सोमवार, 22 जुलाई 2013

 तीन गोली, एक मौत!



गुड़गांव के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की पत्नी की हत्या का रहस्य गहराता जा रहा है। कौन है गीतांजलि का कातिल? जज साहब या फिर कोई और? पुलिस तलाश रही है सुराग। वहीं, गीतांजलि के घर वालों ने जज और उनके परिजनों पर ही कत्ल का इल्जाम लगाया है और वजह बताई है बेटे की चाहत! क्या है गीतांजलि मर्डर मिस्ट्री का सच?


गुड़गांव के सीजेएम रवनीत गर्ग की पत्नी गीतांजलि की मौत की गुत्थी और उलझती जा रही है। मूल रु प से अंबाला की रहने वाली गीतांजलि ने बीकॉम कर रखा था और बेहद खुशमिजाज दिल की थी। करीब छह साल पहले 2007 में जज रवनीत गर्ग के साथ उसकी शादी हुई थी। उसी गीतांजलि की 17 जुलाई, 2013 को गुड़गांव पुलिस लाइंस के पास एक पार्क में रक्तरंजित लाश मिली, तो शहर में सनसनी फैल गई। पुलिस के तमाम आला अधिकारी मौके पर आ पहुंचे। शव के पास ही सीजेएम गर्ग का लाइसेंसी रिवॉल्वर पड़ा था। प्रथम दृष्टि में मामला आत्महत्या का लग रहा था। खुद जज साहब का भी यही नजरिया था, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आते ही सभी हैरान रह गए। गीतांजलि को एक नहीं,  तीन गोलियां लगी थीं और सिर पर भी किसी डंडे से वार किया गया था। सवाल उठता है, आत्महत्या करने वाला खुद को  तीन- तीन गोलियां कैसे मार सकता है? उसके सिर पर डंडा किसने मारा? जितने लोग, उतनी बात! जज साहब का भी बयान बदल गया- गीतांजलि की हत्या दो लोग कर सकते हैं, लेकिन वे दोनों कौन हैं? जज साहब के शक का आधार क्या है? इन तमाम बातों का खुलासा उन्होंने नहीं किया। रही बात पुलिस की, तो वह अब भी जज साहब को बुलाकर पूछताछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। अपराधी को सिखचों के पीछे पहुंचाने के लिए गीतांजलि के पिता और उनके अन्य नाते-रिश्तेदारों को ही आगे आना पड़ा।
20 जुलाई को गीतांजलि के भाई प्रदीप अग्रवाल, जीजा राजीव बंसल, अमित जिंदल और मामा राजकुमार अग्रवाल थाना सिविल लाइंस पहुंचे। शहर के तमाम लोग भी उनके साथ थे। सभी ने एकसाथ जज के खिलाफ नारे लगाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया- सीजेएम रवनीत बीवी का कातिल है! उसे गिरफ्तार करो! थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नरेश कुमार के हाथ-पैर फूल गए। उन्होंने तत्काल मामले की सूचना पुलिस कमिश्नर आलोक मित्तल को दी। मित्तल ने गीतांजलि के भाई प्रदीप अग्रवाल से बात की। उसने बताया कि गीतांजलि की दो बेटियां हैं। एक पांच साल की और दूसरी दो साल की। रवनीत को बेटा चाहिए था। वह पत्नी पर लगातार तीसरे बच्चे के लिए दबाव डाल रहा था। जब नहीं मानी, तो उसकी हत्या कर दी गई। प्रदीप गीतांजलि की मौत के बाद उसकी बेटियों से मिलने उसके घर भी गया था, लेकिन रवनीत के घरवालों ने बच्चियों से मिलने नहीं दिया। मुलाकात हो जाती तो गीतांजलि की हत्या किसने और क्यों की, इसका शायद खुलासा हो जाता।
कमिश्नर आलोक मित्तल ने प्रदीप अग्रवाल की तहरीर के आधार पर सीजेएम रवनीत गर्ग और उसके माता-पिता केखिलाफ यह मामला 501/13 दर्ज करवा दिया। तफ्तीश सब इंस्पेक्टर राम अवतार को सौंप दी, लेकिन आरोपियों को गिरफ्तार करने को कौन कहे, पुलिस उनसे पूछताछ तक नहीं कर रही थी। पीड़ित परिवार समझ गया कि पुलिस दबाव में है। प्रदीप अग्रवाल पुलिस कमिश्नर आलोक मित्तल से दोबारा मिले। मित्तल ने मामले की जांच के लिए एसीपी अशोक बख्शी के नेतृत्व में एक एसआईटी टीम का गठन कर दिया। टीम में एसीपी पंखुड़ी कुमार, इंस्पेक्टर नरेश कुमार, सब इंस्पेक्टर जयपाल और सरोज बाला शामिल हैं। थाना सिविल लाइन पुलिस टीम का पूरा सहयोग कर रही है। मौके से मिले रिवाल्वर व कारतूस को सील कर पुलिस ने बैलेस्टिक एक्सपर्ट के सपुर्द कर दिया और गीतांजलि के हाथ से लिए गए गन पाउडर के सेंपल को जांच के लिए करनाल स्थित मधुबन लैब भेज दिया।
चश्मदीदों के मुताबिक, 17 जुलाई की शाम करीब चार बजे गीतांजलि को पड़ोसियों ने आखिरी बार देखा था। वह दोनों बेटियों को घर में छोड़कर बाहर निकली थी। सीजेएम साहब तब कोर्ट में थे। शाम करीब पांच बजे के बाद पार्क में टहलने आए एक चश्मदीद ने झाड़ी के करीब गीतांजलि को लहूलुहान पड़ी देखकर फौरन पुलिस को खबर दी। पुलिस लाइंस के अंदर ही कत्ल की खबर सुनकर खुद पुलिस वाले हैरान रह गए। चौंकाने वाली बात यह भी है कि कुरु क्षेत्र विश्वद्यिालय की एमबीए टॉपर गीतांजलि का गुड़गांव की जिस पुलिस लाइंस में कत्ल हुआ, वह शहर की सबसे ज्यादा महफूज जगह है। पुलिस लाइंस के अंदर एक तरफ परेड ग्राउंड है और दूसरी तरफ पुलिस और सरकारी अफसरों के मकान। गुड़गांव पुलिस कमिश्नर आलोक मित्तल भी यहीं रहते हैं पर कमाल है,  तीन-तीन गोलियां चलने के बाद भी किसी को फायर की आवाज सुनाई नहीं दी! लिहाजा पुलिस इस संभावना से भी इंकार नहीं कर रही कि कत्ल कहीं और हुआ हो और लाश बाद में लाकर यहां फेंक दी गई!
गीतांजलि के घर वालों का कहना है कि सीजेएम और उनके घरवाले कुछ दिनों से गीतांजलि को परेशान कर रहे थे। मौत से कुछ दिन पहले अपनी बहन से गीतांजलि ने तनाव में रहने की बात कही थी, लेकिन इस मामले में जज की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया है। पुलिस बराबर मामले की निष्पक्ष जांच करने का भरोसा देती रही, लेकिन परजिनों को भरोसा नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। इसके बाद इस मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम 21 जुलाई को एक बार फिर मौके पर गई और फॉरेंसिक जांच के लिए जरूरी वस्तुएं जुटाने में लगी रही। साथ ही देर रात तक कमिश्नर ऑफिस में इस मामले को लेकर पुलिस अधिकारियों की बैठक चलती रही। हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण पुलिस फूंक-फूंककर कदम रख रही है।
गीतांजलि के कजिन रमन गुप्ता के मुताबिक, गीतांजलि की दोनों बेटियां गुड्डू और पूनम मौत के बारे में कुछ न कुछ राज की बात जानती हैं। उनको अपने पिता और मां के रिश्ते के बारे में अनसुनी बातों का पता है। इसी कारण उन्हें दोनों बेटियों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि गीतांजलि की हत्या में उसकी ससुरालवालों की मिलीभगत है, तभी तो गीतांजलि के अंतिम संस्कार के मौके पर ससुराल पक्ष की ओर से कुछ ही लोग आए थे। उनके मुताबिक सीजेएम रवनीत गर्ग और गीतांजलि की छह साल पहले हुई शादी के बाद घर में छोटे-मोटे झगड़े हुए थे। गीतांजलि के शरीर पर कई जगहों पर चोट के निशान भी पाए गए हैं। गीतांजलि के पिता ओम प्रकाश और रवनीत के पिता केके गर्ग 20 जुलाई की सुबह मनीमाजरा श्मशान घाट में फूल चुनने आए थे। ओम प्रकाश ने गर्ग से दोनों पोतियों से मिलने की इच्छा जताई। गर्ग ने कहा कि हरिद्वार से लौट आऊं, फिर बात करेंगे। ओम प्रकाश ने कहा कि दोनों बेटियों को कुछ न कुछ पता है, तभी उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है।
ओम प्रकाश का कहना है कि गीतांजलि के शव के पास .32 बोर का रिवाल्वर पड़ा था, जो रवनीत गर्ग का लाइसेंसी रिवॉल्वर है। पुलिस इसे पहले खुदकुशी का केस मान रही थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद मामला रहस्मय हो गया। पुलिस की थ्योरी पर सवाल खड़े हो गए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गीतांजलि के सीने, जांघ और गले के पास ठोढ़ी में गोली के जख्म मिले हैं। सीने और ठोढ़ी पर लगी गोली ने ही गीतांजलि की जान ले ली। उसके सिर पर पीछे की तरफ चोट के निशान भी हैं। डॉक्टरों के मुताबिक हो सकता है कि उस पर पीछे से वार किया गया हो। कुल मिलाकर गीतांजलि के कत्ल के बाद से ही गीतांजलि के घरवाले सीजेएम और उनके परिवार पर तमाम इल्जाम लगा रहे हैं, मगर सीजेएम के परिजनों ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। यह अलग बात है कि गीतांजलि मर्डर मिस्ट्री कई अनसुलझे सवालों में लिपटी हुई है। मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस कई कोणों से जांच कर रही है।

पुलिस कमिश्नर (गुड़गांव) आलोक मित्तल के मुताबिक, 21 जुलाई को पुलिस की एसआईटी टीम ने सीजेएम रवनीत गर्ग से गुड़गांव स्थित सिविल लाइन के उनके सरकारी आवास कोठी नंबर 10 में करीब चार घंटे तक उनसे पूछताछ की। उस समय गीतांजलि के परिजन भी मौजूद थे और गर्ग के कई रिश्तेदार भी।
सवाले थे- कत्ल के वक्त यानी शाम पांच से सात बजे के बीच जज साहब कहां और किसके साथ थे? इस दौरान उन्होंने फोन पर किससे-किससे बातें कीं? वह अपना रिवाल्वर कहां रखते थे? क्या गीतांजलि रोज रिवाल्वर लेकर टहलने जाती थी? बेटियों के होने से क्या वे नाखुश थे? क्या उन्होंने कभी गीतांजलि से बेटे की इच्छा जाहिर की थी? क्या इस बात को लेकर उन दोनों (पति-पत्नी) के बीच अक्सर अनबन बनी रहती थी? वे दो लोग कौन हैं, जिन पर जज साहब ने कत्ल का शक जाहिर किया है? उनकी गीतांजलि से क्या दुश्मनी हो सकती है? क्या गीतांजिल हर रोज अपना मोबाइल लेकर नहीं जाती थी? कत्ल के दिन उसका मोबाइल कहां था? रिवाल्वर हमेशा लोडेड रखते थे या फिर कारतूस घर में अलग रखते थे? क्या गीतांजलि ने कभी किसी से दुश्मनी का जिक्र  किया था? अदालत का कोई ऐसा फैसला, जिसके चलते रंजिशन किसी ने उनकी पत्नी की हत्या कर दी?
कुल मिलाकर अपनी कविताओं के जरिए नारी के हक और वजूद का सवाल उठाने वाली गीतांजलि की मौत सवालों के कफन में लिपटी है। उसकी हत्या पूरे परिवार के लिए जिंदगी भर का नासूर बन चुकी है। पुलिस गीतांजलि और रवनीत गर्ग दोनों के फोन कॉल्स डिटेल की जांच कर रही है। मुमिकन है कि फोन कॉल में ही छिपा हो इस वारदात के कातिल का राज। जबकि, गीतांजलि के परिवारवाले मान रहे हैं कि गीतांजलि की मौत के पीछे जज रवनीत का हाथ है, लेकिन जज का परिवार सिरे से इन आरोपों को खारिज कर रहा है। अब कत्ल का ये मामला थाने की दहलीज से निकलकर कोर्ट की चौखट पर जाने वाला है। इंसाफ की देवी तय करेंगी कि आधी आबादी को ताकतवर बनाने के दौर में इस गीतांजलि का कत्ल किसने किया और क्यों?
-जितेन्द्र बच्चन

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