। कुल बल में से महज 18 फीसदी को ही आवासीय सुविधा मिली है। काम के बोझ और कर्मचारियों की किल्लत की वजह से पुलिस के कारगर होने पर जबरदस्त असर पड़ा है। ऐसे में कैसे होगा अपराध पर काबू? इसके लिए जरूरी है पुलिस को और चुस्त-दुरुस्त बनाने की। अपराध के मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाएं। इन मामलों के लिए पर्याप्त सरकारी वकील नियुक्त हों और मुकदमों के फैसले 15 दिन से एक महीने के भीतर किए जाएं।
राधानी में आते हैं मुंगेर से अवैध हथियार
दिल्ली में जितने भी अवैध हथियारों की बरामदगी हो रही है, उनमें 95 फीसदी से अधिक हथियार बिहार के मुंगेर के बने हुए हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस वक्त मुंगेर अवैध हथियारों का सबसे बड़ा गढ़ बन चुका है। पता लगा है कि वहां 300 से अधिक ऐसी छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं, जहां अवैध हथियार बनाए जा रहे हैं। दिल्ली में यह हथियार मेरठ, हापुड़, नोएडा और गाजियाबाद आदि के रास्ते आते हैं। पिछले कुछ समय से बदमाश हत्या या फिर लूट के अपराध को अंजाम देने के लिए मुंगेर की पिस्टल को काफी तरजीह दे रहे हैं। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के एक अधिकारी के अनुसार, मुंगेर की अवैध फैक्ट्रियों में जो फायर आर्म्स बनाए जा रहे हैं, उनकी क्वॉलिटी अब बहुत बेहतर होने लगी है। खासतौर से पिस्टल बनाने के मामले में। इनकी नाल का फटने का कोई डर नहीं होता है और अब इनमें मैगजीन भी फिट होने लगी है। पहले सिंगल राउंड फायर करने वाले कट्टे ही अधिक बनाए जाते थे, लेकिन अब बदमाशों की मांग पर अवैध हथियारों की मार्केट में अच्छे हथियार आने लगे हैं। जानकारी के मुताबिक, कुछ अवैध हथियार दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ में भी बनाए जा रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या बेहद कम है और क्वॉलिटी काफी खराब।
बरामद हथियार   2010    2011    2012   2013 (28 फरवरी तक) 
देसी पिस्टल      483       629      605    124
रिवॉल्वर           11         31       16       5
पिस्टल            123       99       114       21
गन                  5         11        8          3
रायफल            1          3          6          0
गोलियां          1165      2439     2425      239
एफआईआर      884      1035      1017     146
गिरफ्तारियां      1008      1190     1191      174
अपराध की राजधानी
अपराध             2012              2013      बढ़ोतरी (फीसदी में)
छेड़छाड़-------115---   -----794----------590.4
बलात्कार-----145--     ------359---------147.6
हत्या का प्रयास---92--------116-----------26.1
हत्या----------119--------89    ..............  25.2
स्नैचिंग-------281------     --486---------73
लूट---------122----      ----201---- ----64.8
अपहरण------680---      ----1040--------52.9
चोरी---------342---      ----453---  -----32.5
नोट : दोनों वर्ष के ये आंकडेÞ 1 जनवरी से 24 मार्च के बीच के हैं।
(स्रोत: दिल्ली पुलिस)
95 फीसदी मामले सुलझाने में मिली सफलता

अब हर शिकायतकर्ता की शिकायत दर्ज हो रही है। इस वजह से आंकड़ों का ग्राफ बढ़ रहा है। महिलाओं से जुड़े करीब 95 फीसदी मामले मात्र 72 घंटे के •ाीतर सुलझा लिए जाते हैं।
-दीपक मिश्रा, विशेष पुलिस आयुक्त (लॉ एंड आॅर्डर), दिल्ली
चौंकाने वाले हैं आंकड़े

राजधानी में कानून व्यवस्था से मैं संतुष्ट नहीं हूं। महिलाओं के खिलाफ होने वाले जुर्म के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यहां तक कि मेरी बेटी •ाी खुद को सुरिक्षत नहीं मानती।
शीला दीक्षित, मुख्यमंत्री, दिल्ली
देश-विदेश में खराब हुई दिल्ली की छवि

नेता प्रतिपक्ष दिल्ली विधानसभ विजय कुमार मल्होत्रा का कहना है कि दिल्ली अपराध की राजधानी बन गई है। बलात्कार की बढ़ती घटनाओं ने देश को शर्मशार कर दिया है। विदेश में भ अब दिल्ली की रेप कैपिटल और क्राइम कैपिटल की बन चुकी है। इस समय राजधानी में स•ाी प्रकार के अपराधी गुट व माफिया काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली में सरेआम बलात्कार, डकैती, हत्या और अन्य जघन्य अपराध प्रतिदिन की बात हो चुकी है। मल्होत्रा ने कहा कि खुद गृहमंत्री लोकसभा में बता चुके हैं कि दिल्ली में रोजाना रेप के चार मामले सामने आ रहे हैं। पिछले डेढ़ महीने में बलात्कार के कुल 181 मामले दर्ज हुए हैं। एक अन्य स्रोत से पता चला है कि राजधानी की 96 फीसदी महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं और शाम को घर से निकलने में डरती हैं।
- जितेन्द्र बच्चन

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