गुरुवार, 25 जुलाई 2013

शोहरत और मुसीबत


सलमान खान आज करियर के सबसे सुनहरे दौर से गुज़र रहे हैं। मिट्टी को भी छू कर सोना बना देने वाले वो सलमान खान जिसने सौ करोड़ से ज्यादा की कमाई करने वाली फिल्मों की झड़ी-सी लगा दी है, मगर मुकद्दर के इस सिकंदर की तकदीर कभी एक जैसी नहीं रही। शोहरत और मुसीबत दोनों सलमान के साथ जुड़वां की तरह चिपके रहे। ऐसी ही एक मुसीबत है, जो पिछले 11 साल से सलमान का पीछा कर रही है। इन ग्यारह सालों में गवाह, सबूत, सुनवाई ने कई बार रुख पलटा। कभी सलमान को राहत मिलती नज़र आई, तो कभी मुसबीत और बढ़ती दिखी। इस दौरान सलमान और मुंबई पुलिस पर ये इल्जाम भी लगे कि वो केस और गवाह दोनों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं और इन्हीं सबके बीच 24 को मुंबई सेशन कोर्ट ने सलमान की मौजूदगी में फैसले से पहले वो फैसला सुनाया कि सलमान की वो रात एक बार फिर जाग उठी।
22 सितंबर 2002 की रात, जूहू का एक पांच सितारा होटल
सलमान का कद तब भी उस 70 एमएम की स्क्रीन से कहीं ज्यादा बड़ा था, जिसके बड़े पर्दे के वो बड़े सितारे थे पर बड़ा सितारा होने के साथ-साथ बॉलीवुड के बड़े बिगड़ैल का भी खिताब तब तक वो हासिल कर चुके थे। 'हम दिल दे चुके सनम' की सुपरहिट कामयाबी और मोहब्बत और नफरत के बीच ऐश्वर्या राय के नाम तड़प-तड़प के इस दिल से आह निकलती रही। अलाप के दरम्यान 22 सितंबर की रात सलमान जूहू के एक फाइव स्टार होटल में पार्टी की जान बने हुए थे। देर रात तक पार्टी उनका शगल था। रात तीन बजे के बाद सलमान पार्टी से बाहर निकलते है। नशे में पूरी तरह चूर। घर जाने के लिए उनके पास उस रात सफेद रंग की टोयटा लैंड क्रूजर गाड़ी थी। गाड़ी चलाने के लिए साथ में बॉडीगार्ड कम ड्राइवर भी, मगर नशे में चूर होने के बाद भी सलमान खुद ड्राइविंग सीट पर जा बैठे। बॉडीगर्ड मना करता रहा पर शायद तब भी सलमान एक बार जो कमिटमेंट कर लेते थे, तो फिर खुद की भी नहीं सुनते थे।
अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी, हिल रोड, बांद्रा
नशे में चूर सलमान की गाड़ी रात के अंधेरे में ठीक तीन बज कर चालीस मिनट पर बांद्रा के हिल रोड पर पहुंचती है। गाड़ी की रफ्तार बेहद तेज थी और ड्राइवर नशे में। हिल रोड पर अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी से कुछ पहले ही अचानक ड्राइवर गाड़ी का संतुलन खो बैठता है और पल भर में गाड़ी बाईं तरफ से सड़क छोड़कर फुटपाथ पर दौड़ने लगती है। बदनसीबी से उस वक्त उसी फुटपाथ पर अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी में काम करने वाले पांच कर्मचारी सो रहे थे। तेज रफ्तार लैंड क्रूजर पांचों को रौदते हुए आगे निकलती है और फिर दुकान के शटर से टकरा कर गाड़ी रुक जाती है। हादसे में एक मज़दूर करीब-करीब मौके पर ही दम तोड़ देता है, जबकि चार मजदूर बुरी तरह से जख्मी हो जाते हैं। चारों में से ज्यादातर के पैर को गाड़ी ने रौंद डाला था।
हादसे के बाद सलमान खान अचानक घबरा जाते हैं। वो ड्राइविंगं सीट से नीचे उतरते हैं, तब तक गाड़ी के फुटपाथ से टकराने और घायलों की चीख-पुकार सुनकर आसपास सो रहे बाकी लोग भी जाग जात हैं और मौके पर पहुंचते हैं। लोग गाड़ी के नीचे फंसे लोगों को बाहर निकलाते हैं और उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है। सलमान गाड़ी मौके पर ही छोड़कर तब तक गायब हो चो चुके थे पर 70 एमएम की स्क्रीन से भी जिसका कद बडा हो, उसकी एक झलक उसे पहचानने के लिए काफी होती है। भागने से पहले सलमान को सब पहचान चुके थे। सुबह होते-होते पूरी मुंबई में खबर फैल चुकी थी। सलमान खान के दामन पर एक और दाग लग चुका था, लेकिन हादसे के बाद से खुद सलमान गायब थे और गाड़ी का नंबर और चश्मदीद सलमान के खिलाफ चुगली खा चुके थे, लिहाज़ा सुबह-सुबह पुलिस सलमान के घर पहुंचती है। पर सलमान घर पर नहीं थे।
गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज
सलमान खान कानूनी खेल के लिए कुछ वक्त चाहते थे। इसीलिए वो गायब थे पर उन्हें पता था कि ज्यादा देर भागने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जमानत मिलने में दिक्कत आएगी, लिहाजा हादसे के करीब आठ घंटे बाद वो खुद सामने आते हैं और पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती है। इसके बाद उन्हें जेजे अस्पातल ले जाया जाता है, जहां जांच के बाद ये साबित हो जाता है कि उन्होंने अल्कोहल लिया था। सलमान के खिलाफ पुलिस लापरवाही और खतरनाक ढंग से गाड़ी चलाने का मामला तो दर्ज कर लेती है, लेकिन गिरफ्तारी के कुछ देर बाद ही उन्हें महज 950 रुपए के जुर्माने के साथ जमानत पर रिहा कर देती है। सलमान की इतनी आसानी रिहाई का कुछ सामाजिक संगठन विरेध करते हैं और पांच अक्तूबर 2002 को अदालत पहुंच जाते हैं। वो अदालत में सलमान के खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल कर सलमान पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हैं। अदालत न सिर्फ याचिका मंजूर कर लेती है बल्कि सात अक्तूबर 2002 को अदालती आदेश पर गैर इरादन हत्या के जुर्म में सलमान को गिरफ्तार कर लिया जाता है। सलमान जेल चले जाते हैं। पूरे 18 दिन जेल में रहते हैं। इस दौरान चार बार जमानत की अर्जी देते हैं, मगर चारों बार जमानत अर्जी खारिज हो जाती है, फिर 18 दिन बाद 24 अक्तूबर 2002 को सलमान को जमानत मिलती है और रिहा हो जाते हैं।
बॉडीगार्ड ने दिया झटका
मामला कोर्ट में चलता रहता है। इस दौरान केस में कई मोड़ आते हैं। सबसे पहले सलमान की तरफ से कहा जाता है कि उस रात वो गाड़ी चला ही नहीं रहे थे, बल्कि गाड़ी कोई और चला रहा था, फिर हादसे के चार साल बाद एक रोज अचानक केस का एक अहम गवाह अब्दुल्ला रऊफ शेख भी अपनी गवाही से पलट जाता है। अब्दुल्ला मामला का चश्मदीद था और हादसे में घायल हुआ था। शुरू में उसने पुलिस को कहा था कि उसने हादसे के बाद सलमान को गाड़ी की ड्राइविंग सीट से नीचे उतरता देखा था, मगर चार साल बाद 2006 में वो अदालत को बताता है कि उसने सलमान को मौके पर देखा ही नहीं था, लेकिन इस गवाही से सलमान को राहत मिलती उससे पहले ही खुद सलमान के पूर्व बॉडीगार्ड रवींद्र पाटिल ने सलमान को झटका दे दिया। रवींद्र पाटिल हादसे वाली रात सलमान के साथ उसी गाड़ी में मौजूद था। उसने अदालत को बताया कि उस रात सलमान नशे में चूर थे और उसके मना करने के बाद भी वही गाड़ी चला रहे थे, जबकि हादसे के शिकार बाकी कुछ गवाह भी गवाही पर कायम थे।
गुनाह साबित होने पर दस साल की जेल
अलग-अलग गवाहों और बयानों में उलझते-उलझते केस को 11 साल बीत गए और अब आखिरकार अदालत ने लापरवाही से गाड़ी चलाने की बजाए गैर इरादतन हत्या के तहत सलमान के खिलाफ मुकदमा चलाने का फैसला सुना दिया है। सलमान पर आईपीसी की धारा 304(2) के तहत गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया, वहीं धारा 279 के तहत नशे में ड्राइविंग और लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप तय हुआ। जबकि धारा 337 और 338 के तहत गंभीर चोट पहुंचाने का आरोप लगा। इसके अलावा धारा 427 के तहत भी आरोप लगाए गए। यानी आगे की डगर अब मुश्किल हो गई है। गुनाह साबित होने पर सलमान दस साल तक के लिए जेल जा सकते हैं। हालांकि, सलमान खान को इतनी राहत जरूर मिली कि अब उन्हें हर सुनवाई पर कोर्ट का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, लेकिन अदालत ने ये भी साफ कर दिया है कि आगे जब भी जरूरत होगी, सलमान को बगैर किसी हील-हवाले के अदालत में आना होगा।

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